53 साल बाद जगन्नाथपुरी धाम में चमत्कार
53 साल बाद दो दिन चली यात्रा
ओड़िसा के पुरी शहर की जगन्नाथपुरी धाम में आकर, हर कोई अपने आप को धन्य समझता है, क्योंकि धरती के इसी बैकुंठ लोक में महाप्रभु के साक्षात दर्शन होते हैं।यही पर 16 कलाओं के ज्ञाता भगवान श्री कृष्ण की धड़कने सुनाई देती हैं और यहीं पर महाप्रभु का महाप्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।रहस्यों से भरी प्रभु जगन्नाथ की यही अलौकिक दुनिया आज उनके भक्तों से पटी हुई है , क्योंकि साल में निकाली जाने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा संपन्न हो चुकी है। 7 जुलाई को यात्रा आरंभ हुई शाम 5 बजे के बाद शुरू हुई रथ यात्रा सूर्यास्त के साथ ही रोक दी गई थी, फिर अगले दिन यानी 8 जुलाई को इस यात्रा को पूर्ण किया गया , भक्ति से सराबोर लाखों की संख्या में भक्तों ने महाप्रभु के रथ को खींचा।गुंडीचा मंदिर तक रथ को ले जाया गया जहां महाप्रभु 15 जुलाई तक रहेंगे।यहीं पर कई प्रकार के पकवान बनाने की परंपरा निभाई जाएगी और फिर 16 जुलाई को महाप्रभु अपने धाम लौट जाएँगे। इन सबके बीच दो दिनों तक रथ यात्रा क्यों चली, इसके पीछे की वजह बताते हुए जगन्नाथ मंदिर के पंचांगकर्ता डॉ. ज्योति प्रसाद ने बताया कि हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा एक दिन की होती है, लेकिन इस बार दो दिन की है। इससे पहले 1971 में यह यात्रा दो दिन की थी। तिथियां घटने की वजह से ऐसा हुआ।
धर्म ग्रंथों के हवाले से यही बताया जाता है कि रथ यात्रा के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञों का पुण्य फल मिलता है।यही वजह है कि यात्रा आरंभ होने से पहले ही महाप्रभु के भक्त जगन्नथपुरी धाम पहुँचना शुरु हो जाते हैं और जो लोग किसी कारण वश इस रथ यात्रा में शुमार नहीं हो पाते हैं, वो सात्विक दिनचर्या का पालन करते हुए घर पर ही श्री जगन्नाथ जी की स्तुति करते हैं।