शारदीय नवरात्रि 2024: कैसे पता लगता है मां किस वाहन पर होगी सावर,जानें वाहन के पीछे का रहस्य
शारदीय नवरात्रि 2024: जैसे ही शारदीय नवरात्रि का पर्व नजदीक आता है, माता दुर्गा की पूजा की तैयारी जोरों पर होती है। इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से हो रही है, और सबसे अहम बात की इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी पर होने वाला है। जी हां, पालकी पर सवार होकर मां दुर्गा इस बार हमारे बीच आ रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं मां दुर्गा के पालकी आगमन के पीछे का विशेष महत्व क्या है। आज हम आपको अपने इस लेख में मां दुर्गा के सातों वाहनों के बारे में बताएंगे। और साथ ही यह भी बताएंगे की देवी दुर्गा के वाहनों का पता आखिर कैसे चलता है और यह हमें क्या संकेत देते हैं ।
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
देवीभागवत पुराण के ग्यारहवें स्कंध के सोलहवें अध्याय के इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी मां के आगमन का अलग-अलग वाहन के बारे में बताया गया है।
शशि (चंद्रमा) - यदि नवरात्रि का पहला दिन सोमवार या रविवार हो, तो देवी मां गज यानी हाथी पर सवार होती हैं।
सूर्य (रविवार) - सूर्य के दिन मां दुर्गा हाथी पर आती हैं।
शनिदेव (शनिवार) - शनिवार के दिन मां दुर्गा घोड़े पर सवार होती हैं।
मंगल (मंगलवार) - मंगलवार को मां दुर्गा घोड़े पर आती हैं।
गुरु (गुरुवार) - गुरुवार के दिन मां दुर्गा पालकी पर सवार होती हैं।
शुक्र (शुक्रवार) - शुक्रवार को मां दुर्गा पालकी पर आती हैं।
बुध (बुधवार) - बुधवार को मां दुर्गा नौका यानी नाव) पर सवार होकर आती हैं।
मां दुर्गा का आगमन सातों दिनों के हिसाब से अलग-अलग वाहन पर होता है, लेकिन मां दुर्गा के अलग अलग वाहनों के पीछे कई मान्यताएं हैं, जो उनके स्वरूप और शक्ति का प्रतीक हैं। यह मान्यता है कि मां दुर्गा का वाहन बदलना केवल एक संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरा संदेश छिपा होता है। आइए, जानते हैं इन वाहनों के पीछे छिपे कुछ प्रमुख मान्यताओं के बारे में।
1. गज (हाथी) - हाथी को भारतीय पौराणिक कथाओं में समृद्धि, ऐश्वर्य और शांति का प्रतीक माना गया है। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो यह संकेत होता है कि आने वाला समय सुख-समृद्धि और शांति से भरा होगा। हाथी पर आगमन का अर्थ यह भी है कि पृथ्वी पर जल और वनस्पतियों की प्रचुरता होगी, और प्राकृतिक आपदाएं कम होंगी।
2. तुरंग (घोड़ा) - घोड़ा, मां दुर्गा के क्रियाशील और वीर रूप का प्रतीक है। जब मां दुर्गा घोड़े पर आती हैं, तो यह संकेत होता है कि आने वाला समय युद्ध, संघर्ष और विपत्तियों से भरा हो सकता है। यह वाहन मानव को आगाह करता है कि कठिन समय के लिए तैयार रहें और अपने साहस और संकल्प को बनाए रखें। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, घोड़े पर सवार मां दुर्गा अपने भक्तों को यह संदेश देती हैं कि संघर्ष से घबराएं नहीं, बल्कि उसका डटकर सामना करें।
3. डोली (पालकी) - डोली या पालकी पर मां दुर्गा का आगमन परिवर्तन का सूचक होता है। यह इस बात का संकेत है कि आने वाला समय जीवन में बड़े बदलाव लेकर आ सकता है। डोली पर सवार मां का स्वरूप यह बताता है कि जीवन में परिवर्तन अनिवार्य है, और इसे स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। पौराणिक कथा के अनुसार, डोली पर सवार मां का आगमन यह भी दर्शाता है कि समाज में नए नियम और नए तरीके स्थापित होंगे।
4. नौका (नाव) - नाव पर सवार होकर मां दुर्गा का आना जल से संबंधित संकटों जैसे बाढ़, तटीय आपदा, आदि का संकेत देता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, नाव पर आने वाली मां अपने भक्तों को यह संदेश देती हैं कि जीवन के हर तूफान से बाहर निकलने के लिए वे उनका मार्गदर्शन करेंगी। यह समय शांति, संयम और सतर्कता से कार्य करने का होता है, ताकि किसी भी संकट से सुरक्षित बाहर निकला जा सके।
मां दुर्गा के नवरात्रि के दिनों में वाहनों का बदलना उनके विभिन्न स्वरूपों और समय के संकेत का प्रतीक है। देवीभागवत पुराण में वर्णित यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि जीवन में हर दिन और हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।