इस चमत्कारी फूल के उपयोग से मिलेगी शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति !

शनि देव और उनका प्रभाव
शनि देव, जिन्हें न्याय के देवता और कर्म फलदाता कहा जाता है, भगवान सूर्य के पुत्र हैं। शनि देव हर व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि को कृष्ण का रूप भी माना जाता है। जो भी व्यक्ति अपने जीवन में बुरे कर्म करता है, उसे शनि देव के गुस्से का कहर भी झेलना पड़ता है।
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या कब लगती है?
शनि की साढ़ेसाती का शिकार व्यक्ति तब होता है जब शनि अपनी जन्म राशि से पहले, बारहवें, और दूसरे भाव में गोचर करता है। तब लगती है शनि की साढ़ेसाती, जो लगभग साढ़े सात साल तक चलती है। इसके अलावा शनि की ढैय्या तब लगती है जब शनि देव जन्म कुंडली में चौथे या आठवें भाव में होते हैं। दोनों ही स्थिति में व्यक्ति को बहुत परेशानियों और दुखों से गुजरना पड़ता है।
चमत्कारी नीला फूल: अपराजिता
इस तरह इन राशियों को शनि का कहर झेलना पड़ेगा, लेकिन आप इस चमत्कारी नीले फूल का उपयोग करके शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं। इस नीले फूल का नाम है अपराजिता। यह फूल शनि देव को अत्यंत प्रिय है। इस फूल का नीला रंग कर्मफलदाता शनिदेव की शांति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
अपराजिता के उपयोग के तरीके
शनि देव को अर्पित करें: शनि देव को खुश करने के लिए नीला अपराजिता का फूल अर्पित करें। फूल अर्पित करते समय "ॐ शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप भी अवश्य करें।
हनुमान जी को अर्पित करें: कर्मफलदाता शनि देव को भी संकट मोचन हनुमान की आज्ञा का पालन करना पड़ता है। इसलिए अपराजिता के फूल को आप शनिवार के दिन हनुमान जी को अर्पित कर सकते हैं। ऐसे करने से आपको शनि के कहर से राहत मिलेगी।
अपराजिता की जड़ अर्पित करें: अपराजिता की जड़ को भी शनि देव को अर्पित किया जा सकता है। ऐसा करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं।
घर में पौधा लगाएं: आप अपराजिता का पौधा घर में लगा सकते हैं। घर में अपराजिता का पौधा लगाने से घर से नकारात्मकता दूर होती है और शनि देव की कृपा भी पूरे परिवार पर बनी रहती है।
ध्यान रखने योग्य बातें
लेकिन आप यह बात हमेशा याद रखें कि सिर्फ यह फूल शनि देव को अर्पित करने से ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रभाव कम नहीं होगा। इसके लिए आपको अपने कर्मों में भी सुधार करना होगा, जरूरतमंदों की मदद भी करनी होगी, और शनि देव की पूजा-अर्चना करनी होगी।