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खेल रत्न की दौड़ से मनु भाकर क्यों है गायब? जाने कैसे तय होते हैं खेल रत्न के विजेता?

खेल रत्न पुरस्कार भारत का सबसे बड़ा खेल सम्मान है, जो हर साल उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है। हाल ही में यह पुरस्कार तब चर्चा में आया जब पेरिस ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली निशानेबाज मनु भाकर का नाम पुरस्कार की सूची में शामिल नहीं किया गया।
खेल रत्न की दौड़ से मनु भाकर क्यों है गायब? जाने कैसे तय होते हैं खेल रत्न के विजेता?
खेल रत्न अवॉर्ड, जिसे अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाता है, भारत में खेल जगत का सर्वोच्च सम्मान है। इसकी शुरुआत 1991-92 में हुई थी, और यह उन खिलाड़ियों को दिया जाता है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया हो। लेकिन हाल ही में निशानेबाज मनु भाकर को लेकर एक विवाद ने इस पुरस्कार को चर्चा का विषय बना दिया है।
मनु भाकर विवाद, क्या है पूरा मामला?
मनु भाकर, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में दो मेडल जीतकर भारत का नाम गौरवान्वित किया, का नाम खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामित नहीं किया गया। इस पर उनके पिता राम किशन और कोच जसपाल राणा ने अपनी नाराज़गी जाहिर की। राम किशन ने कहा कि छोटे स्तर के नौकरशाह खिलाड़ियों के करियर को प्रभावित करते हैं। वहीं, जसपाल राणा का कहना था कि मनु जैसी खिलाड़ी का नाम अपने आप सूची में होना चाहिए।

खेल रत्न पुरस्कार खिलाड़ियों को उनके पिछले चार साल के प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है। इस अवॉर्ड के लिए पात्रता की शर्तें स्पष्ट हैं। खिलाड़ी का प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट होना चाहिए। डोपिंग रोधी एजेंसियों द्वारा किसी भी खिलाड़ी को प्रतिबंधित दवाओं का दोषी पाए जाने पर उसे पुरस्कार के लिए अयोग्य माना जाएगा। निलंबन या प्रतिबंध की अवधि पूरी होने के बाद ही खिलाड़ी के नाम पर विचार होगा।

खेल रत्न पुरस्कार प्रक्रिया के बावजूद, हर साल किसी न किसी नामांकन को लेकर विवाद होता है। यह सवाल उठता है कि क्या पुरस्कार प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है। अक्सर, नौकरशाही और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण योग्य खिलाड़ियों के साथ अन्याय होता है। मनु भाकर ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मेरा लक्ष्य देश के लिए खेलना और अच्छा प्रदर्शन करना है। सम्मान और पुरस्कार मुझे प्रेरित करते हैं, लेकिन यह मेरा अंतिम लक्ष्य नहीं है। नामांकन में कुछ त्रुटि रही होगी, जिसे ठीक कर लिया गया है।”

इस अवॉर्ड का पहला विजेता भारत के शतरंज ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद थे। इसके बाद सचिन तेंदुलकर, मैरी कॉम, पीवी सिंधु, विराट कोहली, और अभिनव बिंद्रा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को यह सम्मान दिया जा चुका है। अभिनव बिंद्रा इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।
कैसे होता है नामांकन?
खेल रत्न अवॉर्ड के लिए खिलाड़ी खुद युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की प्रक्रिया में निम्नलिखित शामिल हैं। नामांकन फॉर्म भरकर संबंधित ईमेल पर भेजना। सभी आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ आवेदन करना। खेल मंत्रालय की पुरस्कार समिति सभी आवेदनों की समीक्षा करती है और अंतिम सूची जारी करती है। इसके अलावा, नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन, इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन, और स्टेट स्पोर्ट्स बोर्ड भी योग्य खिलाड़ियों के नाम की सिफारिश कर सकते हैं।

खेल रत्न केवल एक सम्मान नहीं है, बल्कि यह खिलाड़ी की मेहनत और लगन का प्रमाण है। यह पुरस्कार उनके करियर को नई ऊंचाई पर ले जाता है और उन्हें भविष्य में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करता है। मनु भाकर विवाद ने एक बार फिर इस अवॉर्ड प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। यह जरूरी है कि ऐसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों की प्रक्रिया निष्पक्ष और न्यायपूर्ण हो। मनु की तरह, हर खिलाड़ी का सपना होता है कि उसकी मेहनत का सही मूल्यांकन हो। यह कहानी खिलाड़ियों के संघर्ष, सफलता, और उनकी राह में आने वाली चुनौतियों को समझने का मौका देती है।
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