मक्का-मदीना में आया ऐसा जल जला, दूर-दूर तक सैलाब ही सैलाब
सऊदी अरब इकलौता ऐसा इस्लामिक देश है, जहां की ज़मीन पर जन्नत का दरवाज़ा खुलता है। यहाँ का मक्का-मदीना मुसलमानों के लिए एक ऐसी तीर्थस्थल है, जहां जाने की हसरत दुनिया के हर मुसलमान के दिल में होती है। इस्लाम की दुनिया में मक्का-मदीना का क्या अस्तित्व है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाइये कि आज से लगभग 1400 साल पहले मक्का की बुनियाद रखने वाले कोई और नहीं, बल्कि खुद पैग़ंबर मोहम्मद थे। चारों तरफ मस्जिदों से घिरे मक्का में होने वाली हज यात्रा में लाखों की संख्या में मुसलमानों की भीड़ उमड़ती है। यहाँ आकर अल्लाह की इबादत करना, मक्का में मौजूद पैगंबर के पदचिन्हों के दर्शन करना, शैतान को पत्थर मारना हज यात्रा का हिस्सा है।
और इसी हज यात्रा में इस बार मातम पसरा हुआ था। इस बार की हज यात्रा में गर्मी का ऐसा सितम टूटा कि सड़कों पर लाशें ही लाशें बिछ गईं। भारत से गए 22 तीर्थयात्रियों की लू लगने से मौत हो गई। ग्रैंड मस्जिद की जिस जगह पर परिक्रमा की जाती है, वहाँ तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। मस्जिद के पास स्थित मीना में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस चला गया। एक तो आग उगलती गर्मी, ऊपर से लाखों की तादाद में हज यात्रियों की भीड़। इन्हीं परिस्थितियों के बीच चिलचिलाती गर्मी में सड़क किनारे लाशें बिछनी शुरू हो गईं। अचानक तबीयत ख़राब होने से लोगों की मौतें होने लगीं। और इन्हीं भयावह परिस्थितियों से निपटने के लिए सऊदी सरकार नाकाम दिखी। और अब एक बार फिर सऊदी सरकार की धज्जियाँ उड़ी हुई हैं। इसी जल प्रलय के सामने क्राउन प्रिंस सलमान की व्यवस्थाएँ धराशाही हो गईं हैं। रेगिस्तान में हर चीज डूबी हुई दिख रही है। पूरा का पूरा शहर पानी में डूबा दिखाई दे रहा है। मकान, दुकान, खेत-खलिहान सब पानी-पानी हो गए हैं। आज का सऊदी पानी के साथ बहता चला जा रहा है। लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इन भयावह हालातों को क़यामत की निशानियों से जोड़ा जा रहा है। क्या सच में सऊदी अरब से पूरी दुनिया में क़यामत आने वाली है? देखिये।
आज जो कोई भी सऊदी को डूबता हुआ देख रहा है, वह इसे क़यामत की निशानियाँ बता रहा है। कुरान-ए-पाक के हवाले से यह दावा किया जाता है कि क़यामत की रात आनी है, यानी इस धरती का विनाश। हालांकि इससे जुड़ी कई छोटी-बड़ी निशानियाँ बताई गई हैं। और इन्हीं निशानों के आधार पर मुस्लिम जानकार यह तक कह रहे हैं कि लोगों का गुनाह इतना बढ़ गया है कि इससे अल्लाह नाराज हैं और इसी नाराज़गी की वजह से सैलाब सितम बनकर टूट रहा है। जहां कभी बारिश नहीं होती वहां आसमान से बिजली गिरना, सैलाब का आना लोगों के डर का कारण है। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टि से इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा रहा है। सऊदी में होने वाली क्लाउड सीडिंग, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में चलने वाली हवाएं, और सबसे बड़ा कारण खराब ड्रेनेज सिस्टम। सऊदी का इतिहास रहा है कि बाढ़ जैसे हालात कभी नहीं बने। लिहाज़ा, पानी की निकासी भी पुराने तरीक़ों की है, जिस कारण शहरों से पानी निकल नहीं पा रहा है। बहरहाल इन हालातों पर क़ाबू पाने की कोशिशें चल रही हैं और कुछ ही दिनों में सऊदी का यह रेगिस्तान इलाका खिल उठेगा। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि अल्लाह का घर माने जाने वाले मक्का-मदीना से बार-बार ऐसी भयावह तस्वीरें क्यों आ रही हैं?