हिमाचल प्रदेश के काली का टिब्बा में होगी आपकी हर मन्नत पूरी
शिमला, कुल्लू-मनाली जैसे famous destination से दूर चैल एक ऐसा tourist place है, जहां आपको शांति मिलेगी। साथ ही एक ऐसी शक्ति के दर्शन होंगे जो बार बार-बार आपको चैल आने को बेक़रार कर देगी। उस चमत्कारी जगह का नाम है काली का टिब्बा (Kali Ka Tibba)
शहर की चकाचौंध से जब दिल भर जाता है, तनाव जब ज़िंदगी में हावी होने लगता है…तो कॉन्क्रीट के जंगलों से दूर हरे-भरे पहाड़ों की ओर बढ़ चलिए |
चले आइए हिमाचल प्रदेश के चायल या कहें चैल। शिमला, कुल्लू-मनाली जैसे famous destination से दूर चैल एक ऐसा tourist place है, जहां आपको शांति मिलेगी। साथ ही एक ऐसी शक्ति के दर्शन होंगे जो बार बार-बार आपको चैल आने को बेक़रार कर देगी। उस चमत्कारी जगह का नाम है काली का टिब्बा (Kali Ka Tibba)।
देवी के इस पावन स्थल के लिए Being Ghumakkad ने दिल्ली से 400 किलोमीटर दूर चैल की ओर गाड़ी बढ़ाई तो मैदानी इलाकों की सीमा खत्म होते ही हरे-भरे पहाड़ और नीला आसमान नज़र आने लगा। अगले कुछ घंटे में पूरी टीम चैल से कुछ किलोमीटर पहले सोलन जिले के साधुपुल River Valley Camp में थी। Being Ghumakkad ने पहली रात एक कैंप को अपना ठिकाना बनाया। यहां एक रात बिताने के बाद दूसरे दिन हम चैल के काली का टिब्बा मंदिर की ओर जोश और जुनून के साथ बढ़ चले। चीड़-देवदार के खूबसूरत जंगलों के बीच से होते हुए Being Ghumakkad की टीम करीब 19 किलोमीटर दूर काली का टिब्बा पहुंच गई। दूर से ही काली मंदिर एक ऊंची चोटी पर नज़र आने लगता है। काली का मतलब आप जानते हैं कि कौन सी देवी हैं। टिब्बा का अर्थ है ऊंचा टीला, चोटी या ऊंची पहाड़ी।
अगर आप trekking के शौकीन हैं तो इस जगह से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर काली का टिब्बा तक पैदल जा सकते हैं। अगर आप चलने से बचना चाहते हैं तो अपनी गाड़ी के पहियों को सीधे मंदिर परिसर में पहुंचा सकते हैं। हालांकि मैं इस रास्ते में पैदल-पैदल ही आगे बढ़ी।
Kaali Ka Tibba Mandir (काली का टिब्बा मंदिर)
सफेद संगमरमर से सिर्फ चारदीवारी ही नहीं बनी। मंदिर का निर्माण भी मार्बल से किया गया है। जैसे ही मंदिर परिसर में पार्किग एरिया की तरफ गाड़ी से चढ़ते हैं तब ऐसा लगता है मानों आप नीले-नीले बादलों की सवारी करने जा रहे हैं। जैसे-जैसे आप देवी काली के मुख्य मंदिर के करीब बढ़ते जाते हैं। लगने लगता है जैसे देवी के धाम से आपका जन्मों-जन्मों का नाता है।
काली का मंदिर काफी बड़े इलाके में बनाया गया है। परिसर के बीचों-बीच देवी विराजती हैं। देवी के दर्शनों के लिए कुछ सीढ़ियां ऊपर चढ़कर जाना होता है। Being Ghumakkad की टीम देवी के सामने थी। लेकिन जैसे ही हमने देवी के अद्भुत रूप को कैमरे में रिकॉर्ड करना चाहा, मंदिर से जुड़े लोगों ने हमें ऐसा करने से मना कर दिया। इसकी वजह ये थी कि इन दिनों देवी काली की मूर्ति में पेंटिंग का काम चल रहा है। इसलिए हर वक्त उसे एक पर्दे से ढके रहते हैं। मंदिर का रखरखाव देखने वाले लोगों ने हमें देवी के बहु-भुजाओं वाले रूप की तस्वीरें ज़रूर दी। देवी काली के इस अनोखे रूप के अलावा आप यहां श्रीगणेश मंदिर और पंचमुखी हनुमान मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यहां गणेश-हनुमान की मूर्तियां केसरिया रंग में रंगी हैं।
देवी काली के गर्भगृह की तरह मंदिर के बाहर भी निर्माण कार्य चल रहा है। दरअसल साल 2020 में यहां बिजली गिरने से नुकसान हुआ था। इस बार भी ख़राब मौसम के चलते मंदिर को नुकसान पहुंचा, इसलिए लगातार काम चल रहा है। काली का टिब्बा में देवी-देवताओं के दर्शन के अलावा भक्त एक दूसरा काम भी कर लेते हैं। वो है मंदिर के व्यू प्वाइंट से आस-पास की खूबसूरत पहाड़ियों का दीदार। इस इलाके में आकर लोग तस्वीरें और सेल्फी ज़रूर खींचते हैं। यहां से Choor Chandni और Shivalik Range की चोटियों के दर्शन भी हो जाते हैं।
अभी हम मंदिर से शिवालिक रेंज देखने में व्यस्त थे कि तभी काले-काले बादलों ने काली मंदिर को चारों ओर से घेर लिया। Being Ghumakkad की टीम कुछ सोच-समझ पाती अचानक ज़ोरों की ओलावृष्टि होने लगी। अब तो एक कदम खुले में रुकना नामुमकिन सा हो गया।
तो देखा आपने ये है पहाड़ की माया, एक पल में धूप दूजे पल में छाया। इस ओलावृष्टि और बारिश ने काली का टिब्बा के मौसम को ठंडा बना दिया। और हम ठिठुरन के बीच अपने होटल की ओर लौट चले। लेकिन जैसे-जैसे हम काली का टिब्बा से दूर होते गए मौसम फिर से खिलखिलाने लगा। अगर आप यहां जाना चाहें तो दिल्ली से आप पहले शिमला भी जा सकते हैं। शिमला से करीब 46 किलोमीटर दूर काली का टिब्बा पहुंचने में 2 घंटे का समय लगता है।