RSS के गढ़ में औरंगजेब विवाद का अंजाम क्या होगा ?

कह सकते हैं कि फ़िल्म छावा से औरंगजेब का ‘जिन्न’ ज़िंदा हो गया। हालाँकि इस पर कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम का ये भी कहना था कि सनातन मुर्दों से लड़ना नहीं सिखाता है। ऐसे में एक्शन में आए मुख्यमंत्री फडणवीस किस प्रकार से दंगाईयों की अक्ल ठिकाने लगा पाएंगे? अब जब औरंगजेब का महिमामंडन सीएम फडणवीस को बर्दाश्त नहीं, तो फिर नागपुर का भविष्य क्या कहता है?
सिनेमाघरों में फ़िल्म छावा की दस्तक ने औरंगजेब के जिन्न को ज़िंदा कर डाला है, फ़िल्म में औरंगजेब के जिस चेहरे को दिखाया गया, उस पर बवाल मचा। इतिहास के पन्नों को पलटकर औरंगजेब को महान शासक बताए जाने लगा, जबकि हक़ीक़त में क्रूर शासकों में औरंगजेब टॉप पर आता है। ख़ुद के भाइयों का कत्ल करके सत्ता हासिल करना, अपने शासनकाल में सख्त इस्लामी नीतियां, शरिया कानून और विस्तारवादी युद्ध लागू करना। हिंदुओं के बीच रहकर जजिया कर लगाना, मंदिर ध्वस्त करके हिंदुओं की आस्था को कुचलना और तलवार की नोक पर हिंदुओं का नरसंहार करना, ये सारी चीजें आज भी औरंगजेब की क्रूरता को बयां करती हैं। अब जब संघ के गढ़ में औरंगजेब की कब्र खोदे जाने की माँग उठी, विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। प्रदर्शन में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे दल मौजूद दिखे, फिर जैसे ही कथित तौर पर 'कलमा' लिखा कपड़ा जलाए जाने की अफ़वाह फैली, मुस्लिम समुदाय आक्रोशित हो उठा। हिंसक झड़पों के बीच पथराव हुआ, जिसमें कई लोग बुरी तरह घायल हुए। हालाँकि स्थिति को कंट्रोल करने के लिए धारा 144 लागू हो चुकी है। एक्शन मोड में आए मुख्यमंत्री फडणवीस ने दंगा भड़काने की कोशिश में लगे लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। नागपुर के जिस हंसपुरी इलाक़े में हिंसा हुई है, अभी वहां तनाव पसरा हुआ है। ऐसे में क्या औरंगजेब की कब्र हटाने या फिर खोदी जाने की माँग वाजिब है?
जिन लोगों को ये लगता है कि भारत की धरातल पर औरंगजेब की कब्र ही नहीं होनी चाहिए, उन्हें ये मालूम होना चाहिए कि सनातन धर्म कब्र तोड़ने की इजाजत नहीं देता है। औरंगजेब मज़ार विवाद को लेकर कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ऐसे लोगों को आईना दिखाते हुए ये बताते हैं कि किसी की कब्र या मजार तोड़ने की इजाजत सनातन धर्म नहीं देता। मुर्दों से लड़ना सनातन नहीं सिखाता। सनातन धर्म उन सभी आत्माओं का सम्मान करता है जो धरती से जा चुकी हैं।
गौर करने वाली बात ये है कि नागपुर को संघ के हेडक्वाटर के रूप में देखा जाता है। नागपुर में संघ की जड़े काफी गहरी हैं। नागपुर से ना सिर्फ़ महाराष्ट्र बल्कि दिल्ली तक की राजनीति प्रभावित होती है और नागपुर में ही औरंगजेब की कब्र है, जिस पर कुछ समय पहले एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने फूल चढ़ाकर इस पूरे विवाद को और गरमा दिया और परिणाम आपके सामने हैं।