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Ratan Tata के निधन से क्यों शोक में डूबा है पूरा जमशेदपुर? जानिए उनके गहरे रिश्ते की कहानी

Ratan Tata: झारखंड का जमशेदपुर शहर, जिसे 'टाटानगर' भी कहा जाता है, आज शोक में डूबा हुआ है। यह शहर, जो टाटा समूह के योगदान के कारण विश्वभर में पहचाना जाता है, अचानक शांति में लिपटा हुआ है। दुर्गा पूजा के रंगीन उत्सव के बीच, लाउडस्पीकर बंद कर दिए गए हैं और बाजारों में हलचल थम गई है। इस शहर में इस तरह का शोक फैल जाने के पीछे का कारण है प्रसिद्ध उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का दुनिया का अलविदा कहना, जिससे पूरा शहर गहरे शोक में है।
Ratan Tata के निधन से क्यों शोक में डूबा है पूरा जमशेदपुर? जानिए उनके गहरे रिश्ते की कहानी
Ratan Tata: झारखंड का जमशेदपुर शहर आज शोक में डूबा हुआ है, और इसका कारण है टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का निधन। रतन टाटा के निधन की खबर से पूरा शहर स्तब्ध है। लेकिन इस शहर को एक औद्योगिक केंद्र में बदलने वाले और इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले रतन टाटा का जमशेदपुर से क्या गहरा नाता था, क्यों आज इस शहर के हर कोने में टाटा समूह के योगदान की छाप है, और कैसे इस शहर ने रतन टाटा के नेतृत्व में विश्वस्तरीय पहचान बनाई? अपने इस लेख में हम आपको यह तमाम जानकारी देंगे। 
जमशेदपुर से रतन टाटा का जुड़ाव
लगभग 120 साल पहले, जब यह क्षेत्र अविभाजित बंगाल का हिस्सा था, जमशेद जी टाटा ने कालीमाटी नामक स्थान पर टाटा कंपनी की नींव रखी। यह सपना केवल एक कंपनी स्थापित करने का नहीं था, बल्कि एक पूरे शहर को विकसित करने का था। धीरे-धीरे, यह शहर टाटा स्टील (पहले टिस्को) के नेतृत्व में एक औद्योगिक केंद्र बन गया। जब टाटा स्टील (टिस्को) की स्थापना हुई, तो इस क्षेत्र का कायाकल्प शुरू हो गया। टाटा समूह के प्रयासों से कच्ची बस्तियों से लेकर आधुनिक शहरी बुनियादी ढांचे तक, जमशेदपुर पूरी तरह से बदल गया। चौड़ी सड़कें, हरियाली, पार्क, और उद्योग के साथ यह शहर भारत के सबसे समृद्ध औद्योगिक नगरों में से एक बना।

रतन टाटा, जो टाटा समूह के मानद चेयरमैन रहे, उनका इस शहर से बेहद गहरा रिश्ता था। कहते हैं उनके करियर की शुरुआत भी इसी शहर जमशेदपुर से ही हुई थी, और वे इस शहर को अपने परिवार की तरह मानते थे। वे अक्सर जमशेदपुर का दौरा करते रहे, और हर साल 3 मार्च को आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेने की भी पूरी कोशिश करते थे।
जमशेदपुर में रतन टाटा के नेतृत्व में हुए बदलाव
रतन टाटा ने सिर्फ उद्योग में नहीं, बल्कि जमशेदपुर की सामाजिक संरचना में भी बड़ा बदलाव किया। टाटा समूह ने यहाँ CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सेवाओं में अहम योगदान दिया। टाटा मोटर्स अस्पताल (TMH) हो या कैंसर अस्पताल की स्थापना, टाटा ग्रुप ने हर कदम पर इस शहर के लोगों की भलाई के लिए काम किया। रतन टाटा की पहल पर जमशेदपुर में XLRI जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की स्थापना हुई, जो आज देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में से एक है। टाटा समूह ने न केवल अपने कर्मचारियों के लिए, बल्कि पूरे शहर के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा की उच्च गुणवत्ता प्रदान की। जमशेदपुर की शान – जुबली पार्क, जो टाटा समूह की ओर से जनता को समर्पित है, रतन टाटा के नेतृत्व में और विकसित हुआ। यह पार्क टाटा स्टील की उपलब्धियों का प्रतीक है और यहाँ से शहर की शान को देखा जा सकता है। जुबली पार्क का निर्माण 500 एकड़ में किया गया है, जो शहर के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल भी है।
रतन टाटा के प्रति कर्मचारियों और जनता का प्रेम
टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के कर्मचारी रतन टाटा को सिर्फ अपने चेयरमैन के रूप में नहीं, बल्कि एक मित्र और मार्गदर्शक के रूप में देखते थे। उनका सादगीपूर्ण स्वभाव और कर्मचारियों के प्रति आत्मीयता ने उन्हें जमशेदपुर के हर व्यक्ति के दिल में एक खास स्थान दिलाया। उनकी लोकप्रियता और सराहना का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके निधन के बाद पूरा जमशेदपुर शहर शोक में डूबा हुआ है। रतन टाटा के निधन के बाद, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। उन्होंने कहा कि रतन टाटा के योगदान ने झारखंड और देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गर्व का अनुभव कराया है। उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण ने न केवल उद्योग को, बल्कि समाज को भी मजबूत किया।

आपको बता दें कि रतन टाटा का जमशेदपुर से केवल एक औद्योगिक संबंध नहीं था, बल्कि यह रिश्ता उनके दिल से जुड़ा हुआ था। उनके निधन से यह शहर अपने एक सच्चे मार्गदर्शक को खो चुका है। जमशेदपुर, जिसे रतन टाटा ने एक महान औद्योगिक केंद्र बनाया, आज शोक में है। उनकी विरासत, उनके द्वारा किए गए कार्य और उनके प्रति लोगों का प्यार हमेशा इस शहर की पहचान बने रहेंगे।
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