Advertisement

छत्तीसगढ़ का पहला दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, जहां हर मुराद होती है पूरी

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी भक्ति और श्रद्धा से सराबोर रहेगी। लेकिन इसी भक्ति के बीच रायपुर के तात्यापारा में स्थित एक मंदिर, जो बाहर से एक सामान्य मंदिर जैसा दिखता है, अपने भीतर एक ऐसा इतिहास समेटे है जिसे जानकर कोई भी चकित हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ का पहला दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, जहां हर मुराद होती है पूरी

इस वर्ष 12 अप्रैल, शनिवार को जब पूरे भारत में हनुमान जयंती की गूंज सुनाई देगी, तो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी भक्ति और श्रद्धा से सराबोर रहेगी। लेकिन इसी भक्ति के बीच रायपुर के तात्यापारा में स्थित एक मंदिर, जो बाहर से एक सामान्य मंदिर जैसा दिखता है, अपने भीतर एक ऐसा इतिहास समेटे है जिसे जानकर कोई भी चकित हो जाएगा।

यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत की प्राचीन स्थापत्य कला और इतिहास का एक अनमोल उदाहरण भी है। यहां विराजित श्री हनुमान जी की मूर्ति लगभग 1100 साल पुरानी मानी जाती है और यह मूर्ति दक्षिणमुखी है — एक दिशा जो हिंदू धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्त्व रखती है।

जब इतिहास ने खुद को दोहराया

लंबे समय तक यह मंदिर मराठा काल का माना जाता रहा। स्थानीय लोग और मंदिर ट्रस्ट को यही जानकारी थी कि यह प्रतिमा लगभग 300 साल पुरानी है। लेकिन एक आकस्मिक घटना ने इतिहास की परतें पलट दीं। मूर्ति पर वर्षों से एक मोटा ‘चोला’ चढ़ा हुआ था, जो धीरे-धीरे गिरने लगा। जब मंदिर समिति ने इसे पूरी तरह हटाने का निर्णय लिया, तो प्रतिमा का वास्तविक स्वरूप सामने आया, और उसके साथ एक हजार वर्षों का इतिहास भी।

संयोग से उस समय रायपुर में प्रसिद्ध पुरातत्वविद् डॉ. अरुण शर्मा मौजूद थे। उन्होंने प्रतिमा का गहन निरीक्षण किया और जो निष्कर्ष सामने आया, वह न केवल रायपुर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक ऐतिहासिक खोज बन गई। यह प्रतिमा 11वीं शताब्दी के कलचुरी वंश की कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह पूरी प्रतिमा एक ही पत्थर को तराशकर बनाई गई है — एक दुर्लभ तकनीक, जो आज के समय में भी विस्मयकारी है।

प्रतिमा में हनुमान जी को एक पैर से कलमणि राक्षस को दबाते हुए दिखाया गया है। उनका एक हाथ गदा थामे है और दूसरा हाथ उनकी छाती पर है — यह मुद्रा भक्ति और वीरता दोनों का प्रतीक है। इस प्रकार की प्रतिमा पूरे छत्तीसगढ़ में और कहीं नहीं मिलती। यह स्थापत्य कला और धार्मिक अभिव्यक्ति का ऐसा मेल है, जो कला-प्रेमियों, इतिहासकारों और श्रद्धालुओं के लिए समान रूप से अद्भुत है।

दक्षिणमुखी हनुमान  क्यों है विशेष?

अधिकांश मंदिरों में भगवान की मूर्तियाँ पूर्वमुखी होती हैं, लेकिन यहां हनुमान जी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके विराजमान हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है, और ऐसी मान्यता है कि दक्षिणमुखी हनुमान पूजा करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। छत्तीसगढ़ में यह पहला दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर माना जाता है, और यही इसकी एक और विशेष पहचान है। भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से की गई मनोकामना कभी खाली नहीं जाती।

यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि आधुनिक भक्ति संस्कृति का भी सजीव केंद्र है। यहां हर मंगलवार सुंदरकांड का पाठ होता है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। शनिवार को भजन मंडली का आयोजन होता है, जो स्थानीय संगीत परंपरा को भी जीवित रखे हुए है।

हनुमान जयंती पर विशेष आयोजन

हर साल हनुमान जयंती पर इस मंदिर में विशेष सजावट की जाती है। पूरे परिसर को फूलों, दीयों और भगवा ध्वजों से सजाया जाता है। सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लग जाती हैं। भजन, आरती, प्रसाद और हवन के साथ हनुमान जी का जन्म उत्सव एक भव्य आयोजन बन जाता है। इस दिन मंदिर में न केवल रायपुर से, बल्कि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों और पड़ोसी राज्यों से भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यह दिन केवल एक पूजा नहीं, बल्कि श्रद्धा का जनसैलाब बन जाता है।

एक मंदिर, जो इतिहास, कला और श्रद्धा का संगम है

तात्यापारा स्थित यह मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां इतिहास और वर्तमान साथ-साथ चलते हैं। यहां की प्रतिमा न केवल धार्मिक भावनाओं को जाग्रत करती है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की प्राचीन वास्तुकला, शिल्पकला और राजवंशीय इतिहास की भी कहानी सुनाती है। यह मंदिर यह भी दर्शाता है कि धरोहरें सिर्फ किताबों में नहीं, जीवन में भी जीवित होती हैं , बस उन्हें देखने वाली आंखें चाहिए।

आज जब देशभर में लोग हनुमान जयंती पर बड़े-बड़े आयोजन कर रहे होंगे, तब रायपुर का यह मंदिर एक जीवित विरासत के रूप में खड़ा रहेगा। यह मंदिर हमें याद दिलाता है कि आस्था और इतिहास का जब मिलन होता है, तब बनती हैं अमर धरोहरें। अगर आप रायपुर जाएं, तो तात्यापारा के इस मंदिर में अवश्य जाएं। वहां की हवा में सिर्फ भक्ति नहीं, बल्कि सदियों पुरानी कहानी की गूंज भी महसूस होगी।

Advertisement

Related articles

Advertisement