इस चमत्कारी शिवलिंग के चमत्कारों को देख कर औरंगजेब की भी रुह कांपी थी!

सनातन धर्म में कई सारे देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. हर देवी-देवता का अपना अलग महत्व है. हर सनातनी के घर में कई सारी भगवानों की तस्वीरें आपको देखने को मिल जाएंगी. हर मंदिर में देवी-देवता की अलग-अलग मूर्तियां होती हैं लेकिन क्या आपने कहीं घर में या किसी मंदिर में किसी भगवान की टूटी मूर्ति की पूजा करते किसी को देखा है? नहीं न लेकिन आज हम आपको भोलेनाथ के ऐसे शिवलिंग के बारे में बताएंगे जो पूर्ण रूप से खंडित है और आज भी उसकी पूजा की जाती है.
यह मंदिर स्थित है प्रयागराज के कड़ा धाम में, जिसे महाकालेश्वर खंडित शिवलिंग कहा जाता है तो चलिए जानते हैं इसकी पूरी जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ और देखते रहिए धर्म ज्ञान प्रयागराज का यह खंडित शिवलिंग महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार, यहां पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है क्योंकि यह स्थान महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने गुप्तवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना कर अपने पूरे परिवार के साथ यहां पूजा-अर्चना की थी. धीरे-धीरे यह स्थान एक मठ में तब्दील हो गया और नागा बाबा समय के साथ यहां के महंत बन गए. साथ ही लोगों का ऐसा भी कहना है कि जब औरंगज़ेब ने अपने शासनकाल के दौरान जिन मंदिरों पर आक्रमण किया, यह मंदिर भी उनमें से एक था.
उस दौरान इस मंदिर के महंत नागा बाबा ने यहां स्थापित शिवलिंग और मंदिर की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने अपने हथियार से शिवलिंग पर प्रहार किया, जिसके बाद लाखों की संख्या में मधुमक्खियां निकलीं और औरंगज़ेब की सेना पर टूट पड़ीं। औरंगज़ेब उल्टे पांव वापस लौट गया. कहा तो यह भी जाता है कि इस घटना के बाद औरंगज़ेब इस मंदिर का भक्त बन गया और तब से ही इस खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है. आज भी इस खंडित शिवलिंग की पूजा होती है. भक्तों का मानना है कि यहां पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है, हर कठिनाई से निजात मिलती है और जीवन में खुशियां ही खुशियां बनी रहती हैं.