शिव की कैलाश नगरी में पीएम मोदी ने चाइना की साज़िशों को दफ़नाया
पीएम मोदी के आगे भीगी बिल्ली बना ड्रैगन
दुनिया जानती है कि चीन का बस चले तो पूरे जम्मू-कश्मीर को हथिया ले, तभी तो 370 के हटने से खफा चीन ने गलवान घाटी में अपनी औक़ात दिखाई और अब कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रोक लगाकर अपनी दादागिरी दिखा रहा है। पिछले 5 सालों से चीन ने भारत के लिए कैलाश पर्वत का फाटक बंद कर रखा है। समधौतों की धज्जियाँ उड़ाते हुए शिव भक्तों के लिए इतने कठिन नियम बना दिये, ताकी कोई भारतीय कैलाश पर्वत का दीदार ना कर पाये। सीधे तौर पर हिंदुओं की आस्था पर प्रहार किया, लेकिन अब उसके इसी प्रहार का जवाब पीएम मोदी ने दिया है। कैलाश के दर्शनों के लिए मोदी सरकार ने एक नया रास्ता ढूँढ निकाला, जिसके बाद से चीन की सारी अकड़ ढीली हो चुकी हैं। या फिर यूँ कहे कि कैलाश मानसरोवर में अड़ंगा ढाल रहे चीन की गर्दन अब जाकर पीएम मोदी के हाथों में आई है।
देखा जाए, तो अब ना ही चीन की ज़रूरत है और ना ही चीन के आगे गिड़गिड़ाना पड़ेगा। क्योंकि अब देवभूमि की चोटी से बाबा कैलाश के पावन दर्शन होंगे। दरअसल, उत्तराखंड में मौजूद पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में स्थित ओल्ड लिपुलेख की चोटी से कैलाश पर्वत के साक्षात दर्शन होंगे। ओल्ड लिपुपास को श्रद्धालुओं के लिए खोलने का फैसला पहले ही लिया जा चुका है। शिव भक्तों को ओल्ड लिपुपास जाने के लिए लिपुलेख तक गाड़ी से और फिर कैलाश पर्वत को देखने के लिए लगभग 800 मीटर पैदल चलना पड़ेगा और इस जगह से कैलाश पर्वत करीब 50 किलोमीटर दूर है। इसके लिए सरकार ने उड़न खटोला के नाम पर MI-17 हेलीकॉप्टर भी ज़मीन पर उतार दिया है। दरअसल, लिपुलेख की पहाड़ियों से MI-17 हेलिकॉप्टर से अगले हफ्ते से कैलाश पर्वत के दर्शन शुरू हो जाएंगे। यानी की व्यू पॉइंट से कैलाश पर्वत के दर्शनों के लिए सुबह 6 बजे से हेलिकॉप्टर की उड़ानें होंगी और दोपहर 2 बजे तक सभी श्रद्धालुओं को गुंजी गांव वापस ले आएँगे। यानी की पैदल यात्रा के रास्ते और हवाई उड़ान के जरिए शिव के भक्त उनकी कैलाश नगरी के साक्षात दर्शन कर सकेंगे। सबसे बड़ी बात ये कि अब ना ही चीन की ज़रूरत पड़ेगी, और ना ही पैसों की ज़्यादा टेंशन लेनी पड़ेगी। क्योंकि पहले इस यात्रा में जहां ढाई लाख रुपये का प्रति व्यक्ति खर्चा आता था, अब यही धार्मिक यात्रा लगभग 75 हज़ार रुपये में की जाएगी। जो कि ये यात्रा चार दिवसीय रहेगी, इसलिए इसमें हेलीकॉप्टर-जीप का किराया, रुकना, खाना, गर्म पानी, रजाई-गद्दे आदि शामिल हैं।
शिव की कैलाश नगरी आज भी किसी रहस्यमय लोक से कम नहीं है। कैलाश पूरी धरती का केंद्र है। यह जगह आकाश और पृथ्वी के बीच का एक बिंदु है, जहां से दसों दिशाएँ मिलती हैं। यह 100 छोटे पिरामिडों का केंद्र है, और यहीं से चार दिशाओं में चार नदियों का उद्गम हुआ है। दुनिया की कोई ताकत कैलाश की चोटी पर नहीं पहुँच पाई। इस पूरे पर्वत पर नास्तिकों को भी ईश्वरीय शक्ति का एहसास होता है। इन्हीं अलौकिक शक्तियों के बीच यति मानव का रहस्य कोई सुलझा नहीं पाया। कोई नहीं जानता, कैलाश पर डमरू और ओम की आवाज़ कहाँ से आती है, लेकिन यह पूरी दुनिया के कानों तक सुनाई देती है। आज भी कैलाश पर्वत पर सात तरह की रोशनी नजर आती है, भले ही वैज्ञानिक इसे चुम्बकीय बल बताते हैं, लेकिन कैलाश की आसमानी दुनिया अलग से चमकती हुई दिखती है।