स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के असली और नकली शंकराचार्य होने का सच क्या है ?

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज आज की डेट में ये नाम हर किसी की ज़ुबान पर है. महाकुंभ की शुरुआत को 40 दिन बीत चुके हैं और इन 40 दिनों तक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पूरे महाकुंभ में छाये रहे और इसके पीछे की वजह रही, योगी सरकार की नाकामियों को उजागर करना, महाकुंभ की शुरुआत से पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने त्रिवेणी के जल पर सवाल उठाए आरोप लगाया कि महाकुंभ का जल आचमन और स्नान करने के लायक़ नहीं है फिर जब मौनी अमावस्या पर भगदड़ मची , उसे लेकर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने योगी सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा किया। आरोप लगाया कि सरकार ने ना सिर्फ़ मृतकों का आँकड़ा छुपाया है, बल्कि समय रहते सही जानकारी नहीं दी। मुख्यमंत्री पर छल करने का आरोप लगाया, खुलकर कहा कि अपना किया भोगना पड़ेगा, 2027 में योगी को नहीं जिताएँगे। अब जब बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने महाकुंभ को मृत्यु कुंभ बताया है, तो उसका समर्थन करते हुए अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती नज़र आए हैं हालाँकि इस बीच संत समाज का एक धड़ ऐसा भी रहा, जिन्होंने अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध किया। उनके शंकराचार्य होने पर प्रश्न चिन्ह लगाए जिसका ताज़ा उदाहरण जगद्गुरु अनंतानंद सरस्वती है, जिन्होंने हाल ही में अविमुक्तेश्वरानंद को नक़ली शंकराचार्य करार दिया है।