अब Assam के रास्ते घुसपैठियों को खदेड़ा जाएगा, हिंदू राष्ट्र से देशविरोधि ताकतों का खात्मा
हिंदू राष्ट्र में हिंदू मंदिरों पर बड़ा फ़ैसला
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वाआज की तारीख़ में इस नाम से, इस चेहरे से… देश के मुस्लिम धर्मगुरु, मौलवी ज़्यादा परिचित हैं। क्योंकि बिस्वा जब कभी कोई फ़ैसला लेते हैं, उसे एंटी-मुस्लिम करार दिया जाता है। विपक्षी पार्टियों की तरफ़ से बिस्वा की एंटी-मुस्लिम छवि तैयार की गई है। जबकि असल में बिस्वा भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं हैं। उनकी कट्टर मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ज़ुबान ज़हर उगलती है, जो घुसपैठिए हैं। असम की सीमाओं से सटे दूसरे देशों से अवैध तरीक़े से भारत की दहलीज़ पार करते हैं। बांग्लादेश की सीमा से सटा भारत का असम राज्य आज की तारीख़ में बांग्लादेशी घुसपैठियों का अड्डा बन चुका है। तभी तो बिस्वा सरकार कई दफ़ा असम के मुस्लिम बहुल राज्य बनने की भविष्यवाणी कर चुकी है। 2011 की जनगणना के हवाले से बिस्वा इस बात का दावा करते हैं कि-
“असम में कुल मुस्लिम आबादी 1.07 करोड़ थी, जो कुल 3.12 करोड़ निवासियों का 34.22 प्रतिशत थी। राज्य में 1.92 करोड़ हिंदू थे, जो कुल जनसंख्या का लगभग 61.47 प्रतिशत था। हर 10 साल में असम में मुस्लिम आबादी 11 लाख बढ़ जाती है। 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा। यह एक वास्तविकता है और इसे कोई नहीं रोक सकता।”
बांग्लादेश में इस्लामिक तख्तापलट क्या हुआ, शेख़ हसीना की कुर्सी क्या गई।बंगाली हिंदुओं के साथ मार-काट शुरू हो गई, हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया, घर-दुकानें लूटी गई। बंगाली हिंदुओं का साँस लेना मुश्किल हो गया और अब जब बांग्लादेश में अस्थिरता बनी हुई है, तो ऐसे में असम को मिनी बांग्लादेश बनाने की साज़िश चल रही है, बड़े पैमाने पर अवैध बांग्लादेशी भारत की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। बीते दिनों असम में 20-30 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया है या उन्हें वापस भेज दिया गया है। लेकिन उन मुस्लिम घुसपैठियों का क्या, जो फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के साथ असम में अपना डेरा जमा चुके हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि असल में कई इलाक़े ऐसे हैं, जहां घुसपैठिये दीमक की तरह धीरे-धीरे हिंदू मंदिरों की ज़मीनों पर क़ब्ज़ा कर रहे हैं। ताज़ा उदाहरण असम के बारपेटा इलाक़े का दिया जाता है, जहां कई हिंदू मंदिरों की ज़मीनों पर अवैध घुसपैठियों का कब्जा है और इन इलाक़ों में हिंदू परिवारों का जाना खतरे से खाली नहीं है। इतिहास के जानकार ये बताते हैं कि बारपेटा का ये मंदिर हिंदू वैष्णव समुदाय का है। इन उपासना स्थलों को सत्र कहा जाता है और इन्हीं सत्र की ज़मीनों पर आज की तारीख़ में बांग्लादेशी मुसलमानों ने क़ब्ज़ा कर लिया है। इसके पीछे का कारण है, हिंदुओं का मजबूरन घर छोड़कर जाना। हिंदू बहुल इलाक़ों में घुसपैठिये मुसलमानों की भरमार हो चुकी है। ख़बरें तो ऐसी भी हैं कि यही अवैध घुसपैठिये हिंदुओं के लिए दिन पर दिन ख़तरा बनते जा रहे हैं। और इसी ख़तरे को भाँपते हुए मुख्यमंत्री बिस्वा ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए प्रदेश के लिए नया भूमि क़ानून तैयार कर दिया है। इस क़ानून के तहत बारपेटा, बोरदोआ और माजुसी सत्र के 5 किलोमीटर के दायरे में बाहरी व्यक्ति के ज़मीन खरीदने पर रोक लगा दी गई है। मतलब ये कि मंदिरों की ज़मीनों पर कोई भी बाहरी ताक़त छू तक नहीं पाएगी। भले ही बिस्वा के इस फ़ैसले को एंटी-मुस्लिम बताया जा रहा हो, लेकिन बिस्वा के चाहने वाले इसे घुसपैठियों के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई बता रहे हैं।