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भारत में बना अब तक का सबसे एडवांस और शक्तिशाली D9 रेल इंजन, खरीदने के लिए लाइन में लगे अफ्रीकी-यूरोपियन देश

पीएम मोदी ने 2014 में सत्ता संभालते ही भारतीय रेलवे का कायाकल्प ही कर दिया है. अब तक विदेशी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाला भारत अब खुद का सबसे एडवांस और शक्तिशाली रेल इंजन बना रहा है, जिसका कि अफ्रीकी और यूरोपीय देशों में निर्यात भी किया जाएगा. पीएम मोदी ने साबित कर दिया है कि वो जिस चीज का शिलान्यास करते हैं वो उसका उद्घाटन भी करते हैं.

Created By: NMF News
27 May, 2025
( Updated: 11 Jun, 2025
09:18 AM )
भारत में बना अब तक का सबसे एडवांस और शक्तिशाली D9 रेल इंजन, खरीदने के लिए लाइन में लगे अफ्रीकी-यूरोपियन देश

26 मई 2014, जिस दिन देश ने मोदी पर भरोसा जताया, उसी दिन से भारत ने तकनीक की दुनिया में एक नया इतिहास रचना शुरू कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार देश की कमान संभालने की शपथ ली, उसी ऐतिहासिक दिन यानी की 26 मई को गुजरात के दाहोद में दुनिया का सबसे आधुनिक और शक्तिशाली रेल इंजन D9 बना, मोदी के नेतृत्व में भारत ने केवल राजनीतिक स्थिरता ही नहीं, बल्कि तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयों को भी छुआ है. दाहोद, जिसे कभी इतिहास में औरंगज़ेब के नाम से जाना गया, आज मोदी युग में ‘D9’ की ताक़त और तकनीकी क्रांति के लिए पहचाना जा रहा है.


D मतलब दाहोद और 9 मतलब 9000 हॉर्स पावर. बता दें कि यहां बनने वाला D9 इंजन खरीदने के लिए यूरोप और अफ्रीकी भी लाइन में लगे हुए हैं. क्योंकि ये दुनिया का सबसे सस्ता लेकिन सबसे एडवांस सुविधाओं से लैस इंजन है. इसीलिए हर भरतीय गर्व से कहता है कि 'Proudly Make In India, truly Made In India…. '

लेकिन इसमें भी लोग राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं. पीएम मोदी बिहार गए तो लोगों ने कहा कि चुनाव में ऑपरेशन सिंदूर का फायदा उठाने आ गए, लेकिन गुजरात के दाहोद में न तो कोई चुनाव है, न ही अगले एक साल में होगा फिर भी मोदी जी ने ऑपरेशन सिंदूर की जीत की चर्चा की. इससे साफ है मोदी सेना पर पॉलिटिक्स नहीं करते.
'मोदी ने जिसका शिलान्यास किया उसका उद्घाटन भी किया'

ये तो पूरा देश जानता है कि पीएम मोदी जिस काम का शिलान्यास करते हैं उसका उद्घाटन भी वही करते हैं. आज से 3 साल पहले अप्रैल 2022 में इस रेल इंजन का पीएम मोदी ने शिलान्यास किया और 2025 में उद्घाटन हो गया. ये इंजन पैसेंजर्स कोच मोजांबिक, श्रीलंका सब जगह उपयोग हो रहा है….मेड इन इंडिया के तहत रेलवे के कई समानों का भारत दूसरे देशों में एक्सपोर्ट कर रहा है. 

यह प्लांट भारतीय रेलवे के भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. दाहोद में स्थापित इस अत्याधुनिक इंजन में 9000 हॉर्सपावर के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन बनाए जाएंगे. ये इंजन घरेलू उपयोग के साथ-साथ निर्यात के लिए भी तैयार किए जाएंगे.


D9- भारत में बना अब तक का सबसे एडवांस रेल इंजन
अगर d9 रेल इंजन की बात करें तो भारत में अभी तक इतनी शक्तिशाली रेल इंजन नहीं बना है. ये इंजन 9000 हॉर्स पावर का है.  यूं तो फ्रांस की अल्स्टॉम के साथ भारत 12000 हॉर्स पावर का रेल इंजन बना रहा लेकिन उसके लिए दो लोकोमोटिव का इस्तेमाल करना पड़ता है यानी 6000+6000 हॉर्स पॉवर. ये पहला ऐसा इंजन है जो अकेले 9000 हॉर्स पावर की ताकत रखता है. D9 इंजन एक गुड्स इंजन है यानी इसका इस्तेमाल भारत में हैवी मॉल गाड़ियों को खींचने में होगा.


