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रामनवमी के दिन रामलला के माथे पर तिलक की तरह चमकेंगे भगवान सूर्य, जानें कैसे होगा यह

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के दौरान ही इस उत्वस को भव्य बनाने का खास इंतजाम किया गया है. मंदिर का निर्माण कुछ इस तरीके से किया गया है कि हर साल रामनवमी के दिन ठीक दोपहर 12 बजे भगवान सूर्य रामलला के माथे पर तिलक करेंगे. इस दौरान सूर्य की किरणें मंदिर के गर्भगृह में इस तरह से प्रवेश करेंगी जैसे वे रामलला के मस्तक पर सुसज्जित हो. इस दौरान रामलला की मूर्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होगा जैसे कि उन्होंने सूर्य का तिलक किया हो.
रामनवमी के दिन रामलला के माथे पर तिलक की तरह चमकेंगे भगवान सूर्य, जानें कैसे होगा यह
22 मार्च 2024 ये वो तारीख है जिसे कोई भी रामभक्त भूल नहीं सकता. 500 सालों के इंतजार के बाद इस दिन प्रभु राम अपनी धरती पर वापस विराजमान हुए. अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनने के बाद हर दिन लाखों की संख्या में रामभक्त उनकी नगरी पहुंचकर उनके दर्शन कर रहे हैं. लेकिन मंदिर बनने के बाद रामभक्तों को जिस तारीख का सबसे अधिक इंतजार है वह है रामनवमी जो कि इस साल 17 अप्रैल को मनाई जाएगी.

रामनवमी भगवान राम की जयंती का प्रतीक है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार रामनवमी के दिन ही मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. ऐसी मान्यता है कि जब भगवान राम का जन्म हुआ तो उनके बाल रूप के दर्शन के लिए सभी देवतागण धरती पर पधारे थे. ऐसे में 500 साल बाद अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में इस दिन का महत्व अपने आप ही बढ़ गया है.

12 बजे भगवान राम के माथे पर चमकेंगे सूर्य देव


अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के दौरान ही इस उत्वस को भव्य बनाने का खास इंतजाम किया गया है. मंदिर का निर्माण कुछ इस तरीके से किया गया है कि हर साल रामनवमी के दिन ठीक दोपहर 12 बजे भगवान सूर्य रामलला के माथे पर तिलक करेंगे. इस दौरान सूर्य की किरणें मंदिर के गर्भगृह में इस तरह से प्रवेश करेंगी जैसे वे रामलला के मस्तक पर सुसज्जित हो. इस दौरान रामलला की मूर्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होगा जैसे कि उन्होंने सूर्य का तिलक किया हो. 

कैसे होगा रामलला का सूर्यतिलक?


बता दें कि रामनवमी पर भगवान सूर्य चार मिनट तक रामलला के माथे पर विराजमान रहेंगे. भगवान राम को सूर्य तिलक कराने में वैज्ञानिक पद्धति का सहारा लिया गया है.  रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें प्रभु रामलला के ललाट पर डाली जाएगीं. मंदिर के भूतल पर दो दर्पण और एक लेंस लगाया गया है. सूर्य की रोशनी दूसरे तल पर लगे तीन लेंस और 2 दर्पणों से होते हुए भूतल पर लगाए गए आखिरी दर्पण पर पड़ेगी. इससे परावर्तित होने वाली किरणों से मस्तक पर तिलक बनेगा. यह सूर्य अभिषेक 75 मिलीमीटर का होगा. 

रामलला को क्यों कराया जाएगा सूर्यतिलक?


अगर आप यह सोच रहे हैं कि रामनवमी के दिन रामलला को सूर्य तिलक क्यों कराया जा रहा है तो बता दें कि प्रभु राम का जन्म सूर्य वंश में हुआ था और सूर्य देव उनके कुल देवता हैं. यहीं नहीं भगवान राम का जन्म मध्य काल में अभिजित मुहूर्त में हुआ था उस वक्त सूर्य अपने पूर्ण प्रभाव में थे. 

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