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देवभूमि उतराखंड में कट्टरपंथियों की चल रही बड़ी साज़िश, अब धामी करेंगे ईलाज

देवभूमि को इस्लामिक लैंड बनाने की बड़ी साज़िश ! पहाड़ी इलाक़े में दिखी मुस्लिमों की आंधी। 24 साल में बुलेट की रफ़्तार से बढ़ी मुस्लिम आबादी ,देवभूमि के ख़िलाफ़ रोहिंग्या मुस्लिमों की साज़िश ! आज की देवभूमि का सच क्या है ?
देवभूमि उतराखंड में कट्टरपंथियों की चल रही बड़ी साज़िश, अब धामी करेंगे ईलाज

देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति देवभूमि उत्तराखंड की विरासत और देवभूमि उत्तराखंड की परंपराएँ क्या ख़तरे में है, इन दिनों इसी सवाल ने पहाड़ी वासियों की चिंता को बढ़ा कर रखा है। 2001 में यूपी से अलग हुई देवभूमि को एक नया भविष्य देने के लिए जनता द्वारा चुनी गई सरकार का गठन हुआ लेकिन बीते 20 सालों में ऐसा क्या हुआ, जो आज का उत्तराखंड अपनी असल पहचान खोता हुआ नज़र आ रहा है।देवभूमि को इस्लामिक लैंड बनाने का सच क्या है ? पलायन की मार झेल रही देवभूमि क्या घुसपैठियों का आशियाना बन चुकी है ? मुस्लिमों की बढ़ती आबादी से क्या देवभूमि के अस्तित्व को ख़तरा है ? सच क्या है, देखिये इस पर हमारी ये ख़ास रिपोर्ट। 

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और देहरादून का परेड ग्राउंड जहां बीते दिनों सैकड़ों की संख्या में मुस्लिमों का जमावड़ा नज़र आया। बक़ायदा एक प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मीयत उलेमा-ए-हिन्द और इमाम-ए-रिसालात की देखरेख में सैकड़ों मुस्लिम प्रदर्शनकारी एक जुटे दिखे और इसी प्रदर्शन में नासिक के रामगिरी महाराज को गुस्ताख़-ए-रसूल घोषित किया गया। ईशनिंदा के खिलाफ कानून बनाने के लिए मोदी सरकार को 3 महीनें का अल्टीमेटम दिया गया। रामगिरि महाराज पर आरोप लगाए गये कि उन्होंने नबी की शान में गुस्ताखी की है। फ़िलहाल प्रशासन से लेकर पुलिस इस पूरे मामले की जाँच कर रही है, गौर करने वाली बात ये है कि देवभूमि पर मुस्लिमों की यहीं चौंकाने वाली तस्वीर क्या किसी ख़तरे का संकेत है।  सवाल उठता है कि जब हिमाचल प्रदेश में मुस्लिमों की आबादी 2 प्रतिशत से ऊपर नहीं उठी, तो फिर उत्तराखंड में मुस्लिमों की तादाद लाखों में कैसे पहुँच गई । क्या इसके पीछे कोई बड़ी साज़िश है ?  अब अगर आप ये कहेंगे , जब मुसलमान देश का हिस्सा हैं, तो फिर वो देवभूमि में रहे या फिर दिल्ली में , इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है। यहाँ आपको ये समझने होगा कि भू क़ानून पारित नहीं होने के चलते आज का उत्तराखंड अपनी संस्कृति को खोता जा रहा है..क्योंकि पहाड़ी वासियों के पलायन की वजह से उत्तराखंड विरान होता जा रहा है और अन्य राज्यों से आए मुस्लिम वहाँ अपना बसेरा बसा कर , प्रदेश की डोमेग्राफी को बिगाड़ रहे हैं, जिसकी चलते देवभूति अपने ख़ुद के अस्तित्व को खोती जा रही है और सबसे बड़ी बात ये कि , देवभूमि पर क़ब्ज़ा करने वाले घुसपैठिये रोहिंग्या मुसलमान हैं। 24 साल में 16 प्रतिशत हुई उत्तराखंड की मुस्लिम आबादी क्या किसी ख़तरे का संकेत है, सच क्या है, आईये आगे आपको बताते हैं। 


आपको ये जानकर हैरानी होगी की भू क़ानून होने के चलते हिमाचल प्रदेश में 1971 से लेकर अबतक, मुस्लिम आबादी दो प्रतिशत के ही आसपास है..यानी ही यही की देवभूमि पर मुस्लिम आबादी का विस्तार नहीं हुआ है..लेकिन इसके उलट  उत्तराखंड में ना ही कोई भू क़ानून है और ना ही घुसपैठियों के ख़िलाफ़ कोई सख्स क़ानून। जिस कारण साल 2000 में उत्तराखंड के पहाड़ी इलाक़ों में जो मुसलिम आबादी डेढ़ प्रतिशत थी, आज वो 16 प्रतिशत हो चुकी है। देवभूमि के चार मैदानी इलाक़ों में मुस्लिम बहुसंख्यक होते जा रहे हैं..हरिद्वार में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी हो गई है यहां कुल आबादी का करीब 34 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम है, उधम सिंह नगर जिले में भी 32 फीसदी ,नैनीताल जिले और देहरादून जिले में तीस तीस प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, और अब पौड़ी जिले के मैदानी क्षेत्रों में भी मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ने लगी है। 


इसी मुस्लिम आबादी में अवैध मदरसे ,मस्जिदों की भरमार हो गई है, सरकारी जमीनों पर कब्जे हो चुके है। यहां तक की जंगल की जमीनों पर भी अवैध रूप से मुस्लिमो ने अंदर तक जाकर कब्जे कर लिए है और वहां से बहुमूल्य वन संपदा का दोहन किया जा रहा है।देवभूमि पर बढ़ने वाली यही मुस्लिम आबादी पहले किराये पर रहती है और फिर धीरे-धीरे अपनी बसावट करने लगती है। ज़मीनों पर इनका अतिक्रमण…रोहिंग्या मुस्लिमों को मिलने वाला राजनीतिक संरक्षण और फ़र्ज़ी दस्तावेज बनाने वाली भ्रष्ट प्रणाली। इसके परिणाम वश उत्तरकाशी के 150 मुस्लिम वोटर आज की डेट में 5000 से भी ज्यादा हो गया हैं। इस वक्त मुस्लिमों की जनसंख्या दर अगर कही तेज़ी से बढ़ रही है , तो है असल और फिर उसके बाद उत्तराखंड प्रदेश के सीएम हिमंता बिस्वा बोल चुके हैं कि असल देश का मुस्लिम राज्य बनने वाला हैऔर इसी कड़ी में अगला नंबर उत्तराखंड का भी तय समझिये।अगर समय रहते , सरकार की तरफ़ से कोई उचित कदम नहीं उठाया जाता है, तो फिर इस्लामी दुनिया देवभूमि उत्तराखंड की तक़दीर बन सकती है। 

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