अमेरिका के साथ बड़ी डील कर भारत ने दहलाया दुश्मन का कलेजा, खौफ में पाकिस्तान – चीन !
इन 31 ड्रोन में से भारतीय नौसेना को 15 ड्रोन, जबकि सेना और वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे। इन्हें चार जगहों पर चेन्नई में आईएनएस राजाली, गुजरात के पोरबंदर में तैनात किया जाएगा। यहां नौसेना के बेस हैं। इसके अलावा गोरखपुर और सरसावा एयरफोर्स बेस पर वायु सेना और थल सेना के लिए इनकी तैनाती की जाएगी। MQ-9B के निर्माता जनरल एटॉमिक्स ने यूएवी कंपोनेंट बनाने के लिए भारत फोर्ज के साथ हाथ मिलाया है। कंपनी ने भारत में ड्रोन के लिए एक ग्लोबल मेंटनेंस सेंटर स्थापित करने के लिए भी जोर दिया है। इसके अलावा, अमेरिकी निर्माता लड़ाकू ड्रोन विकसित करने के लिए एक भारतीय कार्यक्रम के लिए परामर्श सहायता भी देगा। भारत को इसका फायदा सबसे ज्यादा हिंद महासागर क्षेत्र में होगा, जहां चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है। 31 MQ-9B ‘हंटर-किलर’ प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की ये डील भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी का अहम हिस्सा है। इसके तहत दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल और भी ज्यादा मजबूत होगा, साथ ही रिश्तों में भी मजबूती आएगी।
क्या है MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन्स की खासियत
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन एक मानवरहित यूवी या विमान है। ये ड्रोन रिमोट से संचालित किए जाते हैं। MQ-9B के कुल दो वर्जन हैं - सी-गार्जियन और स्काई गार्जियन। ये ड्रोन जमीन से लेकर आसमान और समंदर से लॉन्च किए जा सकते हैं। MQ-9B ड्रोन को “प्रीडेटर्स” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ये हथियार से लैस होते हैं। MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन हाई एल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) की कैटेगरी में आते हैं और 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकते हैं।
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की सबसे खास बात यह है कि इसके जरिए टारगेट को दूर से ही खत्म किया जा सकता है। इन ड्रोन्स की रेंज 1850 किलोमीटर तक है। एक तरीके से भारत के हाथ में ये ड्रोन आने के बाद इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के ठिकाने पर रिमोट कंट्रोल ऑपरेशन, सर्जिकल स्ट्राइक और हिमालय की सीमाओं पर लक्ष्य को टारगेट बनाने में किया जा सकता है। MQ-9B ड्रोन 2177 किलो का पेलोड अपने साथ ले जा सकते हैं। इन ड्रोन्स में लेजर गाइडेड मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल और एंटी शिप मिसाइलें लगी होती हैं।