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कोई नया नहीं हैं HMPV Virus, जानें कब आया था भारत में इसका पहला कैस, क्या है इतिहास?

चीन में इन दिनों HMPV वायरस का कहर लगातार बढ़ रहा है, लेकिन अब ये वायरस धीरे धीरे भारत की तरफ भी अपने पैर पसार रहा है। बीतें दिनों आए HMPV के मामलों को लेकर लोगों में डर का माहौल है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या यह वायरस कोई नया वायरस है?
कोई नया नहीं हैं HMPV Virus, जानें कब आया था भारत में इसका पहला कैस, क्या है इतिहास?
चीन के बाद भारत में भी HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) ने दस्तक दे दी है। इस वायरस के बढ़ते मामलों ने लोगों को चिंतित कर दिया है, और कई लोग इसे कोविड-19 से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह कोई नया वायरस नहीं है, भारत में इस वायरस से जुड़े कई मामले पहले भी  सामने आ चुके है। 

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) एक श्वसन वायरस है, जो इंसानों के फेफड़ों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। यह वायरस मुख्य रूप से सामान्य जुकाम, फ्लू या निमोनिया जैसी बीमारियों का कारण बनता है। HMPV का संबंध पैरामाइक्सोवायरस परिवार से है, और यह रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) से जेनेटिक रूप से जुड़ा हुआ है।  
भारत के लिए नया नहीं है यह वायरस
इस वायरस की पहचान सबसे पहले 2001 में हुई थी, जब डच वैज्ञानिकों ने इसे खोजा और इसके जीनोम का अनुक्रमण किया। लेकिन, बाद में हुए सीरोलॉजिकल अध्ययनों से पता चला कि यह वायरस 1958 से ही नीदरलैंड में मौजूद था। नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने जब इसका जीनोम अनुक्रमण किया, तब यह स्पष्ट हुआ कि यह वायरस पहले से ही इंसानों में मौजूद था। यह वायरस समय-समय पर अलग-अलग देशों में सामने आता रहा है, लेकिन इसकी पहचान के अभाव में इसे अन्य श्वसन संक्रमणों का हिस्सा माना जाता था।  

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में HMPV का पहला मामला 2003 में सामने आया था। पुणे स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने पहली बार भारतीय बच्चों में इस वायरस की पुष्टि की थी। इसके बाद के वर्षों में कई अध्ययन और शोध हुए, जिनसे पता चला कि यह वायरस भारत में बच्चों और बुजुर्गों के बीच पहले से ही मौजूद है।  

2024 में गोरखपुर में सांस की बीमारी से पीड़ित 100 बच्चों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि 4% बच्चों में HMPV के लक्षण थे। यह आंकड़ा बताता है कि भारत में यह वायरस धीरे-धीरे फैल रहा है और खासकर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को अधिक प्रभावित कर रहा है। वैसे आपको बताते चले कि HMPV संक्रमित व्यक्ति की खांसी, छींक या संपर्क के माध्यम से फैलता है। यह वायरस दूषित सतहों को छूने और फिर अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने से भी फैल सकता है। इसके संक्रमण का खतरा सर्दियों और वसंत ऋतु में अधिक होता है।  
स्वास्थ्य विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
चीन और भारत में HMPV के मामलों में वृद्धि के बाद, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह वायरस नया नहीं है और इससे कोविड-19 जैसा प्रकोप होने की संभावना नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, HMPV से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत बेहद कम पड़ती है।  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से अपील की है कि इस वायरस को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। उचित सावधानियों और जागरूकता से इस वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है।  

HMPV कोई नई बीमारी नहीं है, बल्कि यह लंबे समय से हमारे बीच मौजूद है। हालांकि, यह वायरस सामान्य जुकाम और फ्लू की तरह है, लेकिन कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए यह गंभीर हो सकता है। भारत में इसके मामलों की पहचान समय-समय पर हुई है, और इसके प्रकोप को रोकने के लिए जागरूकता और साफ-सफाई बेहद जरूरी है।  
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