महाकुंभ से किस नये चेहरे को बनाया जाएगा देश का अगला मोदी ?
अबकी बार मोदी नहीं, तो फिर कौन ? आप कहेंगे अभी-अभी तो देश को एक नई सरकार मिली है, मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बने एक साल भी पूरा नहीं बीता है। फिर अभी से एक नये नेतृत्व की चर्चा क्यों ? इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है, 12 बाद संगम नगरी में होने जा रहा है भव्य, दिव्य और डिजीटल महाकुंभ मेला। अबकी बार के इसी महाकुंभ में तय होगा पीएम मोदी के बाद कौन ? 12 साल पहले 2013 वाली पिक्चर फिर से दोहराई जाएगी, बस फ़र्क़ इतना होगा कि नेतृत्व चेहरा नया होगा देखिये इस पर हमारी ये ख़ास रिपोर्ट
अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय, महाकुंभ आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की ज़ुबान पर यही लफ़्ज़ होंगे। 12 साल बाद धर्म, आध्यात्म, मोक्ष और पापों से मुक्ति पाने का इतना बड़ा सुअवसर आया है, जिस कारण यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन्हीं पलों को ऐतिहासिक बनाने के लिए दिन रात प्रयासरत हैं। प्रयागराज की धरती पर महाकुंभ का समाागन कितना भव्य होगा और संगम की इसी रेती पर किस प्रकार की आस्था की बहार नज़र आएगी। इसका अंदाज़ा इसी से लगाइये साधु-सन्यासियों के इसी महापर्व की कमान एक सन्यासी के हाथों में है, नाथ संप्रदाय से आने वाले योगी बाबा इस बार के महाकुंभ में कहीं कोई कमी छोड़ने वाले नहीं है, जिसका फल उन्हें इसी महाकुंभ में भी मिल जाएगा। इसी महाकुंभ में देश का भविष्य तय किया जाएगा। एक नये चेहरे में देश का अगला मोदी ढूंढा भी जाएगा और सर्वसम्मति से उस चेहरे पर मुहर भी लगेगी, ख़ुद नागा साधुओं की फ़ौज के हाथों ये कार्य होने वाला है। आईये इस पूरे मामले को समझाते हैं।
बटेंगे, तो फिर कटेंगे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज़ुबान से निकली इसी बात को यूँ ही हवा नहीं दी गई है। संघ की शाखायों में गाया जाने वाला ये वो पुराना गीत है, जिसमें हिंदुओं की एकजुटता पर ज़ोर दिया गया है। आज़ादी के समय एक-एक स्वयम् सेवी यही गाया है…इतिहास कहता है कि हिंदू भाव को जब-जब भूले, आई विपदा महान, भाई छूटे, धरती खोई, मिटे धर्म संस्थान’ समय बदला। शब्द बदल गये। नेतृत्व बदला, लेकिन जज़्बात नहीं बदले योगी के बटेंगे, तो कटेंगे वाले नारे को देश वासियों ने गंभीरता से लिया और देखाते ही देखते बैक टू बैक हरियाणा और महाराष्ट्र में खिलते कमल को ऐतिहासिक जीत दिला दी। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी यही मानते हैं कि हिंदू समाज में एकता नहीं रहेगी, तो आजकल की भाषा में 'बंटेंगे तो कटेंगे' हो सकता है।
अब सवाल उठता है कि जब देश का प्रधानमंत्री प्रजातंत्र के जरीये चुना जाता है, तो फिर महाकुंभ का इंतज़ार क्यों ? दरअसल दैनिक भास्कर में छपे एक लेख के आधार पर महाकुंभ को लेकर RSS के पदाधिकारियों से नये नेतृत्व को लेकर ख़ास बातचीत हुई है। इसी के आधार पर आज आप ये जान लें कि प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में BJP के अगले PM कैंडिडेट के नाम का प्रस्ताव आ सकता है, संघ की दबी ज़ुबान यही कहती है कि योगी आदित्यनाथ के नाम पर सभी की रजामंदी है। अभी लोकसभा चुनाव दूर हैं, इसलिए सीधे तौर पर उनके नाम का ऐलान नहीं होगा। हालांकि उन्हें प्रोजेक्ट करने की पूरी तैयारी है। संघ के एक और पदाधिकारी का ये कहना है।इतने बड़े स्तर पर हिंदू समाज के संगठन और साधु-संतों का जमावड़ा फिर कहां मिलता। इस बार कुंभ और चुनाव के बीच 4 साल का फासला है। नाम पर तो चर्चा होगी, लेकिन सभी संगठनों के बीच एक प्रस्ताव की तरह इसे लाया जाएगा।लिस्ट में मोटे तौर पर अब तक तो योगी ही हैं।
अब आप ये जान लें कि आख़िर महाकुंभ में ही एक नये नेतृत्व की चर्चा क्यों होगी। इसके लिए अतीत के पन्नों पलटते हुए 2013 के महाकुंभ में जाना पड़ेगा। दरअसल 2012 से ही नरेंद्र मोदी के नाम पर अशोक सिंघल संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुहर लगवाना चाहते थे। बहुत कोशिशों के बाद अशोक सिंघल ने मोहन भागवत को नरेंद्र मोदी के नाम पर राजी कर लिया। उसके बाद कुंभ में धर्म संसद हुई। उसमें मोहन भागवत ने हिंदू और संत समाज के बीच पहली बार PM पद के लिए नरेंद्र मोदी का नाम लिया था। 5 फरवरी, 2013 इसी दिन करीब 10 हजार दंडी स्वामी ने चिमटा बजाकर मोदी का नाम लिया और मोदी-मोदी का नारा लगा, यही नारा बाद में जनता के बीच आया और इसी नाम से आज देश का नेतृत्व आगे बढ़ रहा है।
अब आप समझ होंगे कि इस बार के महाकुंभ से 2013 वाली पिक्चर क्यों दिखेगी, बस चेहरा अलगा होगा। सूत्रों की मानें तो 99 फ़ीसदी योगी के चेहरे पर ही ठप्पा लगेगा, क्योंकि आज की डेट में हिंदुत्व की सबसे मज़बूत मशाल उन्हीं में देखी जा रही है। आरएसएस अपने स्टाइल से अभी से योगी बाबा के लिए ज़मीन तैयार कर रही है। इसी ज़मीन को खाद-पानी दिया जाएगा फिर अंकुर फूटेगा..उसके बाद पौधे से बनने वाला विशालकाय वृक्ष, जिसकी छाव में विकासशील भारत बतौर विश्व गुरु विकसित भारत बनेगा। सौ बात की एक बात यही है कि इसी महाकुंभ में 13 अखाड़ों से जुड़े जितने भी नागा से लेकर अघोरी और बाक़ी के साधु-सन्यासी है। एक सुर एक नये नेतृत्व को चुनेंगे। अब वो योगी-योगी होगा, या फिर कुछ और ये आप कमेंट करके बताइयेगा।