महाकुंभ में CM योगी ख़ुद के अखाड़े में करेंगे ऐसा क्या, जिसके आगे 195 मुल्क अभी से हुए नतमस्तक ?
आस्था, विश्वास, परंपरा का पर्व है महाकुंभ, दिव्यता का अमृतपान है महाकुंभ, संस्कृति, अध्यात्म, विकास का अनुभव है महाकुंभ , 144 साल बाद मौक़ा आया है, भारत वर्ष के सांस्कृतिक समागम महाकुंभ का साक्षी बनने का मौक़ा आया है ख़ुद को संतों के इस मेले में समर्पित करने का मौक़ा आया है पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मौक़ा आया है ख़ुद की संस्कृति और धर्म को गहराई से जानने का और मौक़ा आया है संगम की रेती पर योगी के तप को देखना का नमस्कार , धर्म ज्ञान में आपका स्वागत है।
महाकुंभ के चलते दिनों दिन प्रयागराज चमक उठा है, जैसे-जैसे शाही स्नान की तिथि नज़दीक आ रही है, पेशवाई के साथ अखाड़ों का जत्था महाकुंभ में प्रवेश कर रहा है। कही नर-पिशाचों की माला धारण किये अघोरियों का तांडव दिख रहा है, तो कही चिता की राख से साधु होली खेलते हुए नजर आ रहे हैं। इन सबके बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ है, जिनके कंधों पर समूचे महाकुंभ की एक-एक ज़िम्मेदारी है। महाकुंभ के डे वन से लेकर अंतिम शाही स्नान तक, किसी को कोई दिक़्क़त ना हो, इसके लिए बाबा की तैयारियाँ हाईटैक हैं.महाकुंभ की पहरेदारी कितनी सख़्त होगी, इसका अंदाज़ा इसी लगाइये 45 दिनों तक यूपी की सत्ता महाकुंभ से ही चलेगी क्योंकि इस पूरे महाकुंभ में योगी सिर्फ़ मुख्यमंत्री ही नहीं होंगे बल्कि अपने नाथ संप्रदाय वाले रूप में भी होंगे। इस बार के महाकुंभ में योगी बाबा के ख़ुद का अखाड़ा मौजूद है। मठाधीश योगी आदित्यनाथ जिस नाथ संप्रदाय से आते हैं., उसकी मौजूदगी महाकुंभ के बीचों बीच दिखेगी। मतलब ये कि महाकुंभ में टेंट सिंटि में एक टेंट नाथ संप्रदाय का भी है। बाबा के अखाड़े के आसपास महाकुंभ नगर में जर्मन तकनीक से बड़े-बड़े डोम बनाए गए हैं. इसके लिए 70 से ज्यादा टेंट लगाए गए। एक पूरी टेंट सिटी बसा दी गई है. इस टेंट सिटी में श्रद्धालुओं को तमाम सुविधाएं मिलेंगी. चाहे बारिश हो या सर्दी, इस डोम सिटी में रहने वालों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इस टेंट सिटी की लाइटिंग फिटिंग सुरक्षा व्यवस्था थ्री लेयर की रहेगी। इसी अखाड़े में नाथ संप्रदाय के तमाम कार्यक्रम आयोजित होंगे। यही पर ख़ुद योगी आदित्यनाथ धूनी लगाकर तप करेंगे। नाथ संप्रदाय के संतों के साथ उनकी एक लंबी चर्चा होगी। नाथ संप्रदाय के इस अखाड़े में कानों में कुंडल और हाथ में चिमटा धारण करने वाले संत नजर आएँगे और यही से महाकुंभ की एक ऐसी परंपरा टूटेगी, जो एक नये परिवर्तन का संकेत है।
महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व ऐसा है कि मान्यताओं में उसे कई जन्मों के पापों से मुक्ति पाने का रास्ता बताया गया है। यही वजह है कि तमाम अखाड़े महाकुंभ के 6 शाही स्नान का हिस्सा बनेंगे..ऐसे में हैरान करने वाली बात ये है कि अबकी बार के शाही स्नान से नाथ संप्रदाय ने ख़ुद को दूर रखने का फ़ैसला किया है। मतलब ये कि योगी बाबा का नाथ संप्रदाय शाही स्नान नहीं करेगा..इसके पीछे की वजह बताते हुए नाथ संप्रदाय ने कहा है। अखाड़ा शाही स्नान की परंपरा को तोड़ रहा है क्योंकि यह परंपरा अब अपना महत्व खो चुकी है। अखाड़ा अब अपना ध्यान अध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों पर केंद्रित करेगा। सौ बात की एक बात ये कि महाकुंभ की रेती से बाबा की सरकार भी चलेगी और मठाधीश का तप भी दिखेगा। लेकिन महाकुंभ आकर शाही स्नान से दूरी, क्या ये उचित है ?