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सऊदी की ज़मीन से निकला भव्य हिंदू मंदिर इस्लाम की धरती पर मिले मूर्ति पूजा के सबूत

सामने आया अरब का असली इतिहास सऊदी अरब की दुनिया में आया भूचाल, सऊदी की ज़मीन से निकले भव्य मंदिर। इस्लाम की धरती पर मिले मूर्ति पूजा के सबूत।
सऊदी की ज़मीन से निकला भव्य हिंदू मंदिर इस्लाम की धरती पर मिले मूर्ति पूजा के सबूत

ग़ल्फ देशों में शुमार सऊदी अरब जहां की रेगिस्तानी ज़मीन इस्लाम की जन्मस्थली मानी गई क्योंकि यहाँ मौजूद मक्का मदीना मुसलमानों का एक ऐसी तीर्थ स्थल है, जहां जाने की हसरत दुनिया के हर मुसलमान के दिल में होती है। इस्लाम की दुनिया में मक्का मदीना का क्या अस्तित्व है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाइये, आज से लगभग 1400 साल पहले मक्का की बुनियाद रखने वाले कोई और नहीं बल्कि ख़ुद पैग़ंबर मोहम्मद रहे। चारों तरफ़ मस्जिदों से घिरे मक्का में होने वाली हज यात्रा में आज भी लाखों की संख्या में मुसलमानों की भीड़ उमड़ती है। यहाँ आकर अल्ला की इबादत करना पैगंबर के पद चिन्हों के दर्शन करना और हज यात्रा में शामिल होना। दुनिया के प्रत्येक मुसलमान के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है और ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि इस्लाम मूर्ति पूजा की इजाज़त नहीं देता ..लेकिन अब जब सऊदी अरब की धरती से ही देवताओं की मूर्तियाँ निकल रही हैं। रेत में दबे मंदिरों के अवशेष बाहर आ रहे हैं। मुल्क की नबातियन सभ्यता से जुड़ी देवी पूजा के सबूत मिल रहे हैं। तो ऐसे में दुनिया के 56 मुस्लिम देशों में हडकंप मच गया है।  कट्टरपंथियों की आँखें फटी की फटी रह गई हैं और सोशल मीडिया में सऊदी की इन्हीं तस्वीरों पर कमेंट की बाढ़ आ गई है। क्या है ये पूरा मामला, आईये आपको बताते हैं।

सऊदी की दुनिया में एक भी नदी नहीं है लेकिन तेल का अकूत भण्डार है। इस कारण यहाँ तेल से ज़्यादा पानी महंगा है।खाने में बेबी ऊंट का मांस ज़्यादा पसंद करते हैं। सार्वजनिक रूप से शराब के निर्माण, बिक्री, रखने और सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। यहाँ जादू-टोना प्रतिबंधित है,सऊदी की दुनिया से दुनियाभर के देश खजूर, डेयरी उत्पाद, अंडे, मछली, पोल्ट्री, फल, सब्जियां और फूल लेते हैं। सऊदी अरब की दुनिया ऐसी है कि अगर कुछ ग़लत करते हुए पाये गये तो गर्दन काटकर मौत की सजा दी जाती है। आज भी सऊदी शरिया के क़ानून पर ही चलता,  हालाँकि अब सऊदी अरब कट्टरता की राह को छोड़ता जा रहा है। पहले महिलाओं की कार ड्राइविंग पर प्रतिबंध था, लेकिन अब इसे बहाल कर दिया गया है। पीएम मोदी की देखा देखी प्रिंस सलमान भी एक नये सऊदी अरब का निर्माण कर रहे हैं। विजन 2030 के तहत सऊदी की तस्वीर बदलने की कोशिश की जा रही है..इसी कड़ी में अब सऊदी के इतिहास में अल्लात देवी का  मंदिर और उनकी पूजा के सबूत सामने आए हैं।


दरअसल सऊदी अर्ह के वादी रम इलाक़े में अल्लात देवी की मूर्ति और मंदिर से जुड़े कुछ अवशेष खुदाई के दौरान मिले हैं। खोजकर्ताओं की मानें, तो अल्लात देवी का ना सिर्फ़ सऊदी के नताबियन सभ्यता से एक गहरा रिश्ता है बल्कि मंदिर की इतिहास पहली सदी ईस्वी से भी जुड़ा है। सऊदी अरब में ही पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ , जिन्होंने इस्लाम धर्म की स्थापना की। ये बात हर कोई जानता है, लेकिन पुरातत्वविदों का मानना है कि एक समय ऐसा भी था, जब सऊदी अरब में देवी-देवताओं की पूजा होती थी , जिसका सबसे बड़ा सबूत सऊदी मदाइन और वादी रम इलाके में मंदिरों के मिले अवशेष हैं। कहते हैं, नबातियन सभ्यता के लोग मेसोपोटामिया और यूनानी सभ्यता से अधिक प्रभावित थे। इस सभ्यता के लोगों ने पहाड़ों को कुरेदकर सामने की तरफ मंदिर और मकबरे बनाए हैं। इस सभ्यता के ऐसे कई उदाहरण मिले हैं। हालाँकि , रोमन हमलों में नबातियन सभ्यता का अंत हो गया. रोमन के राजा ट्राजन ने इन इलाकों पर भयंकर हमला किया और इस सभ्यता को बर्बाद कर दिया और ऐसे में 106 ईस्वी तक नबातियन सभ्यता का अंत हो गया। सऊदी का इतिहास इस बात की गवाही आज भी देता है कि वादी रम इलाके में बने इस मंदिर को अल्लात देवी के रूप में जाना जाता है, यहां पर अल्लात देवी की मूर्ति है, जिसमें नबातियन सभ्यता के लोग पूजा करतेरोमन राजा के हमले के बाद भी तीसरी शदी तक इस मंदिर में अल्लात देवी की पूजा की जा रही थी। 


अब जो कि देवी की प्रतिमा से लेकर मंदिर से जुड़े अवशेषों के म्यूज़ियम में रखा गया है, जिस पर लोगों ने सऊदी सरकार की जमकर तारीक की है और ये माना है कि सरकार प्राचीन सऊदी देवताओं का संरक्षण कर रही हालाँकि यही चीज कट्टरपंथियों को सबसे ज़्यादा चुभ रही है,बक़ायदा कमेंट करके कह रहे हैं कि सऊदी सरकार राष्ट्रवाद को बढ़ावा देकर इस्लामिक पहचान को दबा रही है।यह हिंदुत्व और यहूदियों की साजिश है कि अरब जगत को सेक्यूलर और उदार बनाया जाए। लोगों का ये कहना है कि समय-समय पर सऊदी की ज़मीन से मूर्ति पूजा के सबूत मिले हैं, जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता है। जो ये दर्शाता है कि अरब का इतिहास इस्लाम से भी पुराना है। 

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