सड़क हादसे में घायलों का अब Modi सरकार कराएगी इलाज !
सड़क हादसे में पीड़ितों को राहत देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. हादसे में पीड़ितों को सरकार की ओर से 1.5 लाख तक की मदद दी जाएगी.
ना किसी ने पुलिस को फोन किया ना ही उसे अस्पताल पहुंचाने की जहमत उठाई आखिरकार एक कार वहां से गुजरी उसका ड्राइवर तड़पते शख्स को देख उतरा और उसे अस्पताल पहुंचाया। लेकिन अस्पताल पहुंचते पहुंचते काफी देरी हो गई और वहां पहुंचने के कुछ समय बाद ही उसने दम तोड़ दिया। अगर समय रहते शख्स को अस्पताल पहुंचाया जाता तो उसकी जान बच जाती। ये पहला केस नहीं है ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां हादसों में लोग समय पर इलाज ना होने के कारण जान गवां देते हैं अब सरकार ने इस पर चिंता जताई है और प्रभावी कदम उठाते हुए बड़ा ऐलान किया है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कैशलेस इलाज योजना का ऐलान किया है।इसके तहत सड़क हादसे में घायलों को डेढ़ लाख तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। हादसे में घायल के 7 दिन तक के इलाज के लिए इलाज का खर्चा सरकार वहन करेगी। इसके साथ ही हिट एंड रन के मामले में भी सरकार पीड़ित परिवार को 2 लाख का मुआवजा देगी।
दरअसल, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सभी राज्यों के परिवहन मंत्रियों के साथ बैठक की थी।जिसमें सड़क हादसों को रोकने और पीड़ितों को राहत देने के लिए सरकार ने कुछ प्रभावी कदम उठाए हैं। बैठक में बढ़ते सड़क हादसों को लेकर गंभीर चिंता जताई गई और परिवहन संबंधी नीतियों पर चर्चा की गई। इसमें कैशलेस उपचार योजना पर विचार किया गया और बैठक के बाद नितिन गडकरी ने इस योजना का ऐलान भी कर दिया।
‘कैशलेस उपचार’ योजना को ऐसे समझें
सड़क हादसे में घायल के इलाज के लिए 1.5 लाख तक देगी सरकार । सड़क हादसे में घायल की 24 घंटे के अंदर देनी होगी सूचना ।अधिकतम 7 दिन के इलाज के लिए दिए जाएंगे 1.5 लाख।इस साल मार्च तक ‘कैशलेस उपचार’ स्कीम लागू करेगी सरकार।हिट एंड रन केस में मृतकों के परिजनों को दिए जाएंगे 2 लाख रुपए। पहले 6 राज्यों में लागू की गई थी ‘कैशलेस उपचार’ योजना। असम, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ उत्तराखंड और पुडुचेरी में चला प्रोजेक्ट।
6 राज्यों में लागू कैशलेस इलाज योजना के तहत करीब 2100 लोगों की जान बचाई गई थी। सड़क हादसों में समय पर इलाज पीड़ित के लिए बेहद जरूरी होता है इसलिए सरकार ने अब इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई है। हालांकि सरकार को इस प्रोजेक्ट में कुछ कमियां भी दिखीं। जिनमें सुधार के बाद ही इसे पूरे देश में मार्च तक लागू किया जाएगा।
हर साल सड़क हादसे में लाखों लोग जान गवां देते हैं साल 2014 से 2023 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो 15 लाख से ज्यादा लोगों ने जान गवां दी। इनमें हजारों मौतों का कारण समय पर इलाज का अभाव भी है। पिछले कुछ महीनों में हमारे सामने रोड एक्सीडेंट के कई दर्दनाक केस सामने आए। इसके रैश ड्राइंविंग, ड्रिंक एंड ड्राइव, हिट एंड रन, नींद की झपकी यातायात नियमों का उल्लंघन समेत कई कारण हो सकते हैं। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के अनुसार।
हर साल सड़क हादसों में मौतों का आंकड़ा बढ़ा
साल 2014 में 1.4 लाख लोगों की मौत। साल 2015 में 1.46 लाख लोगों की मौत । साल 2016 में 1.51 लाख लोगों की मौत ।साल 2017 में 1.48 लाख लोगों की मौत। साल 2018 में 1.58 लाख लोगों की मौत। साल 2019 में 1.59 लाख लोगों की मौत ।साल 2020 में 1.38 लाख लोगों की मौत। साल 2021 में 1.54 लाख लोगों की मौत। साल 2022 में 1,68 लाख लोगों की मौत। साल 2023 में 1.73 लाख लोगों की मौत।
परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, साल 2024 में करीब 1 लाख 80 हजार लोगों ने सड़क हादसे में जान गवाई है। नितिन गडकरी ने बताया 30 हजार लोगों ने तो हेलमेट मा पहनने की वजह से जान गवां दी।
राज्यों के परिवहन मंत्रियों के साथ हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रालय ने रोड सेफ्टी नियमों को और सख्त करने पर सहमति जताई। नितिन गडकरी ने कहा, हर साल सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करना भी सरकार की प्राथमिकता है।
रोड सेफ्टी के मुद्दे को नितिन गडकरी लोकसभा में उठा चुके हैं। उन्होंने खुद माना था कि भारत एक्सीडेंट केसेज को कम करने के लक्ष्य में हम अभी भी काफी पीछे हैं। उन्होंने बतौर परिवहन मंत्री 50% हादसे कम करने का लक्ष्य रखा था। हालांकि देश में हादसों को लेकर इंसानी समझ, सतर्कता, और संवेदनशीलता एक अहम फैक्टर है जो पिछले कुछ सालों में बेहद कम दिखी है. ऐसे में सरकार की कैशलेस उपचार योजना इसमें कुछ हद तक जरूर मदद मिलेगी।