2025 का वित्तीय संकट Bitcoin को कर देगा खत्म? जानिए सोना क्यों बन रहा है सुरक्षित विकल्प
क्या बिटकॉइन 2025 तक खत्म हो सकता है? इस सवाल ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी है, खासकर जब मशहूर अर्थशास्त्री पीटर शिफ ने दावा किया कि "जिस तरह 2008 के आर्थिक संकट ने बिटकॉइन को जन्म दिया, उसी तरह 2025 का संकट इसका अंत भी ला सकता है।"

क्या बिटकॉइन, जो कभी निवेश की क्रांति का प्रतीक था, अब अपने अंत की ओर बढ़ रहा है? यह सवाल आज हर क्रिप्टो इन्वेस्टर के दिल में गूंज रहा है। वजह है फेमस अर्थशास्त्री पीटर शिफ का एक बड़ा बयान, जिसने पूरी दुनिया के वित्तीय जगत को झकझोर दिया है।
शिफ ने कहा "बिटकॉइन का जन्म 2008 की वैश्विक मंदी में हुआ था, और 2025 की आर्थिक तबाही इसे निगल जाएगी।" यह बात सुनते ही सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों तक खलबली मच गई। लेकिन सवाल सिर्फ इतना नहीं है कि बिटकॉइन गिरेगा या उठेगा। असली सवाल ये है क्यों गिर रहा है? किस हद तक गिर सकता है? और क्या यह असल में खत्म हो जाएगा, या फिर यह है एक गहरे तूफान के बाद आने वाली नई सुबह की शुरुआत?
2025 का 'ब्लैक मंडे' और बिटकॉइन की बर्बादी
7 अप्रैल 2025, सोमवार – इस दिन को अब 'ब्लैक मंडे' के नाम से जाना जा रहा है। ग्लोबल शेयर बाजारों में अचानक भारी गिरावट आई। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 90 दिनों तक सभी टैरिफ को होल्ड पर रखने का ऐलान किया, जिससे ट्रेड वार की आशंका और तेज हो गई। इसी बीच, बिटकॉइन की कीमतों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई – महज तीन महीने में 27% की गिरावट। इस गिरावट ने निवेशकों को झकझोर दिया। क्रिप्टो मार्केट में हलचल तेज हो गई। कई लोगों ने अपने पोर्टफोलियो को रातोंरात गोल्ड में बदलना शुरू कर दिया।
बिटकॉइन बनाम सोना, किसका भविष्य सुरक्षित?
शिफ ने एक और चौंकाने वाला बयान दिया "अगर अमेरिकी सरकार ने बिटकॉइन रिजर्व की बजाय सोने में निवेश किया होता, तो उन्हें 2% फायदा होता, न कि 12% का घाटा।" 9 अप्रैल को सोने की कीमत $3,175 प्रति औंस तक पहुंच गई जो अब तक का रिकॉर्ड हाई है। वहीं बिटकॉइन 43,000 डॉलर से गिरकर 31,000 डॉलर पर आ गया। ऐसे में सोने और बिटकॉइन के बीच की तुलना फिर से चर्चा में आ गई है।
शिफ का मानना है कि बिटकॉइन एक 'हाइप' है, जिसकी कोई स्थायी वैल्यू नहीं है। जबकि सोना हजारों सालों से मूल्य का प्रतीक रहा है। एक बार फिर वही पुराना सवाल लौट आया है "क्या बिटकॉइन डिजिटल गोल्ड है, या सिर्फ एक बुलबुला?"
क्रिप्टो जगत में दिग्गजों की चुप्पी
पीटर शिफ की आलोचना सिर्फ बिटकॉइन तक सीमित नहीं रही। उन्होंने माइकल सेलर और उनकी कंपनी माइक्रोस्ट्रैटजी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि "इन लोगों ने लोगों के पैसों को जोखिम में डाल दिया है, और अब जब बाजार गिर रहा है, तो ये सब गायब हो गए हैं।" सिर्फ बिटकॉइन ही नहीं, ईथरियम भी संकट में है। रातोंरात 1,500 डॉलर से गिरकर 1,400 डॉलर तक आ गया। शिफ ने यहां तक भविष्यवाणी कर दी कि "ईथरियम जल्द ही 1,000 डॉलर के नीचे आ जाएगा।"
डॉलर की गिरावट और आर्थिक तनाव
शिफ ने अमेरिका की आर्थिक स्थिति पर भी बड़ा सवाल उठाया। 9 अप्रैल को डॉलर यूरो के मुकाबले 2.3% और स्विस फ्रैंक के मुकाबले 3.9% गिरा। उन्होंने पूछा "क्या अमेरिका सच में ट्रेड वॉर जीत रहा है?" इस सवाल के जवाब में बाजार से मिली प्रतिक्रिया डरावनी थी – गोल्ड के शेयरों में 5% उछाल और ट्रेजरी यील्ड में भारी उतार-चढ़ाव। ये संकेत है कि आर्थिक अस्थिरता सिर पर मंडरा रही है।
क्या स्टैगफ्लेशन बिगाड़ देगा क्रिप्टो का खेल?
स्टैगफ्लेशन, यानी महंगाई के साथ आर्थिक सुस्ती। ये वो हालात हैं जब ना नौकरियां बढ़ती हैं, ना सैलरी, पर कीमतें आसमान छूती हैं। यही स्थिति आज अमेरिका समेत कई देशों की बन चुकी है। ऐसे माहौल में पीटर शिफ का कहना है कि "डिजिटल एसेट्स की कोई जगह नहीं है। जब पेट भरने के लाले पड़ें, तब लोग बिटकॉइन नहीं, रोटी और सोना चुनेंगे।" उनकी इस सोच ने एक नई बहस को जन्म दिया है – "क्या क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ अमीरों का खिलौना है?"
लेकिन क्या ये सच में बिटकॉइन का अंत है?
यहाँ कहानी एक नई दिशा लेती है। जितने लोग बिटकॉइन के अंत की बात कर रहे हैं, उतने ही लोग इसे 'डिजिटल फीनिक्स' कह रहे हैं – जो हर बार राख से उठता है। 2018 में भी बिटकॉइन $6,000 तक गिर गया था। लोगों ने कहा था – “ख़त्म हो गया।” फिर 2021 में यह $65,000 के पार चला गया। क्या इतिहास खुद को दोहराएगा? क्रिप्टो इन्वेस्टर समुदाय अभी भी बंटा हुआ है। कोई इसे बेच रहा है, कोई और खरीदने का इंतजार कर रहा है। हकीकत यह है कि बिटकॉइन की तकनीक ब्लॉकचेन अब सिर्फ करेंसी नहीं, कई सेक्टर्स की रीढ़ बनती जा रही है।
2025 में बिटकॉइन को लेकर डर बढ़ा है, ये सच है। लेकिन हर डर के पीछे संभावना भी छुपी होती है। बिटकॉइन का भविष्य खतरे में जरूर है, लेकिन खत्म नहीं। जैसे-जैसे वैश्विक बाजार स्थिरता की ओर लौटेंगे, जैसे-जैसे सरकारें क्रिप्टो को लेकर स्पष्ट नीतियाँ बनाएंगी, और जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी में ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी – बिटकॉइन फिर से उड़ान भर सकता है।