Advertisement

यहां किया तंत्र-मंत्र का अनुष्ठान, बनेंगे बिगड़े काम, बिना सिर वाली छिन्नमस्तिका मां के चमत्कार

छिन्नमस्तिका मंदिर की यात्रा का आरंभ हुआ हार्ट ऑफ झारखंड यानी रांची से। यहां से कांके होते हुए टीम Being Ghumakkad सिकदरी घाटी पहुंच गयी। रांची से सिकदरी घाटी करीब पचास किलोमीटर दूर है। जिसे घुम्मकड़ों की टोली ने करीब एक घंटा 15 मिनट में पूरा कर लिया। घुम्मकड़ी के चाहने वाले यहां रुककर ज़रूर फोटो-सेशन करते हैं।
यहां किया तंत्र-मंत्र का अनुष्ठान, बनेंगे बिगड़े काम, बिना सिर वाली छिन्नमस्तिका मां के चमत्कार

क्या छिन्नमस्तिका मंदिर में होती है आधी रात में तंत्र साधना?

क्या रात में सजता है छिन्नमस्तिका धाम में अघोरियों का दरबार?

क्या सच में इस मंदिर में की गयी साधना कभी खाली नहीं जाती?

और क्या दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने की है छिन्नमस्तिका मंदिर की तंत्र साधना पर रिसर्च?

ऐसे सवालों के जवाब की तलाश में Being Ghumakkad की टीम ने रांची से करीब 90 किलोमीटर दूर रामगढ़ के रजरप्पा जाने का फैसला कर लिया। वो रजप्पा जहां मौजूद है काली का बेहद उग्र रूप वाला मंदिर छिन्नमस्तिका। वो देवी जिनका धड़ से सिर अलग है, वो देवी जिन्होंने अपने दोनों हाथों से कटे सिर को पकड़कर रखा है।


छिन्नमस्तिका मंदिर की यात्रा का आरंभ हुआ हार्ट ऑफ झारखंड यानी रांची से। यहां से कांके होते हुए टीम Being Ghumakkad सिकदरी घाटी पहुंच गयी। रांची से सिकदरी घाटी करीब पचास किलोमीटर दूर है। जिसे घुम्मकड़ों की टोली ने करीब एक घंटा 15 मिनट में पूरा कर लिया। घुम्मकड़ी के चाहने वाले यहां रुककर ज़रूर फोटो-सेशन करते हैं। सावन के महीने में ये इलाका स्वर्ग से कम प्रतीत नहीं होता, यहां की हरियाली और रास्ते लोगों के लिए बेस्ट आउटिंग डेस्टिनेशन बन जाते हैं। Being Ghumakkad भी इन रास्तों पर कुछ समय बिताकर आगे बढ़ गया और जल्द ही गोला और फिर वहां से रजरप्पा पहुंच गए। यहीं पर छिन्नमस्तिका माता का मंदिर स्थित है।


रजरप्पा आकर पता चला असम के कामाख्या मंदिर के बाद छिन्नमस्तिका दूसरा सबसे जागृत शक्तिपीठ के रूप में पहचान रखता है। इस चमत्कारी स्थान पर लोगों का अगाध विश्वास है। मंदिर दो नदियों भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित है। जो इस स्थान की खूबसूरती को काफी बढ़ा देता है। लोग यहां दर्शनों के साथ-साथ घूमने का मन बनाकर भी पहुंचते हैं।


लाल, पीले, नीले रंग में रंगे छिन्नमस्तिका मंदिर में उड़ीसा के स्थापत्य कला की झलक दिखायी देती है। लोगों का विश्वास है मंदिर का इतिहास करीब 6000 साल पुराना है। कुछ लोग मंदिर का समय काल महाभारत के दौरान का बताते हैं। ये मंदिर के अंदर प्रवेश करने का मुख्य द्वार है। छिन्नमस्तिका देवी के अलावा यहां महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंगबली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल सात मंदिर है। छिन्नमस्तिका मंदिर में स्थापित देवी को लेकर एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है एक बार मां काली अपनी दो सहेलियों के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने पहुंची थीं। स्नान के दौरान मां की सखियों को तेज़ भूख लगी और वो बेहाल होने लगी। भूख की वजह से सखियों का रंग काला पड़ने लगा। मां ने अपनी सखियों को थोड़ा सब्र करने को कहा। लेकिन जब वो कुछ ज्यादा ही व्याकुल हो उठीं, तो मां को ऐसा कदम उठाना पड़ा जिसे जानकर इंसान सिहर जाए। माँ ने उसी वक़्त अपना सिर काट दिया। जब वहाँ से रक्त धारा निकलने लगी तो उसी रक्त धारा से उन्होंने अपनी सहेलियों की भूख मिटाई


छिन्नमस्तिका मां के गर्भगृह में कैमरा ले जाना सख्त मना है। वहां की वीडियोग्राफी नहीं की जा सकती। मंदिर के अंदर स्थापित देवी की प्रतिमा के दाएं हाथ में तलवार, बाएं हाथ में अपना ही कटा सिर है। इस प्रतिमा में भी देवी मां के कटे धड़ से रक्त की तीन धाराएं प्रवाहित हो रही हैं। एक शिलाखंड में मां की तीन आंखें हैं। जिसमें देवी बायां पैर आगे बढ़ाकर कमल पुष्प पर विराजित हैं। उनके पांव के नीचे रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं। देवी के गले में सर्पमाला और मुंडमाल हैं। साथ ही उनके केश खुले और बिखरे हुए हैं। माना जाता है यहां जो भी देवी से बुद्धि का वरदान मांगता है, वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता।


स्थानीय लोग बताते हैं दिवाली के दौरान अमावास्या की रात देवी के इस स्थान पर तंत्र सिद्धि के लिए साधु और तांत्रिक पहुंचते हैं। उस रात कुछ लोग यहां गुप्त तो कुछ खुले स्थान पर तंत्र साधना करते दिखायी दे जाते हैं। अमावस्या की रात मां छिन्नमस्तिका का धाम श्रद्धालुओं के लिए रात भर खुला रहता है। लोगों का विश्वास है उस रात मांगी गयी मनोकामना ज़रूर पूरी होती है। जो श्रद्धालु यहां मनोकामना मांगते हैं वो एक पत्थर बांधकर चले जाते हैं। जिनकी मनोकामना पूरी होती है, वो यहां लौटकर ज़रूर आते हैं और एक पत्थर को खोलकर जाते हैं। इन सबके अलावा Being Ghumakkad की यात्रा में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिसमें ये साबित हो सके कि वैज्ञानिकों ने यहां किसी भी तांत्रिक प्रभाव को लेकर रिसर्च की हो। हां, ये बात सच जान पड़ती है कि तंत्र-मंत्र को लेकर लोगों की छिन्नमस्तिका मां पर काफी आस्था है। 


अगर आप भी रजरप्पा के इस धाम में आना चाहते हैं, तो यहां से करीब 28 किलोमीटर दूर रामगढ़ कैंट स्टेशन है। जहां से आप छिन्नमस्तिका आसानी से पहुंच सकते हैं। रांची से टैक्सी लेकर भी आप छिन्नमस्तिका 2 से 2.5 घंटे में पहुंच सकते हैं। रांची देश के लगभग हर बड़े शहर से रेल और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है।

Advertisement
Advertisement