योगी को टार्गेट करके क्या खड़गे ने कांग्रेस को मुसीबत में डाल दिया ? रामभद्राचार्या जी की भविष्यवाणी
कांग्रेस के इतिहास में मणिशंकर अय्यर की गिनती ऐसे नेताओं में हुई, जिन्होंने अपनी ज़ुबान से पार्टी की नैया डुबाई, जब-जब मणिशंकर अय्यर ने मुँह खोला, ऐसा बवाल मचा कि चुनावी पिच पर कांग्रेस औंधे मुँह गिरी। मुंबई हमले के मास्टमाइंड आतंकी को साहब कहकर बुलाया, पीएम मोदी को चायवाला से लेकर नीच क़िस्म का आदमी बताया। परमाणु बम की आड़ में पाकिस्तान की इज्जत करने की नसीहत दी। प्रभु राम के जन्म स्थान पर सवाल उठाए यहाँ तक अटल जी को नहीं, बख्शा उन्हें नालायक कह दिया और अब लगता है कि कांग्रेस को अपना नया अय्यर मिल चुका है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मठाधीश के भगवा को टॉर्गेट कर कांग्रेस पार्टी को संतों के रडार पर ला दिया है। योगी बाबा पर ज़ुबानी हमला कर खड़गे साहब जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के निशाने पर आ गये। भगवाधारियों पर खड़गे साहब ऐसा बोल गये, जिसके बाद से कांग्रेस से कुछ नहीं बोला जा रहा है। इस पर देखिये हमारी ये ख़ास रिपोर्ट।
महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी डुगडुगी बजते ही बंटेंगे तो कटेंगे का नारा नेताओं की ज़ुबान पर , योगी के इस बयान को अब पीएम मोदी भी अपनी ढाल बना चुके हैं और इसी ढाल को काटने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मैदान में उतरे, तो मन की बात उनकी ज़ुबान पर आ गई। ये कह डाला की भगवा ओढ़कर राजनीति नहीं करनी चाहिए..यानी भगवाधाकियों को राजनीति से दूर रहने की नसीहत दी। साफ़ शब्दों में ये बात कही ,कई नेता साधु के भेष में रहते हैं। अब राजनेता बन गए हैं। कुछ तो मुख्यमंत्री भी बन गए हैं। वे गेरुआ कपड़े पहनते हैं और उनके सिर पर बाल नहीं हैं।उनके मुखिया बीजेपी से कहूंगा कि या तो सफेद कपड़े पहनें या अगर आप संन्यासी हैं या गेरूआ कपड़े पहनते हैं तो राजनीति से बाहर हो जाएं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे साहब का ये कहना कि भगवा पहनकर राजनीति नहीं करनी चाहिए, जिसका मतलब साफ़ है भगवाधारियों के लिए राजनीति नहीं है, लेकिन खड़गे जी को ये नहीं भूलना चाहिए कि एक दौर ऐसा रहा जब कांग्रेस ख़ुद साधु-संतों से भरी रहती थी, कभी पार्टी के बाहर से तो कभी पार्टी के नेता के रूप में पार्टी साधु संतों से दूर कभी नहीं रही।इंदिरा गांधी के हर फैसले में धीरेंद्र ब्रह्मचारी की भूमिका होती थी, कई दफ़ा पार्टी पर चंद्रास्वामी का भी प्रभाव देखा गया।स्वामी अग्निवेश से लेकर जयेंद्र सरस्वती का नाम प्रत्येक कांग्रेसी जपा करता था, कांग्रेस से ही आचार्य जेबी कृपलानी राजनीति में फ़ुल एक्टिव थे, राजीव गांधी के मित्र आचार्य प्रर्मोद कृष्णम जो आज पूर्व कांग्रेसी हो चुके हैं, लेकिन एक लंबा समय उन्होंने पार्टी में ही काटा है। हालाँकि अब कांग्रेस में सन्यासियों का कोई बड़ा चेहरा नज़र नहीं आता है, इसके पीछे की वजह कांग्रेस में भगवाधारियों को ना मिलने वाला उचित सम्मान है, जो हाल फ़िलहाल में खड़गे जी के बयान से सामने आ गया है हालाँकि, इस बार योगी को टार्गेट करना खड़गे को इतना भारी पड़ा है कि संतों की पूरी फ़ौज उनके ख़िलाफ़ हो गई। ख़ुद जगद्गुरु स्वामी रामनभद्राचार्य ने उनकी जमकर आलोचना की है। खड़गे के इसी बयान की निंदा करते हुए जगद्गुरु ने दो टूक में कहा कि भगवाधारियों को नहीं, तो क्या राजनीति गुंडों को करनी चाहिए। भगवा रंग भगवान का रंग है। भगवाधारियों को ही राजनीति करनी चाहिए, सूट-बूट वालों को भारत में राजनीति नहीं करनी चाहिए।
इसी कड़ी में सीकर से पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती है, जिन्होंने कांग्रेस को आईना दिखाते हुए ये तक बोल दिया कि मुसलमान दाढ़ी रखकर राजनीति में आते हैं तो किसी को आपत्ति नहीं होती। लेकिन जब भाजपा में साधु-संत आते हैं तो कांग्रेस को तकलीफ होती है। सौ बात की एक बात ये कि आज की कांग्रेस जिस भगवा को राजनीति से दूर रहने की बात कह रही है, उसने ख़ुद से कई संतों की एंट्री राजनीति में कराई। अब ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं, राजनीति पंडितों की मानें तो केंद्र की राजनीति में योगी को आता देख शायद अभी से खड़गे जी बौखला गये हैं। चुनाव प्रचार में योगी बाबा की डिमांड योगी मॉडल की डिमांड ऊपर से योगी में मोदी का उत्तराधिकारी चेहरा। इसी कल की चिंता में खड़गे को संतों की राजनीति से दिक्कत हो रही है ? सच जो भी हो, लेकिन एक बात तो बिलकुल साफ़ है कि भगवाधारियों की आड़ में योगी को टार्रेगट करके खड़गे जी मणिशंकर अय्यर वाली गलती दोहरा रहे हैं, केंद्र की सत्ता में आने से पहले ही अय्यर ने मोदी जी को चायवाला बोलना शुरु कर दिया था, जिसका ख़ामियाज़ा कांग्रेस अब तक भुगत रही है।