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IVF से जुड़वा बच्चों का जन्म कैसे होता है और क्या है इसमें जोखिम?

आईवीएफ तकनीक में महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को शरीर के बाहर फर्टिलाइज कर भ्रूण तैयार किया जाता है। इसमें एक से ज्यादा भ्रूण ट्रांसफर करने पर जुड़वा या उससे अधिक बच्चों का जन्म हो सकता है। हालांकि, इसमें गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ने का खतरा रहता है।
IVF से जुड़वा बच्चों का जन्म कैसे होता है और क्या है इसमें जोखिम?
चार साल पहले राजस्थान के श्रीगंगानगर की एक महिला ने एक साथ चार बच्चों को जन्म दिया। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया था। सिजेरियन डिलीवरी के जरिए आठवें महीने में जन्मे इन बच्चों की कहानी सिर्फ एक मां की नहीं थी, बल्कि आधुनिक चिकित्सा की कामयाबी का उदाहरण थी। यह सब संभव हुआ था इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक के जरिए।

आईवीएफ तकनीक ने उन परिवारों के लिए उम्मीद की किरण जगाई है, जो वर्षों तक माता-पिता बनने का सपना देख रहे थे। लेकिन इसके साथ कई सवाल भी उठते हैं, जिनमें से एक सबसे प्रमुख सवाल यह है – क्या आईवीएफ से जुड़वा या उससे ज्यादा बच्चे होने की संभावना होती है? अगर हां, तो यह कितना आम है?

आईवीएफ प्रक्रिया में महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को शरीर के बाहर एक विशेष वातावरण में मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में भ्रूण तैयार किया जाता है, जिसे बाद में महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। यह तकनीक बहुत संवेदनशील है और इसके हर चरण में अत्यधिक सावधानी बरती जाती है। लेकिन आईवीएफ में एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें डॉक्टर एक से ज्यादा भ्रूण (Embryo) ट्रांसफर कर सकते हैं ताकि सफलता की संभावना बढ़े। यही कारण है कि आईवीएफ में जुड़वा या उससे अधिक बच्चों के जन्म की संभावना सामान्य प्रेगनेंसी की तुलना में अधिक होती है।
जुड़वा बच्चे होने की संभावना
विशेषज्ञों के अनुसार, आईवीएफ प्रक्रिया में जुड़वा बच्चों के जन्म की संभावना लगभग 25% से 30% तक होती है। यह संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे भ्रूण की गुणवत्ता, महिला की उम्र, ट्रांसफर किए गए भ्रूणों की संख्या, महिला का स्वास्थ्य और प्रजनन इतिहास। सामान्यतः, जब डॉक्टर एक से अधिक भ्रूण ट्रांसफर करते हैं, तो उनमें से एक से अधिक गर्भाशय में विकसित हो सकते हैं। यही कारण है कि आईवीएफ में जुड़वा या तीन बच्चों के जन्म की संभावना बढ़ जाती है।

सामान्य गर्भावस्था में एक एग और एक स्पर्म मिलकर जाइगोट बनाते हैं, जो एक भ्रूण में विकसित होता है। लेकिन आईवीएफ में डॉक्टर एक से अधिक जाइगोट तैयार करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिला गर्भवती हो, कई भ्रूण गर्भाशय में ट्रांसफर किए जाते हैं। इस प्रक्रिया के तहत, अगर एक से अधिक भ्रूण सफलतापूर्वक गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाते हैं, तो जुड़वा या उससे अधिक बच्चों के जन्म की संभावना बनती है।
जोखिम और चुनौतियां
हालांकि जुड़वा बच्चों का सपना हर माता-पिता को आकर्षित करता है, लेकिन यह गर्भावस्था जटिलताओं के साथ आ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि आईवीएफ में जुड़वा या उससे ज्यादा बच्चों के जन्म के साथ कुछ संभावित जोखिम जुड़े होते हैं। 
गर्भावस्था की जटिलताएं: जुड़वा बच्चों के मामले में प्री-मैच्योर डिलीवरी या प्लेसेंटा संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
कम वजन वाले बच्चे: जुड़वा बच्चों का वजन सामान्य से कम हो सकता है, जिससे उनकी प्रारंभिक देखभाल में मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
मां के स्वास्थ्य पर असर: उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और डिलीवरी के दौरान अत्यधिक खून बहने जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
शिशुओं में जन्म दोष: जुड़वा बच्चों में जन्म दोष का खतरा थोड़ा अधिक हो सकता है।

आजकल, आईवीएफ विशेषज्ञ ऐसी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे जुड़वा या उससे ज्यादा बच्चों के जोखिम को कम किया जा सके। इसके लिए कुछ प्रमुख विकल्प हैं।
सिंगल भ्रूण ट्रांसफर (Single Embryo Transfer): इसमें केवल एक भ्रूण ट्रांसफर किया जाता है, जिससे गर्भावस्था का जोखिम कम होता है।
सतर्क भ्रूण चयन: उच्च गुणवत्ता वाले भ्रूण का चयन करके सफलता की संभावना बढ़ाई जाती है।
फीटस रिडक्शन: अगर कई भ्रूण गर्भाशय में विकसित हो जाते हैं, तो डॉक्टर उनमें से कुछ को हटाने का सुझाव देते हैं ताकि शेष भ्रूण सुरक्षित रूप से विकसित हो सकें।

आईवीएफ की मदद से जुड़वा या अधिक बच्चों का जन्म अब कोई चमत्कार नहीं है। यह तकनीक लाखों परिवारों के लिए खुशियों का कारण बनी है। हालांकि, इससे जुड़े जोखिमों को समझना और सही विकल्पों का चयन करना बेहद जरूरी है। जिन्हें लंबे समय से संतान सुख का इंतजार था, उनके लिए आईवीएफ किसी वरदान से कम नहीं। लेकिन हर दंपति को इस प्रक्रिया को अपनाने से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए ताकि उनकी सेहत और उनके बच्चे का भविष्य सुरक्षित रहे।

आईवीएफ एक अद्भुत प्रक्रिया है, जिसने विज्ञान और तकनीक को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। जुड़वा बच्चों का सपना जरूर आकर्षक हो सकता है, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई और चुनौतियों को समझना जरूरी है। इसलिए अगर आप आईवीएफ कराने की सोच रहे हैं, तो सही जानकारी और विशेषज्ञों की सलाह के साथ आगे बढ़ें।
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