Advertisement

Diwali 2024: दिवाली पर इस्तेमाल हुए दीयों का बाद में क्या करना चाहिए?

दिवाली के इस खास मौके पर हर घर दीपों की रोशनी से जगमगाता है, लेकिन त्योहार खत्म होने के बाद उन जले हुए दीयों का क्या करना चाहिए, यह एक बड़ा सवाल है। हिंदू धर्म में दीपक को बहुत पवित्र माना गया है, इसलिए इसे फेंकना या यूं ही छोड़ देना शुभ नहीं माना जाता।

Diwali 2024: दिवाली पर इस्तेमाल हुए दीयों का बाद में क्या करना चाहिए?
दिवाली, यानी "दीपों का पर्व" जो कि भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। हर साल दिवाली पर घर-घर दीपों से रोशन होता है और हर गली-मोहल्ला रंग-बिरंगी रोशनी और खुशियों से सराबोर हो जाता है। मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्री रामचंद्र जी के 14 साल के वनवास से अयोध्या वापसी पर नगरवासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था, और तभी से यह पर्व हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन अक्सर एक सवाल मन में उठता है  दिवाली के बाद इन जले हुए दीपों का क्या करें?  अब यह सवाल आपको साधारण लग सकता है, पर इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। दीपक जलाना सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि आस्था का प्रतीक है। आइए जानते हैं दिवाली के बाद जले हुए दीये का क्या करें और इसे धार्मिक दृष्टि से किस प्रकार सही ढंग से संजोया जाए।
दिवाली के बाद दियों का क्या करें?
दिवाली पर जलाए गए दीपक केवल सजावट का साधन नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों की मान्यता का प्रतीक हैं। माना जाता है कि इन दीपों में मां लक्ष्मी का वास होता है, जो हमारे जीवन में सुख-समृद्धि लाती हैं। इसलिए दीपावली के बाद इन दीयों को ऐसे ही फेंकना अशुभ माना जाता है। बल्कि इन्हें एक खास तरीके से विसर्जित करना चाहिए, ताकि इनका सम्मान बना रहे।

गोवर्धन पूजा में फिर से करें उपयोग

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, जिसे 'अन्नकूट' भी कहा जाता है। इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है और फिर इन दीपों का इस्तेमाल फिर से इसी पूजा में किया जा सकता है। गोवर्धन पूजा में इन दीपों का उपयोग शुभ माना जाता है, जो कि घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है।
दीपों को नदी या जलाशय में करें प्रवाह
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली के दीपक को पवित्र नदियों या जलाशयों में प्रवाहित करना बेहद शुभ होता है। इसका उद्देश्य दीपों में संजोए गए ऊर्जा को प्रकृति में विलीन करना है। मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियां खत्म होती हैं और परिवार में सकारात्मकता का संचार होता है। साथ ही यह प्रक्रिया यह दर्शाती है कि हम अपने पारंपरिक चीजों को सम्मान के साथ विदा करते हैं।

इसके अलावा आप चाहें तो दिवाली के कुछ दीपों को अपने घर के मंदिर में भी रख सकते हैं। ऐसा करना धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है। घर के मंदिर में दीपक रखने का अर्थ होता है कि आपने मां लक्ष्मी का स्वागत किया है और उन्हें घर में निवास करने का निवेदन किया है। यह प्रतीकात्मक रूप से यह दर्शाता है कि घर में शांति, समृद्धि और मां लक्ष्मी का वास है। आधुनिक समय में कई लोग पुराने दीयो को फिर से उपयोग में लाने का रचनात्मक तरीका अपनाते हैं। इन दीपों की मिट्टी को इकट्ठा कर आप छोटे-छोटे गमले या अन्य सजावटी सामान बना सकते हैं। इससे न केवल पर्यावरण का ध्यान रखा जाता है, बल्कि पारंपरिक सामान को भी संजोया जा सकता है। इनका उपयोग किसी नए क्रिएटिव तरीके से कर सकते हैं, जैसे कि बगीचे में साज-सज्जा के रूप में।

दिवाली केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह आस्था, संस्कृति और परंपरा का मेल है। दीपावली के बाद दीपों का सही ढंग से विसर्जन करने से न केवल हम अपनी परंपरा का सम्मान करते हैं, बल्कि हमारे पूर्वजों की शिक्षाओं का पालन भी करते हैं। यह पर्व हमें जीवन के अंधेरे को मिटाने और हर ओर उजाला फैलाने की प्रेरणा देता है। इसलिए अगली बार जब दिवाली के दीपक बुझ जाएं, तो उन्हें सम्मान के साथ विदा करें और अपनी संस्कृति के इस अंश को संजोकर रखें।

यह भी पढ़ें

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें