2 अक्टूबर को लग रहा साल का अंतिम सूर्य ग्रहण, जानिए क्या भारत में दिखेगा या नही ?
2 अक्टूबर को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण होने जा रहा है, जो खगोल प्रेमियों के लिए एक खास अवसर है। जानिए, क्या यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा और इस दौरान क्या खास गतिविधियाँ देखी जा सकती हैं। इस लेख में हम आपको ग्रहण के समय, स्थान और देखने के तरीकों की जानकारी देंगे।
साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण बुधवार को यानी 2 अक्टूबर को लगने वाला है। इस सूर्य ग्रहण की तिथि और भी ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए हो जाती है क्योंकि यह सूर्य ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने वाला है। कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगने वाला यह सूर्यग्रहण पृथ्वी के कुछ क्षेत्रों में आंशिक रूप से और कुछ अन्य स्थानों में "रिंग ऑफ फायर" के रूप में दिखाई देगा। ऐसे में इस सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों के मन में बहुत सारे सवाल भी उठ रहे हैं। जैसे या सूर्य ग्रहण कब और कहां दिखाई देगा क्या भारत में ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा। इसके साथ ही लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर "रिंग ऑफ फायर" क्या होता है।
भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण ?
चंद्र ग्रहणहो या या फिर सूर्य ग्रहण जैसे ही ग्रहण का नाम आता है तो लोगों के मन में बहुत सारे सवाल भी उठने लगते हैं क्योंकि जिन जगहों पर ग्रहण दिखाई देता है तो वहां पर कई सारे शास्त्रीय नियमों का भी पालन करना पड़ता है लेकिन 2 अक्टूबर को पढ़ने वाला साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों,प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक, अर्जेंटीना, ब्राजील, मेक्सिको, पेरू, फिजी जैसे कुछ जगहों पर दिखाई देगा। ऐसे में अगर सूर्य ग्रहण के समय की बात करें तो यह भारत के समयानुसार 2 अक्टूबर की रात 9:12 से शुरू होगा जबकि इसका समापन 3 अक्टूबर रात 3:17 पर होगा। वैसे तो धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है जिसमें मंदिरों के कपाट पूजन पाठ जैसे कई काम पूरे तरीके से बाधित होते हैं लेकिन यह सूर्य ग्रहण का असर भारत में नहीं है इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और ना ही पूजा पाठ बंद होगा।
जानिए क्या है रिंग ऑफ फायर
रिंग ऑफ़ फायर को लेकर आपके मन में कई सारे सवाल होंगे तो लिए अब हम आपको इसके बारे में समझते हैं कि आखिर रिंग ऑफ फायर होता क्या है। जब बलिया कर सूर्य ग्रहण होता है तब चांद की छाया सूर्य पर पड़ने से एक छाले के आकार का दृश्य उत्पन्न होता है। सूर्य के इस स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में एन्यूलर सोलर एक्लिप्स कहा जाता है। हालांकि यह भी जरूरी नहीं है कि हर सूर्य ग्रहण के दौरान इस तरह का दृश्य दिखाई दे कभी-कभी कई वर्षों में ऐसा केवल एक बार देखने को मिलता है लोग इस अद्भुत नजारे को अनुभव करने के लिए उत्सुक रहते हैं और इस रिंग ऑफ फायर के नाम से जाना जाता है।
कब बनती है सूर्य ग्रहण की स्थिति ?
आई अब आपको बताते हैं कि सूर्य ग्रहण लगता कब है। खगोलीय गणना के अनुसार जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं और चंद्रमा,पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है।जिसके चलते सूर्य की किरणें तब पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है। इसका नतीजा यह होता है कि पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरीके से अंधेरा छा जाता है इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।