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लगातार हो रहे खुलासो से बेचैन Kejriwal, पार्टी पर मंडराया खतरा!

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी को शहरी नक्सली पार्टी करार दे दिया | शाह ने वलसाड की सीट पर प्रचार के दौरान कहा की अगर यहां आप का उम्मीदवार जीतता है तो इलाके में माओवाद का खतरा बढ़ जाएगा और माओवादी अपना सिर उठाने लगेंगे
लगातार हो रहे खुलासो से बेचैन Kejriwal, पार्टी पर मंडराया खतरा!

दिल्ली के मुख्यमंत्री 21 मार्च से जेल में बंद है, मनीष सिसोदिया को 14 महीने हो चुके है, सतेंद्र जैन को तो दो साल हो गए जेल से बाहर नहीं पाए, लेकिन फिर भी केजरीवाल की कुछ कठपुतली केजरीवाल को कट्टर ईमानदार दिखाने की कोशिश कर रहे है | नैतिकता की धज्जिंया उडा देने वाले मुख्यमंत्री कितने ईमानदार है वो बताना तो कोर्ट का काम है, लेकिन केजरीवाल का सत्ता में आना महज एक संयोग नहीं है, फूल प्रूफ प्लानिंग है | इसी प्लानिंग को अंजाम तक पहुंचाने में केजरीवाल का साथ दिया है अर्बन नक्सल ने | अर्बन नक्सल आम आदमी पार्टी में हावी है और यहीं वजह है कि केजरीवाल शायद अपने अंजाम तक पहुंचने से पहले ही जेल पहुंच गए | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी को शहरी नक्सली पार्टी करार दे दिया | शाह ने वलसाड की सीट पर प्रचार के दौरान कहा की अगर यहां आप का उम्मीदवार जीतता है तो इलाके में माओवाद का खतरा बढ़ जाएगा और माओवादी अपना सिर उठाने लगेंगे |


आपको बता दे कि माओवाद इस देश की एक ऐसी भीतरी समस्या है जो बाहरी आक्रांताओं से भी ज्यादा खतरनाक है | पिछले दस सालों मे नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए, नकस्लवाद को कुचलने के लिए सरकार ने कई गंभीर फैसले लिए है और इसी कारण माओवाद पर लगाम भी लगाई गई है | आज बस कुछ इलाके बचे है, जहां नक्सल सांसे ले रहा है और ऐसे में नक्सलवाद को किसी भी हालात में पनपने तो नही दिया जा सकता | साल 2020 पहले गृहमंत्री ने कहा था किवामपंथी उग्रवाद और अतिवाद के कुचलने में बड़ी कामयाबी मिली है | 2010 में माओवाद की दहशतगर्दी से 96 जिले पीडित थे, उनकी संख्या आज घटकर 46 रह गई है | पिछले 10 में नक्सली हिंसा में  55 फीसदी की कमी आई है और हिंसा में मरने वालों की संख्या में 63 % की कमी आई है और अब फिर से उसी डर को अमित शाह ने उजागर किया है |’ 


शाह ने गुजरात में कहा किशहरीनक्सली पार्टीआप इस आदिवासी क्षेत्र की शांति को भंग करने के लिए कांग्रेस के साथ आई है | हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि 2024 के कुरुक्षेत्र को जीतने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ज़ोर लगा रही है और ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी का कहना है कि वो भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना देना चाहती है, और राहुल गांधी का कहना है कि उन्हे देश का एक्स-रे करना है | वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का ऐसा आरोप है कि बीजेपी संविधान बदलकर आरक्षण को खत्म करना चाहती है और शाह का इस आरोप पर कहना है कि बीजेपी ना तो खुद आरक्षण खत्म करेगी और ना ही कांग्रेस को करने देगी | तो ऐसे में 2024 की लडाई बेहद दिलचस्प हो चली है |

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