Advertisement

तंत्र के आगे क्या टोटके की पॉवर टिक पाती है बता रही हैं अघोरी तांत्रिक शिवानी दुर्गा

अगर टोटके लोक जीवन का हिस्सा हैं, तो फिर तंत्र को किसी श्रेणी में रखा जाता है ?टोटके करने वाला एक आम आदमी क्या तंत्र साधनाएँ भी कर सकता है ?तंत्र और टोटके के बीच का सबसे बड़ा फ़र्क़ क्या है ? सवालों की यही पोटली हमने पेशे से तांत्रिक अधोरी और चिता की भस्म से आत्माओं को बुलाने की ताक़त रखने वाली शिवानी दुर्गा के आगे खोली। उन्होंने तंत्र और टोटके के बीच की धुंधली तस्वीर को 60 सैकेंड में साफ़ कर दिया
तंत्र के आगे क्या टोटके की पॉवर टिक पाती है बता रही हैं अघोरी तांत्रिक शिवानी दुर्गा
अनादि काल से भारतवर्ष की पावनधरा सदैव ऋषि-महर्षी की जन्मभूमि और कर्मभूमि, दोनों रही जिस कारण तंत्र साधनाएँ शास्त्रों का हिस्सा बन पाई। आज भी  संकट की घड़ी में जिस किसी ने निष्ठावान तरीक़े से तंत्र साधना का सहारा लिया, उसने ख़ुद को विपदा से मुक्त पाया। आप इसे साधना की शक्ति कहें या फिर विधाता का विधान , आज की 21 वी सदी में जब विज्ञान की सीढ़ी लगाकर चाँद पर पहुँचा जा रहा है, तो इसी धरती पर तंत्र और टोटके के सहारे प्रत्येक बाधा से छुटकारा पाया जाता है। तंत्र और टोटके पर जैसे-जैसे लोगों का विश्वास बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे मन में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।सवाल उठने लगे हैं कि तंत्र और टोटके क्या एक समान हैं ? अगर टोटके लोक जीवन का हिस्सा हैं, तो फिर तंत्र को किसी श्रेणी में रखा जाता है ?टोटके करने वाला एक आम आदमी क्या तंत्र साधनाएँ भी कर सकता है ? तंत्र और टोटके के बीच का सबसे बड़ा फ़र्क़ क्या है ? सवालों की यही पोटली हमने पेशे से तांत्रिक अधोरी और चिता की भस्म से आत्माओं को बुलाने की ताक़त रखने वाली शिवानी दुर्गा के आगे खोली। उन्होंने तंत्र और टोटके के बीच की धुंधली तस्वीर को  60 सैकेंड में साफ़ कर दिया।
Advertisement

Related articles

Advertisement