गाड़ियां हो या प्लेन जब स्नान के लिए निकलते हैं भगवान पद्मनाभ, हर किसी की रफ़्तार पर फ़ुल स्टॉप लग जाता है
दुनिया का सबसे अनोखा देश है अपना भारत, दुनिया में कहीं भक्ति की धारा बहती है तो वह यहां बहती है | दुनिया में शांति की खोज के लिए जिस जगह लोग पहुंचते हैं वह यहीं भारत है | यह देश बुद्ध और महावीर की धरती है जिन्होंने अपने विचारों से दुनिया को शांति का संदेश दिया है | यह विवेकानंद की धरती है जिन्होंने अपने एक ही भाषण से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया था | भक्ति, श्रद्धा, पूजा, अर्चना, ध्यान, धर्म, कर्म ये इस देश की फिजाओं में बहती है | इस देश की भक्ति की सुगंध कुछ ऐसी है कि दुनियाभर के लोग ज्ञान प्राप्ति के लिए यहां आते हैं | अपने भारत के बारे में कहा जाता है कि यहां 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं | इस देश के जिस राज्य, जिस शहर, जिस जिले, जिस ब्लॉक और जिस मोहल्ले में चले जाएं आपको कोई न कोई मंदिर जरूर मिल जाएगा जहां लोग पूरे मन से अपने अराध्य देव की पूजा करते नजर आएंगे | भारत में जिस भी मंदिर में जाओ वहां की एक कहानी जरूर होती है और इन्हीं कहानियों में यहां के देवताओं की शक्ति का वर्णन मिलता है | जिन शक्तियों से यह देश सदियों से दुनिया के फलक पर चमक रहा है | आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर की कहानी बताने जा रहे हैं जो कि केरल में स्थित है.
केरल के तिरुअनन्तपुरम में स्थित है पद्मनाभस्वामी मंदिर, इस मंदिर में विराजते हैं भगवान पद्मनाभ | भगवान पद्मनाभ के लिए भक्तों की आस्था कुछ ऐसी है कि इनके लिए हवाई जहाज तक रुक जाते हैं | चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि भगवान पदनाभ कौन है | तो बता दें कि ये भगवान विष्णु का ही एक रूप है | पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु के भक्तों का एक प्रमुख मंदिर है | यहां भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं | यहां भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहां पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं | अब आपको बताते हैं अरट्टू महोत्सव के बारे में जो कि अपनी खूबसूरती और भव्यता के लिए जाना जाता है | श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में हर साल अरट्टू महोत्सव का आयोजन होता है | अरट्टू महोत्सव कोई सामान्य त्योहार जैसा नहीं है | ये दस दिनों तक चलने वाला अनुष्ठान है, जिसे साल में दो बार मनाया जाता है | पहली बार मार्च या अप्रैल में जो वसंत उत्सव होता है दूसरी बार अक्टूबर या नवंबर में | साल के इन दोनों अनुष्ठान के दौरान पद्मनाभ स्वामी की मू्र्ति को समुद्र में ले जाकर पवित्र स्नान कराया जाता है | इस दौरान जुलूस देखने लायक होता है | सजे हुए हाथी, मोर पंखों से सजी पद्मनाभ स्वामी की मू्र्ति देखने वालों के रोम-रोम में भक्ति भाव भर देती है |
पद्मनाभस्वामी मंदिर से भगवान पद्मनाभ की मूर्ति को जब समुद्र तक ले जाया जाता है तब इसी के बीच में एयरपोर्ट पड़ता है | पद्मनाभस्वामी मंदिर सदियों पुराना है और सदियों से उसकी परंपरा चली आ रही है लेकिन एयरपोर्ट 1932 में बनकर तैयार हुआ था | ऐसे में जब एयरपोर्ट बनकर तैयार हुआ तो भी लोगों की आस्था का पूरा सम्मान रखा गया | कहा जाता है कि जब मंदिर और समुद्र के बीच में हवाई अड्डे का निर्माण हो रहा था तब त्रावणकोर के राजा श्री चिथिरा थिरुनाल ने कहा था कि आम जनता के लिए यह सुविधा साल में 363 दिन और शाही परिवार के देवता भगवान पद्मनाभ के लिए दो दिनों के लिए खुली रहेगी | इसलिए जब भी अरट्टू महोत्सव महोत्सव का जुलूस निकाला जाता है तो एयरपोर्ट पर हवाई सेवा को बंद कर दिया जाता है और श्रद्धालु रनवे से होकर समुद्र तक पहुंचते हैं जहां भगवान पद्मनाभ को स्नान कराया जाता है | अरट्टू महोत्सव के जुलूस में शामिल सभी श्रद्धालु पारंपरिक कपड़ों में दिखते हैं इस दौरान पारंपरिक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक प्रदर्शन सबका मन मोह लेते हैं |