मोदी के आगे नूपुर शर्मा ने तोड़ी अपनी चुप्पी वैष्णो देवी भक्तों पर कही सबसे बड़ी बात
पैगंबर विवाद मामले में 15 महीनों के लिए अंडरग्राउंड हुई बीजेपी की पूर्व नेता और पेशे से वकील नूपुर शर्मा अब जाकर दुनिया के सामने आई है। आज की तारीख़ में नूपुर शर्मा से पूरी इस्लामिक दुनिया परिचित है क्योंकि 15 महीने पहले एक टीवी चैनल की डिबेट में नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके चलते इस्लामिक देशों से लेकर देश की विपक्षीय पार्टियों ने इनका पुर ज़ोर विरोध किया। इनके ख़िलाफ़ कथित कट्टरपंथी सड़कों पर उतर आए। इन्हें जान से मारने की धमकियाँ मिलने लगी। जिसके बाद नूपुर शर्मा ने ना सिर्फ़ सार्वजनिक तौर पर माफ़ी माँगी बल्कि पार्टी की तरफ़ से भी इन्हें निष्कासित कर दिया गया लेकिन उनका क्या, जो सनातन को गाली बकते हैं। उनका क्या, जो सनातन को ख़त्म करने की बात करते हैं। ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ? अन्य धर्मों के ख़िलाफ़ बोलना अगर ईशनिंदा में आता है, तो क्या सनातन का अपमान करना जुर्म नहीं है ? सर्वधर्म समभाव जिस भारत की अवधारणा रही है, वहाँ सनातन के अपमान को सहना क्या सनातनियों की सहनशीलता है या फिर कमजोरी ? इस पर अपनी राय ज़रूर दीजियेगा।
इसी के साथ हम आपको बता दें कि अब जाकर नुपूर शर्मा की खामोशी टूटी है। बैक टू बैक 3 दिनों के अंदर नूपुर शर्मा ने दो ऐस ट्वीट किये हैं जिसे आज पूरी दुनिया पढ़ रही है। 9 जून को जैसे ही मोदी जी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति भवन के आँगन में खिलता कमल नज़र आया। नूपुर शर्मा ने तुरंत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आकर इस पर अपनी प्रसन्नता ज़ाहिर की बक़ायदा ट्वीट कर कहा "आज तीसरी बारी नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेते देख अत्यंत प्रसन्नता हुई। फिर एक बार मोदी सरकार सुरक्षित व विकसित भारत की ओर"।
नूपुर शर्मा के इसी ट्वीट से ये अटकलें लगाई जाने लगी कि अब पाटी में वापसी का समय आ चुका है। सत्ता के गलियारे शेरनी की वापसी को लेकर सुगबुहागट तेज़ हो गई और इन्हीं अफ़वाहों के बीच रियासी इलाक़े में श्रद्धालुओं पर हुए आतंकी हमले पर नूपुर शर्मा का ग़ुस्सा फूटा है। ये जगज़ाहिर है कि सनातन को लेकर नूपुर शर्मा हमेशा से मुखर होकर बोली है। ऐसे में जब उन्हें जम्मू में हुए इस आतंकी घटना के बारे में मालूम हुआ उन्होंने तुरंत इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस घटना की आलोचना की और ट्वीट कर कहा "इसे माफ़ नहीं किया जा सकता है। किसी भी रूप में आतंकवाद को माफ़ नहीं किया जा सकता है।मेरी संवेदनाएँ शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना और घायलों के शीध्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करती हूँ।"
आज सोचने वाली बात ये है कि बीते 2 सालों में देश में ना जाने कितनी ऐसे घटनाएँ हुई हैं, जिस पर एक-एक नेता बोला है। फिर चाहे वो आवाज़ विपक्ष की तरफ से हो या फिर सत्ताधारी मोदी सरकार में से उठी हो लेकिन इन दो सालों में नूपुर शर्मा की आवाज़ गुम रही और अब सत्ता में तीसरी बार मोदी सरकार के बन जाने से जिस तरह से नूपुर शर्मा अपने सार्वजनिक जीवन में एक्टिव हुई हैं, उससे ये क़यास लगाए जा रहे हैं कि अब शेरनी की वापसी तय है। सनातन विरोधियों की धज्जियाँ उड़ाने वाली नूपुर शर्मा आज अगर एक्टिव पॉलिटिक्स में आती भी है, तो क्या इससे भाजपा को फ़ायदा होगा । आप क्या सोचते हैं, बताइयेगा ज़रूर।