भारत के 'ब्रह्मास्त्र' से पाकिस्तान - चीन में खलबली, रफ़्तार जानकर उड़ेंगे होश !

पुराणों में हमने मायावी राक्षसों को पलक झपकते ही महापुरुषों के हाथों वध होते सुना है। ये भी सुना है कि एक से एक खतरनाक हथियारों से चुटकी में दुश्मनों को सबक सिखाया जाता था। लेकिन अब हमारे भारत के वैज्ञानिकों की बदौलत ही हम ऐसे हथियारों को बनते हुए देख रहे हैं। भारत ने अब ऐसा हथियार बनाकर तैयार किया है जो पलक झपकते ही किसी भी दुश्मन को तबाह कर सकता है… 'ब्रह्मास्त्र'…
DRDO ने 12,144 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल बनाकर तैयार की है, जो एक हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल है। 12,144 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ये मिसाइल नई दिल्ली से वाशिंगटन डीसी तक सिर्फ एक घंटे में पहुंच सकती है। इस मिसाइल को ज्यादा घातक इसी खूबियों से बनाया गया है। तो अगर इसकी खासियत के बारे में बात करें तो.
भारत के दुश्मनों की ‘काल’ लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल
लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल (LRAShM) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने बनाकर तैयार किया है।1,500 किलोमीटर की रेंज वाली यह मिसाइल लॉन्च होने के 7 से 8 मिनट के अंदर दुश्मन के जहाज या युद्धपोत को नष्ट कर सकती है।इसे जमीन और समुद्र दोनों जगहों से तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
LRAShM की अधिकतम स्पीड 10 मैक है, यानी इसकी स्पीड 12,144 KM/H है। इसे पहले 6 से 7 मैक माना जा रहा था। इसका मतलब है कि यह सिर्फ एक सेकंड में 3.37 किमी की दूरी तय कर सकती है, जो वाकई एक बड़ी बात है।यह एक हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल है, जिसे डिटेक्ट करना मुश्किल है।
हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है?
'हाइपरसोनिक' शब्द के मायने ऐसी रफ्तार से हैं जो ध्वनि की गति (Speed of Sound) से कम से कम पांच गुना अधिक हो। इसे Mach-5 भी कहते हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलों की एक खास बात यह होती है कि बीच रास्ते इनका रूट बदला जा सकता है। इसके उलट, बैलिस्टिक मिसाइलें एक तय कोर्स या ट्रेजेक्टरी पर चलती हैं।
किन-किन देशों के पास हाइपरसोनिक मिसाइल?
रूस और चीन हाइपरसोनिक मिसाइलें बनाने में सबसे आगे हैं। अमेरिका भी कई तरह के हाइपरसोनिक हथियार बना रहा है। इनके अलावा फ्रांस, जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल और ईरान भी हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम विकसित करने में लगे हैं।
कितने तरह के हाइपरसोनिक वेपन?
हाइपरसोनिक हथियार दो तरह के होते हैं: ग्लाइड व्हीकल्स (HGVs) और क्रूज मिसाइलें (HCMs)। HGVs रॉकेट से लॉन्च किए जाते हैं और ग्लाइड करके टारगेट तक पहुंचते हैं। जबकि HCMs अपने टारगेट को सेट करने के बाद एयर-ब्रीदिंग हाई-स्पीड इंजनों या 'स्क्रैमजेट' से चलते हैं।
अब इस मिसाइल के भारत के पास होने से भारत को चीन और पाकिस्तान से होने वाले जरा से भी खतरे में कुछ परेशानी होने वाली नहीं है। चीन के DF-17 के विपरीत, जिसकी रेंज 1,000 किलोमीटर है, भारत की LRAShM की रेंज 1,500 किलोमीटर है, जो चीन पर हर हाल में हावी पड़ने वाली है। अब आप ही बताइए भारत का ये ‘ब्रह्मास्त्र’ दुश्मनों का काल साबित होगा या नहीं।