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भारत में गेम-चेंजर हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण, जानिए क्या है इसकी खासियत?

भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए लॉन्ग रेंज हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इस परीक्षण ने भारत को उन देशों की विशेष सूची में शामिल कर दिया है, जिनके पास यह अत्याधुनिक तकनीक है। यह उपलब्धि केवल भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता का भी प्रमाण है।
भारत में गेम-चेंजर हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण, जानिए क्या है इसकी खासियत?
भारत ने अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह मिसाइल ध्वनि की गति से छह गुना तेज़ यानी मच 6 की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है। 1,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने वाली यह मिसाइल भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई तक ले जाती है।

हाइपरसोनिक मिसाइल, क्या है यह तकनीक?

हाइपरसोनिक मिसाइलें पारंपरिक मिसाइलों से बिल्कुल अलग होती हैं। इनकी खासियत है इनकी अत्यधिक गति और दुश्मन के रडार सिस्टम को चकमा देने की क्षमता। हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना तेज (माच 5 से अधिक) चल सकती हैं। यह मिसाइलें पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में अधिक सटीक और घातक होती हैं। इनकी गति, ऊंचाई, और मार्ग बदलने की क्षमता इन्हें दुश्मन के लिए पकड़ पाना लगभग असंभव बना देती है।

भारत ने हाल ही में अपने स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इस परीक्षण को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) और इंडियन आर्म्ड फोर्सेस ने मिलकर अंजाम दिया। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य को सटीकता से भेदते हुए अपनी क्षमताओं को साबित किया। यह मिसाइल न केवल अत्यधिक गति से यात्रा करती है, बल्कि यह दुश्मन के सबसे उन्नत रडार और एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी चकमा देने में सक्षम है। इस परीक्षण का स्थान और तकनीकी विवरण गोपनीय रखा गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, मिसाइल ने पांच मिनट से भी कम समय में हजारों किलोमीटर की दूरी तय की। वैसे आपको बता दें कि ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इस मिसाइल का परीक्षण किया गया। फ्लाइट डेटा से साबित हुआ कि यह मिसाइल बेहद सटीक है और टर्मिनल युद्धाभ्यास में माहिर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा, “यह भारत की सैन्य ताकत को अभूतपूर्व बढ़ावा देगा।”

जहां चीन और रूस इस तकनीक में अग्रणी माने जाते हैं, वहीं भारत का यह कदम क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने में सहायक होगा। 2020 में भारत ने पहली बार हाइपरसोनिक तकनीक प्रदर्शन वाहन (HSTDV) का सफल परीक्षण किया था, जो आज इस उपलब्धि का आधार बना। इस परीक्षण के साथ भारत अब अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देशों की उस चुनिंदा सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास हाइपरसोनिक तकनीक है। डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी ने इसे 'गेम-चेंजर' बताया। यह मिसाइल सेना, नौसेना और वायुसेना में उपयोग के लिए तैयार की जाएगी। नौसैनिक संस्करण दुश्मन के युद्धपोतों को नष्ट करने में मदद करेगा।

हाइपरसोनिक मिसाइल की असाधारण गति और सटीकता इसे युद्धक्षेत्र में निर्णायक बना देती है। यह तकनीक न केवल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाएगी, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर भी मजबूत बनाएगी। भारत का हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण केवल एक तकनीकी प्रगति नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और रक्षा क्षेत्र में आत्मविश्वास का प्रतीक है। आने वाले वर्षों में, यह मिसाइल भारत की सुरक्षा को एक नई मजबूती
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