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Ayodhya Ram Mandir - भव्य और दिव्य राम मंदिर को जिसने देखा देखता ही रह गया !

उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के तट पर बसी मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या, जिसका एक समृद्ध इतिहास रहा है। सप्तपुरियों में से एक अयोध्या का इतिहास कहता है की इस जगह को ऋषि मनु ने बसाया था जिसे ईश्वर का नगर कहा गया है। इस जगह की अहमियत बेहद ज़्यादा है लेकिन पिछले कई वर्षों से अयोध्या, मंदिर और मस्जिद के विवादों में ही घिरा रहा।आखिरकार राम लला का मंदिर उनकी जन्मभूमि में बनाने का निर्णय लिया गया।
Ayodhya Ram Mandir - भव्य और दिव्य राम मंदिर को जिसने देखा देखता ही रह गया !

होहिं सगुन सुभ बिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान। पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान

मतलब अनेक प्रकार के शुभ शकुन हो रहे हैं, आकाश में नगाड़े बज रहे हैं. नगर के पुरुषों और स्त्रियों को दर्शन देकर भगवान राम महल को चल पड़े | सच पूछिए तो अयोध्या में 500 सालों के संघर्ष के बाद ये शुभ घड़ी आई है | भगवान राम टेंट से निकलकर महल में राजा राम की तरह विराजमान हो रहे हैं | वो शुभ तारीख नजदीक चुकी है | 


प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदयं राखि कौसलपुर राजा

भगवान के नगर में प्रवेश करते हुए कौसलपुर नरेश मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का ध्यान करें | क्योंकि अब प्रभु राम अपने रामलला रूप में दर्शन देने वाले हैं | 


तारीख – 22 जनवरी 2024

ये कोई आम तारीख नहीं है | सच पूछिए तो 500 सालों के संघर्ष के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखी जाने वाली ये तारीख है | तो चलिए प्रभु राम का नाम लेकर हम प्रवेश करें अयोध्या में | वही पावन भूमि जहां भगवान श्रीराम का जन्म हुआ |


उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के तट पर बसी मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या, जिसका एक समृद्ध इतिहास रहा है। सप्तपुरियों में से एक अयोध्या का इतिहास कहता है की इस जगह को ऋषि मनु ने बसाया था जिसे ईश्वर का नगर कहा गया है। इस जगह की अहमियत बेहद ज़्यादा है लेकिन पिछले कई वर्षों से अयोध्या, मंदिर और मस्जिद के विवादों में ही घिरा रहा।आखिरकार राम लला का मंदिर उनकी जन्मभूमि में बनाने का निर्णय लिया गया।  


बीइंग घुमक्कड़ उस समय यहाँ आई थी जब अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर बनने की तैयारी शुरू हो चुकी थी और तब जो दृश्य था, अब वो पूरी तरह से बदल चुका है | राम मंदिर के निर्माण का काम बड़ी ही तीव्रता से चल रहा है। मंदिर परिसर के आस पास की सड़कें और दुकानें पूरी तरह से सज चुकी हैं और पहले के मुक़ाबले अयोध्या में घूमने का अनुभव भी इस बार कुछ अलग ही था। मंदिर जाने के रास्ते में आने वाली सारी दुकानों की बनावट एक जैसी कर दी गई है। यहाँ आपको हर किस्म की दुकानें मिल जाएंगी जैसे खिलौनों की, सजावट की, खाने पीने की, प्रसाद की, पूजा सामग्री की दुकान। इस सड़क पर चलते हुए ऐसा लग रहा था मानो पूरा शहर भगवा रंग में रंगा हुआ हो |


राम नगरी में लोगों की भीड़ अभी से इकट्ठी हो चुकी है राम लला के सत्कार के लिए। सिर्फ उत्तर प्रदेश या आस पास से ही नहीं भारत के कोने कोने से राम भक्त राम जन्मभूमि के दर्शन करने आएं हैं और इसी वजह से अयोध्या नगरी में उत्सव का माहौल है।


यहाँ पहुँचते ही सबसे पहले मैं और मेरी टीम उस जगह गए जहाँ कई सालों से मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों का सौंदर्यीकरण हो रहा है | कार्यशाला जहाँ पर राजस्थान से आए लाल पत्थरों को खूबसूरत नक्काशी से तराशा जा रहा है जिसके लिए कारीगर भी राजस्थान से ही आएं हैं। जहाँ एक तरफ पत्थरों पर नक्काशी हो रही है वहीं दूसरी तरफ स्थानीय महिलाएँ तैयार किए गए पत्थरों को चमक देने का काम कर रही हैं। इन पत्थरों को एक दूसरे के साथ interlocking system की मदद से जोड़ा जाएगा जो मंदिर को भव्य रूप देगा |


इनमें से एक महिला कारीगर से बात करते हुए पता चला की वो ये काम डेढ़ साल से कर रही हैं। और उनकी तरह ही बाकी औरतें भी कई सालों से इस काम में लगी हुई हैं | इतने करीने से और भक्तिभाव में चूर इन्हें काम करते हुए देख मेरा भी मन हुआ श्री राम मंदिर की तैयारी में थोड़ा सा योगदान देने का। हालांकि मेरा योगदान इन सबकी मेहनत के आगे कुछ भी नहीं पर प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए इतना सा करके भी मन को अजीब सा सुकून मिला। 


