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सनातन की राह पर खड़े Indonesia के मुसलमानों ने Green Islam का झंडा बुलंद किया

इस समय जलवायु परिवर्तन की मार से पूरी दुनिया त्रस्त है | खाड़ी देशों ने पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ क्या की, क्लाउड सीडिंग क्या करवाई, अब आवाम का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है | यूएई, सऊदी अरब, बहरीन और ओमान, इन मुल्कों में बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है | हालात इतने भयावह हो गये हैं कि दर्जनों शहरों में बाढ़ आ गई है |
सनातन की राह पर खड़े Indonesia के मुसलमानों ने Green Islam का झंडा बुलंद किया

सनातन एकमात्र ऐसा धर्म है, जिसमें प्रकृति पूजा को सर्वोच्च माना गया है | सनातन में ही सनातनी नदियों को पूजते हुए आपको दिखेंगे | सनातन में ही पर्वतों को सबसे पवित्र माना गया है | ऊंचे-ऊंचे पर्वतों पर ही मैया रानी का बसेरा है | सनातन में ही वृक्षों की पूजा होती है, सनातन में ही गाय को मातृत्व का दर्जा दिया गया है | सौ बात की एक बात ये कि सनातन इंसान को प्रकृति से प्रेम करना, प्रकृति से लगाव रखना, प्रकृति की रक्षा करना और प्रकृति के प्रति सम्मान करना सिखाती है | लेकिन आज के इस युग में मानवजाति प्रकृति के प्रति जितनी लालची हो गई है, उसे देखते हुए क़यामत की रात उतनी ही जल्द आनी बाक़ी है | तभी तो इस्लामिक राष्ट्र इंडोनेशिया अब सनातन के पथ पर चल पड़ा है | मुल्क की आवाम ने ग्रीन इस्लाम का झंडा बुलंद कर दिया है | आख़िरकार ये ग्रीन इस्लाम क्या है? अब क्या इंडोनशिया की घर वापसी का समय आ चुका है?


इस समय जलवायु परिवर्तन की मार से पूरी दुनिया त्रस्त है | खाड़ी देशों ने पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ क्या की, क्लाउड सीडिंग क्या करवाई, अब आवाम का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है | यूएई, सऊदी अरब, बहरीन और ओमान, इन मुल्कों में बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है | हालात इतने भयावह हो गये हैं कि दर्जनों शहरों में बाढ़ आ गई है | अब जो कि ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में इंडोनेशिया भी आ चुका है, इस कारण उसे ख़ुद की चिंता सताने लगी है | हालात इतने गंभीर हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की मार से मुल्क के कई शहर जलमग्न हो चुके हैं और कुदरत की इसी मार से बचने के लिए अब मुल्क में ग्रीन इस्लाम का झंडा बुलंद किया जा रहा है ? क्या है ये ग्रीन इस्लाम ?


दरअसल इस समय इंडोनेशिया क़यामत को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से होने वाले विनाश से जोड़ रहा है | इसी विनाश को रोकने के लिए क़यामत के डर से अब इंडोनेशिया में ग्रीन इस्लाम पर ज़ोर दिया जा रहा है | इस्तिकलाल मस्जिद के इमाम नसरुद्दीन उमर का कहना है - मनुष्य के रूप में हमारी सबसे बड़ी कमियाँ यह रही है कि हम पृथ्वी को महज़ एक वस्तु मानते हैं, हम प्रकृति के प्रति जितने लालची होंगे, प्रलय का दिन उतनी ही जल्दी आएगा | इसी सोच के साथ ग्रीन इस्लाम को फ़ोकस में रखते हुए इन दिनों मुल्क में ऐसे इस्लाम की माँग हो रही है, जो लोगों को प्रकृति के प्रति जागरुक बनाए | ग्रीन इस्लाम का मतलब धार्मिक तरीक़े से पर्यावरण का ख़्याल रखना | ग्रीन इस्लाम पर ज़ोर देते हुए, ये बताया जा रहा है कि रमज़ान के दौरान रोज़ा रखने की तरह यह हर मुसलमान का फ़र्ज़ बनता है कि वो पृथ्वी के संरक्षक बने। नमाज़ अदा करने की तरह पेड़ लगाने की आदत भी ख़ुद में डाले। गौर करने वाली बात ये है कि मुल्क की 86 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी अब ग्रीन इस्लाम के रास्ते पर चल पड़ी है | जिस प्रकार सनातन में प्रत्येक सनातनी प्रकृति पूजा करता है, ठीक वैसे ही मुस्लिमों को धार्मिक गतिविधियों के जरीये पर्यावरण को संरक्षित किये जाने का पाठ पढ़ाया जा रहा है | इंडोनेशिया की इस नेक पहल की प्रशंसा दुनियाभर में हो रही है | वहीं दूसरी तरफ़ अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या अब इंडोनेशिया की घर वापसी होने वाली है | क्योंकि इतिहास गवाह है कि इस्लाम के आने से पहले इंडोनेशिया का मुख्य धर्म सनातन रहा है | आज भी इंडोनेशिया के बाली द्वीप में 90 फ़ीसदी हिंदू रहते हैं।

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