भारतीय सीमा पर 4.5 जनरेशन विमान का पहरा, पाकिस्तान और चीन क्यों हैं खौफ में?
भारत के सामने चीन और पाकिस्तान की चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। इन खतरों से निपटने के लिए भारत अपनी वायुसेना को आधुनिक बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमान, जिनमें रडार की पकड़ से बचने, सुपरसोनिक गति से उड़ान भरने और उन्नत सेंसर जैसी क्षमताएं हैं, भारतीय वायुसेना के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
भारत के सामने मौजूदा समय में सबसे बड़ा खतरा उसके दो पड़ोसी देशों, चीन और पाकिस्तान से है। दोनों ही देश सीमा पर लगातार अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं, जो भारतीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में भारतीय वायुसेना को अपग्रेड करने और उसकी ताकत को कई गुना बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इस दिशा में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति वायुसेना के मौजूदा ढांचे में खामियों को पहचानकर उन्हें दूर करने के लिए रोडमैप तैयार करेगी और भविष्य की रणनीतियों पर काम करेगी।
क्यों जरूरी है वायुसेना की क्षमता में बढ़ोतरी?
पाकिस्तान और चीन की ओर से मिल रहे लगातार खतरों ने भारत को चौकन्ना कर दिया है। चीन ने अपनी वायुसेना और हथियार प्रणाली को काफी उन्नत किया है। वहीं पाकिस्तान भी चीन के साथ मिलकर नई तकनीकों का उपयोग कर रहा है। इन दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग ने भारत के लिए खतरा पैदा कर दिया है। ऐसे में भारतीय वायुसेना को न केवल अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है, बल्कि तकनीकी रूप से उन्नत हथियार और विमान भी चाहिए।
4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की आवश्यकता
सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 114 नए 4.5 जनरेशन के लड़ाकू विमानों के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। ये विमान तकनीकी रूप से बेहद उन्नत होंगे और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होंगे। इन्हें स्वदेशी तकनीक और विदेशी सहयोग से विकसित किया जाएगा।
114 नए विमानों के निर्माण की परियोजना में कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन्हें स्वदेशी तकनीक के आधार पर तैयार करना है, जो समय और संसाधन दोनों की मांग करती है। इसके अलावा, रक्षा उपकरणों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है। दूसरी बड़ी चुनौती बजट की है। इस प्रोजेक्ट में भारी निवेश की जरूरत होगी। हालांकि, मोदी सरकार ने रक्षा बजट में लगातार वृद्धि की है, लेकिन यह देखना होगा कि इतने बड़े प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक कैसे पूरा किया जाता है।
4.5 पीढ़ी के विमानों की खासियतें
सटीकता और स्टील्थ तकनीक: ये विमान रडार की पकड़ में नहीं आते, जिससे दुश्मन के इलाके में गुपचुप ऑपरेशन करना संभव होता है।
बेहतर वेपन सिस्टम: इनमें मिसाइल, बम और लेजर गाइडेड वेपन्स का अत्याधुनिक सेटअप होता है।
उन्नत एवियोनिक्स: इनके एवियोनिक्स सिस्टम इतने उन्नत हैं कि ये हवा में ही रीयल-टाइम डाटा प्रोसेसिंग कर सकते हैं।
सुपरक्रूज क्षमता: ये विमान बिना आफ्टरबर्नर का उपयोग किए सुपरसोनिक स्पीड हासिल कर सकते हैं।
मल्टीरोल क्षमता: 4.5 जनरेशन के विमान न केवल एयर-टू-एयर लड़ाई के लिए बल्कि जमीन और समुद्री लक्ष्यों पर हमले के लिए भी सक्षम होते हैं।
भारत की योजनाएं और चुनौतियां
सरकार ने 114 नए 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण और खरीद का लक्ष्य रखा है। इन विमानों को या तो पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा या विदेशी सहयोग से भारत में ही बनाया जाएगा। हालांकि, यह प्रक्रिया आसान नहीं है। भारत को अभी भी स्टील्थ और उन्नत एवियोनिक्स तकनीक में महारत हासिल करनी है। ऐसे विमानों का निर्माण महंगा होता है, जिसके लिए भारी बजट की आवश्यकता है। रक्षा परियोजनाएं अक्सर देरी का शिकार होती हैं, जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता बढ़ाने के लिए तेज गति से काम करने की जरूरत है।
4.5 पीढ़ी के विमानों का निर्माण और अधिग्रहण न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश भी देगा कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ये विमान चीन और पाकिस्तान की किसी भी साजिश का माकूल जवाब देने में सक्षम होंगे। इस परियोजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी मजबूत करेगा। भारत में ही इन विमानों का निर्माण देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को नई ऊंचाईयों तक ले जाएगा। इसके साथ ही यह देश में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा और विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी।
भारत के लिए 4.5 जनरेशन के जंगी विमानों का अधिग्रहण और निर्माण एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। यह न केवल हमारी सैन्य शक्ति को बढ़ाएगा बल्कि दुश्मनों को भी यह संदेश देगा कि भारत अब किसी भी खतरे का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। नरेंद्र मोदी सरकार का यह निर्णय देश की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारतीय वायुसेना के इस अपग्रेडेशन से भारत की सीमाएं पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित होंगी।