सांसदों को सौंपी गई एक देश एक चुनाव’ विधेयक की 18 हज़ार पन्नों की रिपोर्ट, कांग्रेस ने बिल पर जताई आपत्ति
एक देश एक चुनाव विधेयक के लिए गठित संसदीय समिति ने अपनी पहली बैठक की. इस बैठक में बीजेपी सदस्यों ने विधेयक पर सहमति जताई। जबकि कांग्रेस टीएमसी समेत विपक्ष के तमाम नेताओं ने वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया. वहीं आप सांसद संजय सिंह ने विधेयक की सौंपी गई 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट के सूटकेस के फ़ोटो को सोशल मीडिया पर ट्वीट किया है
एक तरफ़ दिल्ली चुनाव में बीजेपी को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस पूरी ताक़त झोंक रही है। दूसरी तरफ़ मोदी सरकार ने चुनाव से जुड़े नए बिल को लेकर ऐसा खेल कर दिया है। देखते ही विपक्ष की हालत ख़राब हो गई है।दरअसल मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव बिल को संसद सत्र के दौरान JPC में भेजा ताकी सभी की सहमति चर्चा विचार के बाद इस बिल को पास करवाया जा सके।ऐसे में अब एक देश एक चुनाव बिल को लेकर JPC की पहली बैठक हुई। बैठक में बीजेपी के सदस्यों ने तो बिल पर सहमति जताई। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी विपक्षी दलों के सांसद पहली ही बैठक में हाथ पांव मारने लगे। सबसे ज़्यादा तकलीफ़ अगर किसी को हुई तो वो है कांग्रेस। जो बैठक में पहले ही दिन चिल्लाने लगी। वहीं इसी बीच क़ानून मंत्रालय की तरफ़ से जेपीसी के सदस्यों को पढ़ने के लिए नीले सूटकेस में 18 हज़ार पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट दी गई।
कांग्रेस हल्ला काटती रही औैर आम आदमी पार्टी इस रिपोर्ट को एक्सेप्ट करती दिखाई दी क्योंकि रिपोर्ट के सूटकेस के साथ अपनी फ़ोटो को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट किया। और ट्विटर पर लिखा "एक देश-एक चुनाव की JPC में हज़ारों पन्ने की रिपोर्ट मिली है। आज ONOE की JPC मीटिंग की पहली मीटिंग हुई।
18 हज़ार पन्नों की रिपोर्ट देखते ही कांग्रेस का मानों सिर चकरा गया। क्योंकि कांग्रेस को एक देश एक चुनाव से इतनी दिक़्क़त हो रही है मानों एक साथ देश में एक बार में चुनाव होंगे तो जैसे कांग्रेस खाता भी खोल नहीं पाएगी। यही वजह है कि कांग्रेस ने छूटते ही मोदी सरकार के एक देश एक चुनाव विधेयक को ना सिर्फ़ असंवैधानिक बताया।बल्कि लोकतांत्रित ढाँचे का उल्लंघन भी बताया। प्रियंका गांधी छूटते ही कहा "ये विधेयक कितना लागत प्रभावी होगा, कितने EVM की ज़रूरत होगी ?
प्रियंका गांधी के सवाल दागने के साथ साथ प्रमोद तिवारी ने इस विधेयक को संविधान के साथ छेड़छाड़ ही बता दिया।
बता दें की JPC की बैठक के पहले दिन विधि एवं न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने बैठक के दौरान प्रस्तावित क़ानूनों के प्रावधानों पर एक प्रजेंटेशन दी। इसमें भारतीय विधि आयोग सहित विभिन्न निकायों ने एक देश एक चुनाव विधेयक का समर्थन किया। लेकिन कांग्रेस बैठक की शुरूआत से ही बैठक के एंड तक विधेयक का विरोध करते हुए कहती नज़र आई कि यह विचार संविधान के मूल ढाँचे के ख़िलाफ़ है। जबकि टीएमसी के सांसद ने भी इस बिल का विरोध किया और कहा कि यह लोगों के लोकतांत्रित अधिकारों का हनन करता है। खैर विपक्ष मोदी सरकार के इस विधेयक का शुरु से विरोध कर रहा है। जिससे मोदी सरकार के लिए चुनौती तो खड़ी हो गई है। लेकिन हो सकता है पीएम मोदी आगे खेल करें। और विधेयक पास कराने के लिए बाज़ी ही पलट जाए। खैर पहले JPC की बैठक में सहमति बनेगी उसके बाद इस बिल को आगे बढ़ाया जाएगा। चलिए लोकसभा में बिल पास कराने का गणित भी समझा देते हैं। दरअसल।
एक देश एक चुनाव विधेयक पास कराने के लिए फ़िलहाल तो NDA के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है। लोकसभा में अगर सभी 543 सांसद इस बिल पर वोटिंग में शामिल होंगे तो बिल पास कराने के लिए सरकार को 362 वोट चाहिए होंगे। इस वक़्त लोकसभा में बीजेपी के पास 240 सांसद है अगर NDA का आंकड़ा देखें तो यहाँ इनकी सांसदों की संख्या 293 है।इस वक़्त लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार को 69 सांसदों की कमी पड़ती दिख रही है।
लेकिन इस वक़्त बीजेपी के लिए राहत की बात ये है कि गैर INDIA ब्लॉक की कुछ पार्टियों ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल के लिए समर्थन जताया है। इसमें जगन मोहन की पार्टी YSRCP, नवीन पटनायक की BJD और मायावती की BSP शामिल है YSRCP के लोकसभा में 4 सांसद हैं जबकि BJD और BSP के लोकसभा में एक भी भी सांसद नहीं हैं वहीं चंद्रशेखर राव की पार्टी ने अभी इस बिल पर कोई साफ़ जवाब नहीं दिया है। वो वेट एंड वॉच की स्थिति में है। तो ऐसे में मोदी सरकार अगर इंडिया गठबंधन के कुनबे को छिटकाने में कामयाब रही। पक्ष में वोट डलवा लिए तो हो सकता है वन नेशन वन इलेक्शन बिल पास हो जाए। फ़िलहाल तो जिस तरीक़े से विपक्ष विरोध कर रहा है ये बिल अटकता हुआ ही नज़र आ रहा है।