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Republic Day Parade 2024: क्या दिल्ली की झांकी कभी परेड का हिस्सा बनेगी?

गणतंत्र दिवस की परेड भारतीय संस्कृति और देश की विविधता का शानदार प्रतीक मानी जाती है। इस अवसर पर हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाने के लिए झांकी प्रस्तुत करते हैं, लेकिन इस बार भी दिल्ली की झांकी कर्तव्य पथ पर नहीं दिखाई देगी। यह लगातार दूसरा साल है जब दिल्ली सरकार का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है।
Republic Day Parade 2024: क्या दिल्ली की झांकी कभी परेड का हिस्सा बनेगी?
नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस की परेड भारतीय संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर और देश की विविधता का अद्भुत प्रतीक होती है। हर साल इस परेड में विभिन्न राज्य अपनी सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और विकास को प्रस्तुत करते हैं। लेकिन इस साल भी राजधानी दिल्ली की झांकी कर्तव्य पथ पर नहीं दिखेगी। यह लगातार दूसरा साल है जब दिल्ली सरकार का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है। इससे पहले, पिछले साल भी दिल्ली की झांकी का प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया था। आइए जानते हैं इस बार दिल्ली की झांकी को खारिज किए जाने के पीछे का कारण और किन राज्यों की झांकियां परेड में दिखेंगी।
क्या था दिल्ली सरकार का प्रस्ताव?
दिल्ली सरकार ने गणतंत्र दिवस परेड में अपनी झांकी पेश करने का प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में दिल्ली की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाने की योजना थी, ताकि राष्ट्रीय राजधानी का योगदान देश के विकास और विविधता को प्रदर्शित किया जा सके। दिल्ली की झांकी में न केवल ऐतिहासिक स्मारक, बल्कि शहर की कला, संस्कृति और आधुनिक विकास को भी प्रदर्शित करने की योजना थी। दिल्ली की झांकी को खारिज करने का कारण इसके मानदंडों पर खरा नहीं उतरना बताया जा रहा है। एक अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तुत झांकी की थीम, प्रस्तुति और प्रभाव निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं कर पाए। रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने इस झांकी को चयन प्रक्रिया के दौरान अस्वीकार कर दिया। इस समिति में विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे, जिन्होंने झांकी के प्रस्ताव की समीक्षा की और उसे खारिज कर दिया।
रोटेशन नीति के तहत चयन
रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल एक रोटेशन नीति लागू की थी, जिसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से झांकी के प्रस्ताव मांगे गए थे। इस नीति के अनुसार, हर राज्य को हर तीन साल में एक बार झांकी पेश करने का अवसर मिलेगा। इसी नीति के तहत 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव मांगे गए थे। जिन राज्यों की झांकी इस साल परेड में दिखेगी, उनमें गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, गोवा, झारखंड, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा और दादरा और नगर हवेली शामिल हैं। इन राज्यों की झांकियों को इस साल के गणतंत्र दिवस परेड में प्रदर्शित किया जाएगा।
मिजोरम और सिक्किम ने किया नाम वापस
दिलचस्प बात यह है कि मिजोरम और सिक्किम ने 15 की प्रारंभिक सूची में शामिल होने के बावजूद झांकी प्रस्तुत करने में असमर्थता व्यक्त की है। ये दोनों राज्य अपनी झांकी प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं हैं, जबकि अन्य राज्य अपनी सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इस साल लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के प्रस्तावों को भी खारिज कर दिया गया। इन केंद्र शासित प्रदेशों ने चयन प्रक्रिया में विशेषज्ञ समिति के सामने अपनी झांकी प्रस्तुत नहीं की। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इन क्षेत्रों से कोई प्रतिनिधि समिति के समक्ष नहीं आए, और उनके प्रस्तावों का उचित मूल्यांकन नहीं हो सका।

दिल्ली, जो देश की राजधानी है, का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बेहद गहरा है। यहां के ऐतिहासिक स्मारक जैसे लाल किला, इंडिया गेट और कुतुब मीनार न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश के गौरव का प्रतीक हैं। दिल्ली की झांकी में इन महान स्मारकों के साथ-साथ आधुनिकता और विकास की भी झलक होनी चाहिए थी। दिल्ली की सांस्कृतिक विविधता, जहां हर भाषा, धर्म और संस्कृति का संगम होता है, को भी इस झांकी के जरिए प्रदर्शित किया जा सकता था।
आखिरकार, दिल्ली की झांकी का क्या होगा?
दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद, अब सवाल यह उठता है कि क्या अगले साल दिल्ली की झांकी परेड में शामिल होगी या नहीं। दिल्ली की झांकी को लेकर लोगों की उम्मीदें हर साल बढ़ती हैं, और हर कोई इस बात को लेकर उत्साहित रहता है कि राजधानी की संस्कृति और विकास को इस परेड के माध्यम से कैसे दिखाया जाएगा। हालांकि, इस साल दिल्ली को फिर से निराशा हाथ लगी है, लेकिन आने वाले सालों में शायद इस झांकी की जगह मिल जाए, क्योंकि दिल्ली की संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर भारत की आत्मा का हिस्सा है।

गणतंत्र दिवस परेड भारत की विविधता और संस्कृति का प्रतीक है, और इस बार भी कई राज्यों की झांकी इस परेड का हिस्सा बनेगी। हालांकि दिल्ली की झांकी को खारिज किया गया है, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो गया है कि परेड में चयन का निर्णय बेहद सावधानी से लिया जाता है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी झांकी प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा, और हम सब को इस महापर्व का इंतजार रहेगा।
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