दाहोद के 9000 HP लोकोमोटिव इंजन की विशेषताएं
यह भारत का पहला 9000 HP का इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है, जो इसे देश के अन्य लोकोमोटिवों, जैसे WAG-12B (12000 HP, ट्विन-सेक्शन) और सामान्य डीजल या इलेक्ट्रिक इंजनों (4000-6000 HP) से अलग बनाता है. यह इंजन सिंगल-सेक्शन डिज़ाइन में है, जो इसे अधिक कुशल और रखरखाव में आसान बनाता है, यह 100 किमी/घंटा की रफ्तार से 5000 टन माल ढुलाई करने में सक्षम है, जो मालगाड़ियों के लिए आदर्श है.

आधुनिक सुविधाएं
इस इंजन में लोको पायलटों के लिए एयर-कंडीशनिंग (AC) और शौचालय की सुविधा उपलब्ध है, जो सामान्य रेल इंजनों में कम ही देखने को मिलती है, यह लंबी दूरी की यात्रा में चालक दल के लिए आरामदायक है. इंजन पर 'मैन्युफैक्चरिंग बाय दाहोद' लिखा होगा, जो स्थानीय निर्माण और 'मेक इन इंडिया' पहल को दर्शाता है

पर्यावरण के अनुकूल
यह इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है, जो डीजल इंजनों की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन करता है, भारतीय रेलवे का 80% से अधिक विद्युतीकरण हो चुका है, और यह इंजन पर्यावरणीय दृष्टिकोण से उन्नत है, डीजल इंजनों की तुलना में यह कम ईंधन खपत और कम प्रदूषण के साथ अधिक दक्षता प्रदान करता है.

अब आपको बतातें हैं कि दाहोद में बन रेल इंजन भारत के सारे रेल इंजन का बाप क्यों है ?
सामान्य डीजल इंजन (जैसे WDM-3A, 3100-3300 HP) या इलेक्ट्रिक इंजन (जैसे WAP-7, 6000 HP) की तुलना में दाहोद का 9000 HP इंजन कहीं अधिक शक्तिशाली है. यह भारी माल ढुलाई के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है.
WAG-12B (12000 HP) की तुलना में यह सिंगल-सेक्शन है, जबकि WAG-12B में दो इंजन होते हैं, जिससे इसका रखरखाव जटिल हो सकता है.

तकनीकी उन्नति
यह इंजन नवीनतम तकनीक से लैस है, जैसे कि बेहतर ट्रैक्शन सिस्टम और ऊर्जा दक्षता, जो पुराने डीजल इंजनों (जो अब धीरे-धीरे हटाए जा रहे हैं) में नहीं होती। पुराने इंजनों में AC और शौचालय जैसी सुविधाएं नहीं होतीं, जो लोको पायलटों के लिए असुविधाजनक हो सकता है।

निर्माण और लागत
दाहोद में निर्मित यह इंजन पूरी तरह से स्वदेशी है और 'मेक इन इंडिया' के तहत बनाया गया है, जबकि कई पुराने इंजन विदेशी तकनीक (जैसे फ्रांस की Alstom के साथ WAG-12B) पर आधारित थे.

एक सामान्य रेल इंजन की लागत 18-20 करोड़ रुपये होती है, लेकिन दाहोद के इंजन की लागत और उन्नत तकनीक के कारण यह अधिक हो सकती है.

उपयोग क्या है?
यह इंजन मुख्य रूप से माल ढुलाई के लिए डिज़ाइन किया गया है, जबकि अन्य इंजन (जैसे WAP-4 या WAP-7) यात्री ट्रेनों के लिए अधिक उपयोग होते हैं. इसकी उच्च शक्ति इसे भारी मालगाड़ियों के लिए उपयुक्त बनाती है.

पीएम मोदी ने देश को बड़ी सोगात दी है. जो आने वाले समय में ना सिर्फ देश की इकोनॉमी को कई तरह से बदलेगा, बल्कि हजारों लोगों के लिए रोज़गार का अवसर पैदा करेगा.

रिपोर्ट: श्रावणी पटनायक

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