चार धामों पर जाकर पीएम मोदी अपने साथ क्या लेकर आना भूलते नहीं हैं ?

चार दिशाओं में मौजूद सृष्टि के पालनहार के चार धाम, जिनकी यात्रा करके श्रद्धालु ख़ुद को धन्य समझते हैं। हिंदुओं के यही वो चार बड़े तीर्थ हैं, जिनके दर्शन मात्र से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। मोक्ष की प्राप्ति का ये वो रास्ता है, जिस पर चलकर शारीरिक मज़बूती के साथ-साथ मानसिक शांति भी हासिल होती है। जीवन की सत्यता को समझना का मौक़ा मिलता है। भगवान विष्णु के विराट रूप के दर्शन होते हैं। उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथपुरी और पश्चिम में द्वारका।
चार दिशाओं में स्थापित भगवान विष्णु को समर्पित ये चार ऐसे तीर्थ हैं, जिसकी यात्रा चार धाम यात्रा कहलाई गई और इन्हीं चारों धामों की यात्रा पर जब-जब देश के कर्मशील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गये, अपने संग क्या कुछ लेकर आना कभी नहीं भूले। योतिषों अनुसार, चारों धामों से क्या चीजें लेकर लौटना चाहिए ? सनातन में इन चारों धामों की क्या महत्ता है?
चार धाम यात्रा का रहस्य
हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा चार दिशाओं में स्थापित चार धाम यात्रा। इन्हीं चार धामों में भगवान विष्णु की अलौकिक दुनिया बसती है, मान्यता आज भी यही कहती है कि भगवान विष्णु जब चारों धाम पर बसे तो सबसे पहले बद्रीनाथ गए और वहाँ स्नान किया, इसके बाद वो गुजरात के द्वारिका गए और वहाँ कपड़े बदले। द्वारिका के बाद ओडिशा के पुरी में उन्होंने भोजन किया और अंत में तमिलनाडु के रामेश्वरम में विश्राम किया। यही कारण है कि ना सिर्फ़ वैष्णव संप्रदाय, बल्कि प्रत्येक सनातनी अपने जीवन में इन चार धामों की यात्रा पर ज़रूर जाता है। ख़ुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन चार धामों की यात्रा कर चुके हैं। देवभूमि में नर-नारायण पर्वत के बीच बसा बद्रीनाथ धाम, जहां बदरी विशाल के दर्शन होते हैं। पुरी में प्रभु जगन्नाथ अपनी बहल सुभद्रा और भाई बलराम संग विराजते हैं। द्वारिका में अपने द्वारिकाधीश रूप में दर्शन देते हैं और रामेश्वरम में शिव के ज्योतिर्लिग रूप में इनकी पूजा होती है। यहाँ धार्मिक आस्था, वास्तुकला और पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम मिलता है। हम सभी जानते हैं कर्मशील पीएम मोदी धार्मिक प्रवृत्ति हैं, मंदिर दर्शन करने का कोई मौक़ा चूकते नहीं हैं। ऐसे में अगर आप ये जानना चाहते हैं कि पीएम मोदी अपनी चार धाम यात्रा से क्या लेकर आते हैं ।
दो साल पहले 2022 में पीएम मोदी जब बद्रीनाथ गए, तब उन्होंने रोपवे परियोजनाओं का शिलान्यास किया, जब-जब ब्रद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं, मंदिर में पहली पूजा पीएम मोदी के नाम से होती हैं। अगर आप भी ब्रद्रीनाथ जाते हैं, तो सत्युग के इस धाम से वैजयंती माला लाना मत भूलियेगा, ज्योतिषों की मानें तो वैजयंती माला विशेष रूप से भगवान विष्णु को प्रिय मानी जाती है और इसे पहनने से व्यक्ति के जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि आती है। तुलसी की माला भी धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और यह जीवन में मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करने में सहायक होती है। जो कि तुलसी और वैजयंती की माला यहां ख़ासकर बद्री विशाल को चढ़ाया जाता है, जिस कारण लौटते वक़्त वैजयंती माला अपने साथ लानी चाहिए।
इसी कड़ी में जगन्नाथ पुरी धाम की बात करें, तो यहाँ की मिस्ट्री और हिस्ट्री आज भी एक हिस्ट्री बनी हुई है। धरती के इसी बैकुंठ लोक में प्रभु जगन्नाथ की प्रतिमा में श्री कृष्ण का धड़कता दिल है, मान्यता यही कहती है कि यहाँ से नारियल की छड़ी जिसे बेंत कहते हैं, ज़रूर लेकर आनी चाहिए। माना जाता है कि बेत खाने से दुख-दरिद्रता दूर हो जाती है और बुद्धि, आयु, यश आदि की प्राप्ति होती है। द्वापर युग का प्रतीक।
गुजरात में मौजूद द्वारकाधीश मंदिर, जो कि प्रभु कृष्ण को समर्पित है। पिछले साल द्वारिका आकर पीएम मोदी ने समुद्र में डूबी भगवान कृष्ण की नगरी के दर्शन किये थे, द्वारकाधीश की नगरी में सुदर्शन सेतु का लोकार्पण किया था। कहा जाता है कि द्वारकाधीश यहाँ द्वारका के राजा के रूप में पूजे जाते हैं, यहाँ से गोपी चंदन और मोरपंख घर लाने की वर्षों पुरानी परंपरा है। इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि और रक्षक शक्ति प्राप्त होती है। अब बात उस धाम की, जहां भगवान विष्णु विश्राम करते हैं, रामेश्वरम। यही पर 22 तीर्थ मिलते हैं, जिनके पवित्र जल से व्यक्ति की सांसारिक बुराइयाँ धुल जाती है।
अपने तमिलनाडु दौरे में यहाँ आकर पीएम मोदी ने अंगी तीर्थ पर डुबकी लगाई थी फिर उसके बाद भगवान रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा। ज्योतिषों की मानें, तो यहाँ से पवित्र जल लाने की परंपरा है। इसे घर में रखने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और यह किसी भी कठिनाई को दूर करने में सहायक माना जाता है। सौ बात की एक बात ये कि चार धाम यात्रा से ये चार चीजें अपने साथ लाना मत भूलिये