कार्यशाला में नायाब नक्काशी वाले पत्थरों के अलावा एक मंदिर भी है जिसमें एक बड़ा सा घंटा रखा हुआ है जो दक्षिण भारत से आया है। इस एक घंटे का वज़न लगभग 13 टन से ज़्यादा है। इस मंदिर के ठीक बाहर ही भव्य राम मंदिर का लकड़ी से बना हुआ मॉडल भी रखा है जिसे देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं की जब ये मंदिर अपने मूल रूप में आएगा तो ये कितना शानदार लगेगा। 


कार्यशाला में भी लोगों की भीड़ उमड़ रही थी ये देखने के लिए की भगवान राम को प्रतिष्ठित करने के पीछे कितनी मेहनत और कितना आयोजन चल रहा है। यहाँ आए हुए राम भक्त प्रभु के प्रति अपनी भक्ति और भावना रोक नहीं पा रहे थे। भगवान राम के बारे में बात करते हुए भी उनकी आँखों से आंसू छलक रहे थे। ये दर्शाता है की सिर्फ अयोध्यावासी ही नहीं, भारत देश का हर नागरिक श्री राम के इंतज़ार में कई सालों से अपनी पलकें बिछाए बैठा था और उनका इंतज़ार अब खत्म होने वाला है।


राम मंदिर के दर्शन से पहले यहाँ के कोतवाल से मिलना और उनसे इजाज़त लेना बेहद ज़रूरी होता है, तो हम भी चल पड़े उनके द्वार अपनी अपनी अर्ज़ी लेकर। कहते हैं की सबसे पहले रामनगरी की रक्षा करने वाले और यहाँ का कार्यभार संभालने वाले बजरंगबली के दर्शन करके ही आपको राम मंदिर जाना चाहिए। निर्माणाधीन राम मंदिर से चंद कदम पहले ही आता है हनुमानगढ़ी जहाँ साक्षात बजरंगबली का वास है।


हनुमानगढ़ी के दर्शन करने के लिए लोगों का हुजूम लगा हुआ था और सब हनुमान जी के दर्शन करने के लिए व्याकुल थे। ये मंदिर एक ऊंचे टीले पर बना है जहाँ तक जाने के लिए 76 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है। मैं और मेरी टीम भी भीड़ का हिस्सा बने और सीढ़ियां चढ़नी शुरू की। मंदिर के आस पास फूल प्रसाद की दुकानें हैं और यहाँ बजरंगबली को चढ़ाने के लिए उनके मनपसंद देसी घी में बने बेसन के लड्डू भी मिल रहे थे। कहा जाता है की अयोध्या शहर के मध्य में स्थित हनुमानगढ़ी का निर्माण अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने एक बाबा के आदेश पर करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी भी बहुत आकर्षक है। अंदर प्रवेश करते ही आपको मंदिर परिसर की दीवारों में हनुमान चालीसा की चौपाइयां दिखेंगी। यहाँ आने वाला हर भक्त दर्शन करने के बाद हनुमान चालीसा भी पढ़ता हैं। मंदिर परिसर में बैठ कर आप कुछ पल शान्ति के बिता सकते हैं। 


बजरंगबली के दर्शन करने के बाद हमारा काफिला बढ़ चला उस जगह की ओर जिसे भगवान राम के महल का प्रवेश द्वार कहा जाता है। इस जगह का नाम है श्री राज द्वार मंदिर और ये राम कोट क्षेत्र के पांच मुख्य मंदिरों में से एक है। राज द्वार मंदिर का शिखर अयोध्या नगरी में प्रवेश करते ही दूर से आपको दिख जाएगा | मंदिर के अंदर हमें यहाँ के मुख्य पुजारी पंडित नन्द किशोर पाठक जी मिले जिन्होंने हमें इस मंदिर की महत्ता के बारे में बताया। राज द्वार मंदिर को राज दरबार के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ भगवान राम, लक्ष्मण जी और माता सीता के अलावा ब्रह्मा, विष्णु, महेश, श्री कृष्णा, माँ दुर्गा सभी देवी देवता विराजते हैं। ऊंचाई पर बने इस मंदिर परिसर से अयोध्या का नज़ारा मन मोहने वाला है। 

 

श्री राज द्वार मंदिर में कुछ वक़्त बिताने के बाद हम आखिर में पहुंचे सरयू के तट पर। हमारा सफर ख़त्म हो चला था और सरयू घाट हमारा आखिरी पड़ाव था। अयोध्या में आने वाला शायद ही ऐसा कोई श्रद्धालु होगा जो राम की पैड़ी देखने आता हो। राम की पैड़ी, सरयू के किनारे बने घाटों की शृंखला है और रात में इस जगह की सुंदरता देखते बनती है। लोग यहाँ आराम से आकर बैठ सकें और इस जगह का आनंद ले सकें इसके लिए राम की पैड़ी में कई तरह के बदलाव किए गए हैं। यहाँ पर लगे लेज़र लाइट और एक बड़ी सी स्क्रीन पर चल रही प्रभु श्री राम की कहानी यहाँ का मुख्य आकर्षण है। अधिक से अधिक श्रद्धालुओं के बैठने के लिए स्टेडियम की तरह सीढ़ियां भी बनाई गई हैं |

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