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केजरीवाल ने कोर्ट से जमानत मांगी ही नहीं थी, तो फिर कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत क्यों दी

Supreme Court ने पहले ही केजरीवाल को जमानत देने का इशारा कर दिया था ।क्योंकि कोर्ट ने कहा था कि आप ने ट्रायल कोर्ट में अंतरिम जमानत की अर्जी क्यों नहीं दी ।
केजरीवाल ने कोर्ट से जमानत मांगी ही नहीं थी, तो फिर कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत क्यों दी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए 10 मई का दिन सुकून भरा रहा ।क्योंकि पचास दिन जेल में रहने के बाद अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आ गए ।कोर्ट से केजरीवाल को सशर्त 23 दिनों की जमानत मिल गई। लेकिन इस जमानत के बाद एक सवाल लोगों के दिमाग मे कोंधने लगा कि केजरीवाल ने तो बेल मांगी ही नहीं थी। तो फिर कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत क्यों दी। और वो भी चुनाव प्रचार करने के लिए ।क्या चुनाव प्रचार देश में इतना जरूरी है कि एक आरोपी को जमानत दी जा सकती है। अब देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला है तो मानना तो पड़ेगा ही। 

लेकिन हां केजरीवाल पर आए फैसले से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की छाती जरुर चोड़ी हो गई होगी। क्योंकि वो भी अपनी पार्टी के सर्वेसर्वा है ।उनकी पार्टी भी लोकसभा चुनाव में उतरी है। तो वो इस केजरीवाल की जमानत को आधार बनाकर कोर्ट के सामने याचिका दाखिल कर सकते है ।और कोर्ट इस याचिका को खारिज नहीं कर पाएगा। और अगर माननीय अदालत इसे खारिज करती है तो फिर उस पर दोहरे मापदंड अपनाने के आरोप लगेंगे ।वैसे कुछ लोग तो ये आरोप अब भी लगा रहे है। और कह रहे है कि देश में आम आदमी के लिए अलग कानून और राजनेता के लिए अलग कानून क्यों। वैसे अगर गौर करें तो केजरीवाल भी तो कभी आम आदमी ही थे ।और उनकी तो पार्टी का नाम भी आम आदमी पार्टी ही है। खैर इस विषय पर नहीं जाएंगे। क्योंकि विषय ये है कि केजरीवाल ने जब जमानत मांगी ही नहीं थी तो फिर सीएम साहब को जमानत क्यों दी गई। इतनी मेहरबानी आखिर क्यों की गई ।


तो जरा याद करिए जब 21 मार्च को साहब की गिरफ्तारी हुई थी ।तब से लेकर आज तक भी केजरीवाल कहते आए है कि उनकी गिरफ्तारी असंवैधानिक है। उनकी गिरफ्तारी गैर कानूनी है ।और उनकी गिरफ्तारी को ही रद्द किया जाए ।हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में केजरीवाल को सबूतों के आधार पर आरोपी माना था। केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही माना गया था।और केजरीवाल ने इसी हाईकोर्ट ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। और कहा था कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है। केजरीवाल ने कभी भी जमानत या अंतरिम जमानत मांगी ही नही थी। जमानत का कही जिक्र ही नहीं था ।लेकिन इस मामले में ट्विस्ट आता है 29 अप्रैल को हुई सुनवाई में। जहां कोर्ट कहता है कि जब आप गिरफ्तारी को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट में आए है तो फिर आपने ट्रायल कोर्ट मे अंतरिम जमानत की अर्जी क्यों नहीं लगाई। तो इस पर केजरीवाल ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी ही अवैध है।इसलिए वो जमानत के लिए नहीं गए । उन्हें चाहिए रिहाई । पूर्ण रिहाई ।इसके बाद 30 अप्रैल को मामले की सुनवाई होती है। और कोर्ट केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाता है ।और कहता है कि आपने चुनाव से पहले ही गिरफ्तारी क्यों कि। तो असल इशारा यहीं से शुरु हो जाता है।हालांकि ईडी कहती है कि साहब 9 नोटिस पहले दिए जा चुके थे। केजरीवाल नहीं आए। और यही को टिप्पणी थी। जिसने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी ।
केजरीवाल ने कभी नहीं कहा कि उन्हें जमानत दे दी जाए। तो सवाल है कोर्ट ने जमानत क्यों दी ।इस सवाल का एक और जवाब जानने के लिए एक बार जरा कोर्ट ने जो कहा इस पर गौर कर लीजिए।





जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि लोकसभा चुनाव इस साल की सबसे महत्वपूर्ण घटना है । करोड़ों मतदाता अगले पांच साल के लिए इस देश की सरकार चुनने के लिए अपना वोट डालेंगे ।आम चुनाव लोकतंत्र को जीवन शक्ति प्रदान करते हैं। ठीक है कोर्ट की बात को मान लेते है ।क्योंकि वो कोर्ट है ।लेकिन गौर करिए ईडी ने कहा था कि केजरीवाल को जमानत देने से राजनेताओं को इस देश के सामान्य नागरिकों की तुलना में लाभकारी स्थिति में होने का फायदा मिलेगा। 
लेकिन कोर्ट ने इस टिप्पणी को खारिज कर दिया और कह दिया की जाओं भाई ये भी कोई टिप्पणी है। लेकिन इस टिप्पणी को खारिज कर कोर्ट ने ये बता दिया कि भले ही इस देश का संविधान आम आदमी में और शक्तिशाली आदमी में फर्क नहीं करता। लेकिन जमीन पर इसकी सच्चाई कुछ और ही है ।और क्या है वो आपने देख ली। इसके बाद माननीय अदालत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री और एक राष्ट्रीय दल के नेता हैं। निस्संदेह, गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन अभी उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है. उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है । वह समाज के लिए खतरा नहीं हैं ।तो माननीय अदालत को यहां क्या इस बात पर गौर नहीं करना चाहिए था कि अगर अभी दोषी करार नहीं दिए गए है तो निर्दोष भी तो साबित नहीं हो पाए है। और समाज के लिए खतरा है या नहीं वो उन परिवारों से पुछने की जरुरत है जिन परिवारों के आदमियों ने एक बोतल के साथ एक बोतल फ्री में गटक ली। और फ्री के चक्कर में लोग बेवडे हो गए। और परिवार बर्बाद हो गए ।साथ ही समाज के लिए खतरा हैं या नहीं वो NIA बताएंगी जो आतंकवादी पन्नू के उस बयान की जांच कर रही है। जिसमें पन्नू ने कहा था कि एक खालिस्तानी आतंकवादी भूल्लर की रिहाई के लिए उसने केजरीवाल को 134 करोड़ रुपए दिए है ।अब आगे कोर्ट ने जो कहा वो बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि अब बात असल मामले पर आई है। कोर्ट ने कहा कि अहम बात ये है कि गिरफ्तारी की वैधता और वैधानिकता को भी इस कोर्ट के सामने चुनौती दी गई है और हमें अभी इस पर अंतिम निर्णय देना बाकी है। तो ये है असली मुद्दा जो केजरीवाल ने उठाया है।केजरीवाल ने कोर्ट के सामने कहा है कि मेरी गिरफ्तारी अवैध है। और अगर कोर्ट अब तक इस बात का फैसला नहीं कर पाया है कि गिरफ्तारी वैध है या अवैध। तो फिर अंतरिम जमानत की मेहरबानी क्यों ।सवाल बड़ा अहम है और इस अहम सवाल पर कोर्ट का जवाब यहीं है कि वो अपनी पार्टी के संयोजक है। लोकसभा चुनाव पांच साल में एक बार आता है। इसलिए जमानत दी जा रही है। 
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