Modi ढाल बने शंकराचार्य ने विरोधियों को किया खामोश

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य हैं,लेकिन इन दिनों इनके पद पर ही सवाल उठने लगे हैं। जिन लोगों को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयानों से परेशानी है, वो उन्हें कांग्रेस की कठपुतली बता रहे हैं।गंभीर आरोप लगाने वालों में गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज सबसे आगे हैं।मीडिया के सामने आकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को कांग्रेस का खिलौना बता रहे हैं,पाखंडी संन्यासी होने का का आरोप लगा रहे हैं।सोने और पीतल के बीच का अंतर समझा रहे हैं, इसी कड़ी में देश के एक और शंकराचार्य की एंट्री हो चुकी है।आलम ये हैं कि सोना ग़ायब को लेकर देश के दो शंकराचार्य आमने-सानने आ चुके हैं।
अब तक को नेताओं से लेकर धर्माचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर ज़ुबानी हमले कर रहे थे और अब इस पूरे मसले पर पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती खुलकर सामने आ गये हैं।हम उन्हीं स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की बात कर रहे हैं, जिन्होंने चुनावी रिज़ल्ट से पहले पीएम मोदी को राष्ट्र भक्त बताया था।पीएम मोदी के साथ-साथ सीएम योगी को भी ईमानदार नेता बताया था।इस बात को स्वीकारा था कि मोदी राज में देश सुरक्षित है और इतना ही नहीं, पीएम मोदी के तीसरे बार सरकार बनाने की भी भविष्यवाणी की थी और अब जब मोदी सरकार के साथ-साथ योगी के कावड़ से जुड़ी नेम प्लेट मसले पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हमलावर है, तो उनके झूठ का पर्दाफ़ाश का करने के लिए अब जाकर सामने आए हैं।
केदारनाथ धाम में बाबा केदार की गर्भगृह से सोने गायब हुआ है या नहीं। 228 किलो सोना गायब होने की मिस्ट्री क्या है।इस पर से झूठ की परतें स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने हटाई है। उन्होंने खुलकर ये कहा है कि सोना कहीं ग़ायब नहीं हुआ है, बल्कि भ्रम फैलाया जा रहा है..बक़ायदा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर निशाना साधता हुए कहा है-मंदिर में इतना सोना कभी नहीं था। केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट ने भी बताया दिया है कि गर्भगृह में तांबे की प्लेट पर सोने की परत चढ़ाई गई है। यह सोना भी दान में मिला था।जो बिना सोचे-समझे और बगैर तथ्यों को जाने बोल रहे हैं। उन्हें इसका सबूत भी देना चाहिए।
केदारनाथ मामले में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की एंट्री, सोना ग़ायब होने को झूठ बताना ,ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य को सत्यता का बोध कराना है।ये दर्शाता है कि सत्य परेशान हो सकता लेकिन पराजित नहीं। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जिस गद्दी पर आसीन है, वहाँ से समूचे विश्व में सनातन का प्रचार प्रसार होता है यानी का सनातन का पॉवर हाउस और आज इसी पॉवर हाउस की ताक़त पीएम मोदी की ढाल बनी हुई है।