23 साल का लड़का देसी गायों का Successful Farm चलाता है, बड़े-बड़े अधिकारी युवा के फैन । Gwalior
स्वभाव, धर्म, सभ्यता को भूल बैठे हैं | जड़ों की आज भव्यता को भूल बैठे हैं | कि कृष्ण जिनके लिए स्वर्ग से चले आए | उसी की आज दिव्यता को भूल बैठे हैं | लेकिन कोई है, जो धर्म और सभ्यता के साथ गौआधारित जीवन को सफलतापूर्वक जीने में जी जान से जुटा है। वो कोई और नहीं 23 साल का एक लड़का है, जिसकी कोशिशों ने उम्मीद की उछाल मारती लहरों को जन्म दिया है।
अक्सर Being Ghumakkad की टीम मध्यप्रदेश की माटी में अनदेखी ऐतिहासिक धरोहरों की तलाश में घुमक्कड़ी करने निकलती है। इस बार निकले तो ग्वालियर शहर के निमिष पराशर के बारे में पता चला। निमिष ने ग्रेजुएशन करने के साथ-साथ किसी कॉम्पटिशन की तैयारी नहीं की, ना किसी बड़े बिज़नेस में हाथ आज़माया। निमिष ने शहर के करीब इस बड़ी सी भूमि पर खेती शुरू की, साथ ही राठी और साहीवाल जैसी गाय के नस्ल सुधार पर काम करके सबको हैरत में डाल दिया। चलिए Being Ghumakkad की टीम निमिष के Shree Kunj फार्म के मुख्य द्वार पर पहुंच गयी है | मुख्य द्वार से अंदर दाखिल होते ही एक बात समझ आ गयी Shree Kunj फार्म को हाईटेक नहीं बनाया गया। बल्कि उसे नेचुरल रखने की कोशिश की गयी हैं। यानी कम लागत में देसी गाय और उसके उत्पादों का एक व्यवसाय।
हॉबी और हेल्थ को एक साथ जोड़कर निमिष ने भारतीय नस्ल की गायों खासकर राठी और साहीवाल पर काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने बेहद ज़मीनी स्तर पर काम शुरू किया। इस काम में उनके परिवार का भी भरपूर साथ मिला। सिर्फ 11 साल की उम्र में जो गाय श्यामा मिली, वो शुद्ध भारतीय नस्ल तो नहीं, लेकिन श्यामा ने एक शुरूआत करवा दी। आज वो कारवां 35 से ज्यादा गायों तक पहुंच गया है।
चारा गौपालन का मुख्य आधार है। अगर चारा अपना उगाया हुआ हो तो गौपालन के प्रॉफिट में जाने की ज्यादा संभावनाएं हैं। और अगर चारे में वरायटी ज्यादा हों तो गायों का स्वास्थ्य और दूध में भी गुणवत्ता बनी रहती है। अच्छी क्वालिटी की गायें, अच्छी क्वालिटी का चारा और समझदार गौसेवक हों तो सब आसाना हो जाता है। निमिष पराशर ने साल 2022 में इसी Shree Kunj फार्म से 25 लाख रुपए का टर्नओवर किया। ग्वालियर शहर में निमिष के दूध, घी और छाछ के हाई प्रोफाइल ग्राहक हैं। श्री कुंज फार्म से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ना चाहते हैं, लेकिन वेटिंग की एक लंबी क़तार है। इसलिए Being Ghumakkad का युवाओं को संदेश है, कोई भी काम छोटा नहीं होता। इरादे, सही दिशा और कुछ करने का जज्बा हो तो छोटा काम भी बड़े बिज़नेस मॉडल में तब्दील किया जा सकता है।