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ड्रोन टेक्नोलॉजी पर GST काउंसिल की नजर, 5% जीएसटी लगाने पर चर्चा

यह निर्णय ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल और इसके व्यवसायिक उपयोग को ध्यान में रखते हुए लिया जा सकता है। ड्रोन का इस्तेमाल अब केवल रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि कृषि, लॉजिस्टिक्स, और निरीक्षण जैसी कई व्यावसायिक गतिविधियों में भी बढ़ गया है।
ड्रोन टेक्नोलॉजी पर GST काउंसिल की नजर, 5% जीएसटी लगाने पर चर्चा
Photo by:  Google

GST Council: भारत सरकार द्वारा ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में कई नए बदलाव किए जा रहे हैं, और अब जीएसटी काउंसिल बिज़नेस के लिए उपयोग होने वाले ड्रोन पर 5% जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है। यह निर्णय ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल और इसके व्यवसायिक उपयोग को ध्यान में रखते हुए लिया जा सकता है। ड्रोन का इस्तेमाल अब केवल रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि कृषि, लॉजिस्टिक्स, और निरीक्षण जैसी कई व्यावसायिक गतिविधियों में भी बढ़ गया है। ऐसे में, ड्रोन पर टैक्स लागू करने से सरकार को राजस्व प्राप्त होने की संभावना है, साथ ही इससे ड्रोन उद्योग के विकास में भी मदद मिल सकती है....

बिज़नेस ड्रोन के उपयोग का विस्तार 

आजकल ड्रोन का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में फसलों की निगरानी, कीटनाशक छिड़काव और मृदा की गुणवत्ता जांचने के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा, ड्रोन का उपयोग लॉजिस्टिक्स, निर्माण, आपातकालीन सेवाओं, रियल एस्टेट निरीक्षण, और यहां तक कि मीडिया एवं फिल्म निर्माण में भी किया जा रहा है। यह तकनीक व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण बन चुकी है, क्योंकि यह काम को तेजी से और कम लागत में पूरा करने में मदद करती है। 

वर्तमान में, भारत में ड्रोन के लिए कोई विशेष जीएसटी नहीं है, लेकिन जीएसटी काउंसिल इसे व्यवसायिक उपयोग के लिए टैक्स के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत, ड्रोन पर 5% की दर से जीएसटी लगाया जा सकता है, जो विभिन्न उद्योगों में इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकता है। 

जीएसटी काउंसिल का विचार और इसके प्रभाव

जीएसटी काउंसिल के सामने यह सवाल है कि क्या ड्रोन पर 5% टैक्स लगाने से छोटे और मध्यम व्यवसायों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, या इससे ड्रोन की उपलब्धता बढ़ेगी और व्यवसायों को इसका उपयोग करने में आसानी होगी।काउंसिल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यवसायों पर कोई अतिरिक्त दबाव न बने, बल्कि ड्रोन के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।

यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो ड्रोन कंपनियों को अपने उत्पादों पर 5% जीएसटी चुकाना होगा। इससे पहले, व्यवसायों को ड्रोन को आयात करने और उसे इस्तेमाल करने में अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ सकता था। हालांकि, जीएसटी काउंसिल की योजना यह सुनिश्चित करने की है कि व्यवसायों के लिए ड्रोन की उपलब्धता सस्ती हो और यह तकनीक अधिक से अधिक व्यावसायिक क्षेत्रों में उपयोग हो सके। 

कृषि और अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव

यह कदम खासतौर पर कृषि क्षेत्र के लिए लाभकारी साबित हो सकता है, जहां ड्रोन का उपयोग तेज और प्रभावी तरीके से खेती और फसलों की निगरानी करने के लिए किया जाता है। जीएसटी में 5% की दर के साथ, व्यवसायों को ड्रोन की कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन साथ ही, इससे ड्रोन के उपयोग में भी वृद्धि होगी, क्योंकि सरकार इस तकनीक को अधिक सुलभ और किफायती बनाने की कोशिश कर रही है। 

इसके अलावा, अन्य क्षेत्रों जैसे निर्माण और लॉजिस्टिक्स में ड्रोन के उपयोग में वृद्धि हो सकती है, जो काम को अधिक तेजी से और सटीकता से पूरा करने में मदद करता है। जीएसटी लागू होने से इन क्षेत्रों में ड्रोन के उपयोग में भी वृद्धि हो सकती है, जो विकासशील व्यवसायों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

जीएसटी काउंसिल द्वारा ड्रोन पर 5% जीएसटी लगाने का विचार भारत में ड्रोन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। यह कदम ड्रोन के व्यावसायिक उपयोग को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता बढ़ सकती है। हालांकि, इस निर्णय से पहले काउंसिल को सभी संभावित प्रभावों का मूल्यांकन करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इससे व्यवसायों पर कोई अत्यधिक वित्तीय बोझ न पड़े। 

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