बागेश्वर धाम से ओरछा तक बागेश्वर बाबा की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा, कहा "भेदभाव मिटाओ, हिंदू एकता लाओ"
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सनातन हिंदू एकता पदयात्रा के जरिए समाज को एकजुट करने का ऐतिहासिक प्रयास किया है। यह यात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर ओरछा तक 160 किलोमीटर लंबी है। इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य जात-पात और भेदभाव को समाप्त करना और हिंदू धर्म की एकता को मजबूत करना है।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की अगुवाई में सनातन हिंदू एकता पदयात्रा की शुरुआत ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इस यात्रा का उद्देश्य न केवल जात-पात और भेदभाव को मिटाना है, बल्कि हिंदू धर्म की एकजुटता का प्रदर्शन करना भी है। यह पदयात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर ओरछा तक 160 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
21 नवंबर को जब यात्रा की शुरुआत हुई, तो बागेश्वर धाम में लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। धाम में पैर रखने की भी जगह नहीं बची थी। श्रद्धालु दूर-दूर से, देश के कोने-कोने से पहुंचे थे। यह न केवल उनकी आस्था का प्रमाण था, बल्कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रति उनके प्रेम और विश्वास का भी प्रतीक था।पंडित जी ने अपने भाषण में कहा, "यह यात्रा हिंदू एकता का प्रतीक है। यह दिखाता है कि जागृत हिंदू किस तरह अपने धर्म की रक्षा और उन्नति के लिए एकजुट हो सकते हैं।"
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य जात-पात और भेदभाव को खत्म करना है। उनका कहना है कि हिंदू समाज में एकता जरूरी है, और अगर यह एकता नहीं बनी, तो धर्मांतरण जैसी समस्याएं बढ़ती रहेंगी। उन्होंने आदिवासी समाज को "अनादिवासी" कहकर सम्मान देने की बात कही, जिससे उनकी रामायणकालीन पहचान को संरक्षित किया जा सके। उन्होंने अपने संबोधन में जोर देकर कहा, "अगर हमें छेड़ा गया, तो हम छोड़ेंगे नहीं। हमारा हिंदू समाज जागरूक हो गया है। अब हम वह हिंदू नहीं हैं, जो थप्पड़ खाकर भाग जाएं।" इतना ही नहीं पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस यात्रा को 'सनातन हिंदू एकता' का प्रतीक बताया। उनका मानना है कि यह समय है, जब हर हिंदू अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए जागरूक हो। उन्होंने कहा कि हिंसा से नहीं, बल्कि विचार की तलवार से समाज में बदलाव लाया जा सकता है।
160 किलोमीटर की ऐतिहासिक यात्रा
यह पदयात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर ओरछा तक जाएगी, जिसमें 29 नवंबर को समापन होगा। यात्रा के दौरान प्रतिदिन अलग-अलग स्थानों पर पड़ाव होगा। पहले दिन 15 किलोमीटर की दूरी तय की गई और कदारी में रात्रि विश्राम हुआ। दूसरे दिन पेप्टेक टाउन, तीसरे दिन नौगांव, चौथे दिन देवरी, पांचवें दिन मऊरानी, छठे दिन घुघसी, सातवें दिन निवाड़ी, और अंत में ओरछा पहुंचने से पहले तिगैला में विश्राम किया जाएगा। इस यात्रा को सुव्यवस्थित रूप से चलाने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यात्रा के दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। हर जगह होर्डिंग और पोस्टर ने हिंदू समाज की एकता का संदेश दिया। लोग रास्ते में फूल बरसाकर यात्रियों का स्वागत कर रहे हैं।
यह पदयात्रा न केवल धर्म का प्रचार है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि हिंदू समाज को अपनी पहचान बनाए रखनी चाहिए। यह यात्रा एक सामाजिक आंदोलन की तरह है, जो जातिगत भेदभाव और धर्मांतरण जैसे मुद्दों से लड़ने की प्रेरणा देती है। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का यह कदम न केवल उनके अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
यह यात्रा इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी, जहां लाखों हिंदू श्रद्धालुओं ने एक साथ खड़े होकर अपनी एकता का प्रदर्शन किया। जात-पात मिटाने और भेदभाव खत्म करने का यह आंदोलन आने वाले समय में समाज में बड़े बदलाव ला सकता है।