इज़रायल ने अग्निवीर पहले ही कर लिए थे तैयार, जंग में देश के लिए करते हैं बड़ा काम
इजरायल के पास एक ऐसी फोर्स है जो जरूरत पड़ने पर जंग भी लड़ती है औऱ अपने देश के लिए जान तक देने में गुरेज़ नहीं करती जानकारों के मुताबिक़ जिस योजना के दम पर इजरायल बड़े से बड़े दुश्मन को मात देने की शक्ति रखता है वो भारत की अग्निवीर योजना से मेल खाती है।
दुनिया एक और जंग के मुहाने पर खड़ी है। Israel और ईरान के बीच अगर जंग हुई तो बेहद भीषण होगी..ईरान ने जब से 200 मिसायलें इज़रायल पर दागी तब से घायल और ख़ूँख़ार इज़रायल बदला लेने के लिए आतुर है। इज़रायल आग बबूला है। मतलब पूरा मिडल ईस्ट इस समय ज़बरदस्त तनाव में है। और पूरी दुनिया की नज़रें मिडल ईस्ट पर टिकीं हुई हैं। इस बीच अमेरिका ने भी इज़रायल का साथ देने की बात कही है। लेकिन क्या आपको पता है कि इज़रायल की असली ताक़त क्या है वैसे ये बात सही है कि इज़रायल का डिफ़ेंस सिस्टम हो या उसके हथियार तकनीक के मामले में इज़रायल कई देशों से आगे है लेकिन उसकी असली ताक़त। उसकी सेना है। जो दुश्मन के घर में घुसकर Ground Operations कर दुश्मन का सफाया करती है। इजरायल के पास एक ऐसी फोर्स है जो जरूरत पड़ने पर जंग भी लड़ती है औऱ अपने देश के लिए जान तक देने में गुरेज़ नहीं करती।अपनी इसी तकात की बदौलत ही इजरायल कई दिनों कर जंग लड़नें में कामयाब रहता है। और अब जानकार मानते हैं कि जिस योजना के दम पर इजरायल बड़े से बड़े दुश्मन को मात देने की शक्ति रखता है वो भारत की अग्निवीर योजना से मेल खाती है। पूरी तरह सेम तो नहीं लेकिन कई पहलू जरूर एक दूसरे से मैच करते हैं।
असल में इज़रायल में एक ऐसी योजना है जिसमें देश के लोगों के लिए कुछ वक़्त के लिए सेना में सेवा देना ज़रूरी होता है। नियम कहता है कि इजरायली पुरुषों को 32 महीने और महिलाओं को 24 महीने के लिए सेना में काम करना होगा। इस वजह से IDF के पास अगर 1,69,500 सक्रिय सैन्यकर्मी हैं तो दूसरी तरफ रिजर्व की संख्या 4,65,000 तक पहुंच चुकी है। यह भी बताया गया है कि रिजर्व सेना में शामिल नागरिकों को साल में एक बार तो प्रशिक्षण के लिए जाना ही पड़ता है।अब आसान शब्दों में कहें तो इजरायल में कम समय के लिए सेना में कई युवाओं को शामिल किया जाता है। वहां इस बात को लेकर बवाल नहीं होता कि कुछ सालों की नौकरी के बाद उन युवाओं का क्या होगा। यह जरूर है कि इजरायल में सभी लोगों को कुछ समय सेना में काम करना जरूरी है, इसके लिए नियम भी बने हुए हैं।
भारत ने अलग से कोई नियम नहीं बनाया है। लेकिन अग्निवीर जैसी योजना के दम पर कम समय के लिए कई युवा सैनिकों को सेना में शामिल करने का काम जरूर किया है।अब सरकार का तर्क है कि इन युवा सैनिकों की वजह से भारतीय सेना की औसतन उम्र भी कम होगी और कई बड़े ऑपरेशन में उनकी मदद भी ली जा सकती है। इसके ऊपर क्योंकि उन्हें एक समान सैनिक की तरह ट्रेनिंग मिलती है, ऐसे में उनकी काबिलियत पर भी कोई सवाल नहीं उठता। जानकार मानते हैं कि भारत ने अब जाकर इस बारे में सोचा है, लेकिन इजरायल जैसे देशों ने शुरुआत से ही खुद को इसके लिए तैयार कर लिया था। क्योंकि इजरायल ये जानता कि जहां वो है वहाँ वो चारों तरफ़ से दुश्मनों से घिरा हुआ है।और अगर वो ऐसा नहीं करता तो जो आज आत्मविश्वास इज़रायल में दिख रहा है वो नहीं होता। इज़रायल भले ही छोटा देश हो लेकिन उसकी रणनीति में ये शामिल था कि अगर जंग हुई तो उसके पास बड़ी संख्या में सैनिक होने चाहिए। अब इसी योजना जिसे भारत की अग्निवीर योजना जैसा कहा जा रहा है उसने इज़रायल को बहुत बड़ा फ़ायदा दिया ये तो आप समझ गए होंगे ऐसी योजना ने उसे कई ऐसे सैनिक दिए जो कम वक्त ही सही लेकिन कई बड़े और बेहद ज़रूरी ऑपरेशन में उसके साथ खड़े रहे।
वैसे कम वक्त के लिए तो कई दूसरे देश भी सेना में सैनिकों की भर्ती करवाते हैं और वहां भी कोई बवाल नहीं होता। बाते चाहे उत्तर कोरिया की हो, या फिर स्विट्ज़रलैंड की, इन देशों में भी आम नागरिकों को सेना में भी काम करना पड़ता है। इसके अलावा ब्राजील, सीरिया, जॉर्जिया, लिथुआनिया जैसे देशों में ऐसे ही नियम चले आ रहे हैं।