Israel Hezbollah War: इज़राइल पर हिजबुल्लाह के रॉकेट हमले, कमांडर इब्राहिम अकील की हुई मौत?
Israel Hezbollah War: हिजबुल्लाह और उत्तरी इज़राइल के बीच चल रहा संघर्ष एक नई चिंता का विषय बन गया है। हिजबुल्लाह, एक लेबनानी शिया मुस्लिम आतंकवादी समूह, ने शुक्रवार को उत्तरी इज़राइल पर 140 से ज्यादा रॉकेट दागे, जिसके बाद इज़राइल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए बेरूत पर हमला किया और हिजबुल्लाह के रदवान फोर्स के कमांडर इब्राहिम अकील को मार गिराया। इस लेख में हम जानेंगे कि इस संघर्ष की जड़ें क्या हैं, मौजूदा तनाव की शुरुआत कहां से हुई, और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
संघर्ष की शुरुआत कहा से हुई?
यह तनाव कोई नई बात नहीं है। हिजबुल्लाह और इज़राइल के बीच के विवाद कई दशकों से चले आ रहे हैं। मौजूदा तनाव उस समय बढ़ गया जब हिजबुल्लाह ने उत्तरी इज़राइल पर बड़े पैमाने पर रॉकेट दागे। यह हमला हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की चेतावनी के बाद हुआ, जिसमें उन्होंने इज़राइल पर बड़े पैमाने पर हमले का बदला लेने का संकल्प लिया था। इज़राइली सेना ने भी लेबनान की राजधानी बेरूत में हमला कर हिजबुल्लाह के मुख्य ठिकानों को निशाना बनाया। हिजबुल्लाह के रॉकेट हमलों का मुख्य निशाना उत्तरी इज़राइल के सैन्य ठिकाने और हवाई सुरक्षा केंद्र थे। हिजबुल्लाह का दावा है कि उसने कत्युशा रॉकेटों के माध्यम से कई सैन्य ठिकानों पर हमला किया है। इज़राइली सेना ने बताया कि गोलान पहाड़ियों, साफेद और ऊपरी गैलिली के क्षेत्रों में 120 से अधिक मिसाइलें दागी गईं। हालाँकि, अधिकांश मिसाइलें खुले क्षेत्रों में गिरीं और कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
इज़राइल की जवाबी कार्रवाई पर बात की जाएं तो इज़राइल ने हिजबुल्लाह के हमलों का जवाब बेरूत में हवाई हमला करके दिया। इन हमलों में कम से कम आठ लोग मारे गए और 59 अन्य घायल हो गए। इज़राइली सेना ने सीमा पर तैनात सैनिकों की संख्या भी बढ़ा दी है, जिससे सीमा पर तनाव और भी ज्यादा बढ़ गया है।
इब्राहिम अकील हिजबुल्लाह की एलीट रदवान फोर्स के कमांडर और जिहाद काउंसिल के प्रमुख थे। उन्हें एक कट्टरपंथी नेता माना जाता है, जिन पर अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगाए थे। अकील पर 1983 में बेरूत स्थित अमेरिकी दूतावास पर बमबारी करने और 1980 के दशक के दौरान अमेरिकी और जर्मन नागरिकों को बंधक बनाए रखने का आरोप है। हाल के हमलों के बाद यह स्पष्ट नहीं है कि अकील इज़राइली हमले में मारे गए या नहीं, लेकिन हिजबुल्लाह के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे उस समय घटनास्थल पर मौजूद थे।
यह संघर्ष दोनों पक्षों के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है। हिजबुल्लाह का कहना है कि वह इज़राइल के हमलों का बदला लेने के लिए तैयार है, जबकि इज़राइल भी किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए अपनी सेना को पूरी तरह मुस्तैद कर चुका है। इस संघर्ष का असर पूरे मध्य पूर्व के राजनीतिक और सैन्य संतुलन पर पड़ सकता है, और किसी भी बड़े संघर्ष से क्षेत्र में अस्थिरता और बढ़ सकती है।