बांग्लादेश के सहारे चीन हिंदुओं के विरुद्ध चल रहा कैसी चाल क्या कुछ बिगाड़ पाएगा ?
इतिहास गवाह रहा है, जिस भी देश में अमेरिका और चीन घुसे हैं, इन दोनों ने उसे बर्बाद करके छोड़ा है। अमेरिका की साज़िश के चलते बांग्लादेश में हुए इस्लामिक तख्तापलट के बाद मोदी सरकार ने शेख़ हसीना को पनाह क्या दी, चीन की शातिर गिरी में बांग्लादेश जाकर फँस गया। बांग्लादेश की कट्टरपंथी सरकार जमात-ए-इस्लामी और चीन, एक हो चुके हैं। तभी तो अब बांग्लादेश की धरती से हिंदू राष्ट्र को मिटाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है लेकिन क्या पीएम मोदी के जीते जी क्या बांग्लादेश के रास्ते चीन 100 करोड़ हिंदुओं का बाल भी बाँका कर पायेगा,क्या है ये पूरा मामला, आईये आपको बताते हैं।
छात्र आंदोलन की आग में जला बांग्लादेश और बंगाली हिंदुओं के साथ होने वाला कत्लेआम किसी से छिपा नहीं है..इस वक्त मुल्क में भले ही मोहम्मद यूनुस की सरकार है, लेकिन पॉवर जमात-ए-इस्लामी के हाथ में है। तभी तो शेख़ हसीना के भाग जाने के बाद मुल्क की बागडोर सँभालते ही जमात ने बक़ायदा प्रेस कांफ्रेंस कर शरिया कानून की पैरवी की इस्लामिक तख्तापलट से पहले इसी इस्लामी पार्टी पर कट्टरवाद, आंतकवाद , हिंदू विरोधी दंगे भड़काने के आरोप लगते थे। आलम ये था कि हसीना सरकार ने इस पूरी जमात पर प्रतिबंध लगा रखा था लेकिन हसीना सरकार गिरने के बाद जमात-ए-इस्लामी पाक साफ हो गई लेकिन उसके अंदर भारत के प्रति नफ़रत अब तक पनप रही है। तभी तो बांग्लादेश में उनकी अंतरिम सरकार बन जाने के बाद भारत को उनके मसलों में टांग न अड़ाने की चेतावनी दी खुलकर कहा कि हम एक-दूसरे के पड़ोसी हैं. पड़ोसियों को इच्छानुसार नहीं बदला जा सकता है और यह ऐसी चीज है जिससे हम दोनों में से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है।
ये वहीं जमात-ए-इस्लामी है, जो बंगाली हिंदुओं के कत्लेआम पर ख़ामोश रही। ये वहीं जमात-ए-इस्लामी है, जो मंदिरों में होने वाली तोड़फोड़ को रोक नहीं पाई। ये वहीं जमात-ए-इस्लामी है, जो बंगाली हिंदुओं के घर-दुकान लुटने पर आँख बंद करके रखी। आज भले ही ख़ुद को बंगाली हिंदुओं का हितैषी बता रही है, लेकिन सच तो यहीं है कि जमात-ए-इस्लामी के कहने पर ही आंदोलन की चिंगारी भड़की और उसी में कई बंगाली हिंदू मौत की नींद सो गये और आज चीन इसी जमात की तारीफ़ों के पुल बांध रहा है। बांग्लादेश को हड़पने में लगा चीन जमात-ए-इस्लामी को सुव्यवस्थित बता रहा है। चीन दिखावे के लिए बांग्लादेश के विकास, प्रगति और समृद्धि की बात कर रहा है, लेकिन सच तो यही है कि बांग्लादेश के रास्ता चीन भारत को मिटाना चाह रहा है। देखा जाए, तो शेख हसीना के पतन के बाद, चीन उन देशों में से एक रहा है जो डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के साथ सहयोग पर चर्चा कर रहे हैं। सौ बात की एक बात ये है कि चीन जमात के रास्ते बांग्लादेश में अपने पैर पसार रहा है। बांग्लादेशी जिस चीन को आज अपना रहनुमा बता रहे हैं, उन्हें ये मालूम होना चाहिए कि जिनपिंग सरकार में उइगर मुसलमानों को कुचला जा रहा है, वो ख़ुद के मुल्क के मुसलमानों का नहीं हो पाया, तो फिर उनका रहनुमा कैसे बन पायेगा। चीन समूचे बांग्लादेश को अपनी मुट्ठी में करना चाहता है और अब जो कि जमात के रास्ते उसे मौक़ा मिल गया है, इस लिए बांग्लादेश से सटी भारतीय सीमा ख़तरे में आ गई हैं। अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान को बर्बाद कर चुका चीन अब बांग्लादेश के रास्ते हिंदू राष्ट्र को मिट्टी में मिलाने की साज़िश रच रहा है, लेकिन क्या पीएम मोदी के जीते जी ऐसा मुमकिन हैं।