भारत पर मिसाइल अटैक हुआ तो क्या होगा ? जानें कितना मजबूत है भारत का एयर डिफेंस सिस्टम
हाल ही में ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें दागी, जिसका इजरायल ने अपने मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम की मदद से जवाब दिया। अब सवाल उठता है, क्या भारत इस तरह के मिसाइल हमलों का सामना करने के लिए तैयार है? भारत के पास भी उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम है, जो लगातार विकसित हो रहा है। लेकिन क्या यह इजरायल के आयरन डोम की तरह सक्षम है?
इस समय दुनिया में सुरक्षा और रक्षा का मुद्दा अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है। और वो भी तब जब हम इजरायल और उसके पड़ोसियों के बीच तनाव की घटनाओं पर ध्यान देते हैं, ऐसे में अब सवाल उठता है कि अगर भारत पर भी ऐसी ताबड़तोड़ मिसाइल हमले होते हैं, तो क्या होगा? क्या भारत इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार है? भारत के पास भी उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम है, जो लगातार विकसित हो रहा है। लेकिन क्या यह इजरायल के आयरन डोम की तरह सक्षम है?
भारत के एयर डिफेंस सिस्टम की वर्तमान स्थिति
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह के अनुसार, भारत के पास एयर डिफेंस के लिए कई सिस्टम हैं और कुछ अभी पाइपलाइन में हैं। भारत ने रूस से S-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम खरीदा है, जिसकी तीन यूनिट्स भारत को मिल चुकी हैं और दो अन्य यूनिट्स अगले साल तक डिलीवर हो जाएंगी। यह सिस्टम 400 किलोमीटर तक की दूरी से दुश्मन के मिसाइल हमलों को इंटरसेप्ट कर सकता है और बैलिस्टिक मिसाइल, ड्रोन जैसे हमलों को नष्ट कर सकता है।
S-400 दुनिया के सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है। यह दुश्मन की मिसाइलों को 500 किलोमीटर तक ट्रैक कर सकता है और जैसे ही वे रेंज में आती हैं, उन्हें नष्ट कर सकता है। भारत ने 35,000 करोड़ रुपये में यह रक्षा सौदा 2018 में रूस के साथ किया था, जो भारतीय सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि है।
क्या S-400 भारत को आयरन डोम जैसी सुरक्षा देगा?
आयरन डोम और S-400 दोनों बेहद उन्नत सिस्टम हैं, लेकिन उनके कार्य करने के तरीके में थोड़ा अंतर है। आयरन डोम को विशेष रूप से छोटी दूरी के हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो अधिकतर रॉकेट और छोटी मिसाइलों को इंटरसेप्ट करता है। यह इजरायल के लिए अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है, खासकर जब वह कई मोर्चों पर लड़ रहा हो। वहीं, S-400 लंबी दूरी के मिसाइल हमलों और हवाई खतरों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है। यह सिस्टम बालिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन, और लड़ाकू विमानों से लेकर विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों को ट्रैक कर सकता है।
भारत की चुनौतियाँ
भारत का एयर डिफेंस सिस्टम मजबूत है, फिर भी कुछ चुनौतियां हैं जिनसे निपटने की आवश्यकता है, जिसे लेकर एयरफोर्स चीफ का कहना है कि इतने बड़े देश को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए और ज्यादा एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत है। भारत का भौगोलिक क्षेत्र बड़ा है, और इसलिए उसे हर क्षेत्र में सुरक्षा देने के लिए ज्यादा संख्या में एडवांस सिस्टम चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमें प्राथमिकता के अनुसार उन जगहों को चुनना होगा जो हमारी सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। मौजूदा सिस्टम सक्षम हैं, लेकिन अगर हमें हर जगह पूरी सुरक्षा चाहिए, तो हमें और ज्यादा यूनिट्स की जरूरत होगी। हालांकि इस बीच एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने एक बात बहुत साफ कही है – ट्रेनिंग और ह्यूमन रिसोर्स के लिहाज से भारत चीन से कहीं आगे है।
भारतीय वायुसेना की ट्रेनिंग: चीन से कैसे बेहतर है?
भारतीय वायुसेना की सबसे बड़ी ताकत उसकी ट्रेनिंग और अनुभव है। भारतीय पायलटों को कठिन परिस्थितियों में प्रशिक्षित किया जाता है, चाहे वो हिमालय की ऊंचाइयों पर उड़ान भरनी हो या समुद्र के ऊपर। इसके अलावा, भारत ने कई देशों की वायुसेनाओं के साथ मिलकर संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं। इससे हमारे पायलटों को वैश्विक मानकों के अनुसार प्रशिक्षण मिलता है और उनके अनुभव में लगातार सुधार होता है।
इसके विपरीत, चीन की वायुसेना, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF), हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है, लेकिन उनके पायलटों का अंतरराष्ट्रीय अनुभव अभी भी सीमित है। हालांकि चीन ने बड़े पैमाने पर अपने विमानों और तकनीकी प्लेटफार्मों को अपग्रेड किया है, लेकिन उसके पायलटों की युद्धाभ्यास और ट्रेनिंग का स्तर भारतीय वायुसेना से पीछे है।
क्या भारत तैयार है?
यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत के पास एयर डिफेंस के लिए मजबूत क्षमताएं हैं। लेकिन देश की व्यापकता और जटिल सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, मौजूदा नंबर पर्याप्त नहीं हैं। भारत को लगातार अपनी सुरक्षा प्रणालियों को अपडेट करना होगा और अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार सुरक्षा को बेहतर करना होगा। क्यों कि अगर भारत पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक होता है, तो एयर डिफेंस सिस्टम इसकी गंभीरता को कम करने में सक्षम हो सकता है। लेकिन इसका असर व्यापक हो सकता है। ऐसे हमलों से महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंच सकता है, जो कि विकास को प्रभावित करेगा। इतके अलावा ऐसे हमलों से देश में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
भारत ने रूस और इज़राइल से महत्वपूर्ण रक्षा सिस्टम खरीदे हैं, लेकिन देश की रक्षा जरूरतों को देखते हुए इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही, भारत को अपनी स्वदेशी रक्षा तकनीक पर भी काम करना होगा ताकि विदेशी निर्भरता को कम किया जा सके और भविष्य में किसी भी हमले से बेहतर ढंग से निपटा जा सके।