प्रभु जगन्नाथ के रत्न भंडार की खोई हुई चाबियों कब मिलेंगी ? PM Modi की भविष्यवाणी
ओड़िसा एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां इन दिनों लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव की भी गहमागहमी है। यानी की राजनीतिक दलों के बीच डबल फाइल है। 9 सालों तक भाजपा का साथ निभा चुकी बीजेडी के मुखिया और प्रदेश के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक एक बार फिर जीत की झंडे गाढ़ने की तैयारी में हैं। बीते 24 वर्षों से सत्ता में बने हुए हैं, लेकिन क्या पाँचवीं बार भी मुख्यमंत्री बन पायेंगे और क्या पटनायक की मौजूदगी में भाजपा प्रभु जगन्नाथ की नगरी में कमल खिला पाने में कामयाब होगी। ये तो रिज़ल्ट का दिन बताएगा। फ़िलहाल तो महाप्रभु के रत्न भंडार की चाबी खो जाने पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कदर ग़ुस्से में हैं कि जगन्नाथपुरी पहुँचते ही अपने ही दोस्त यानी नवीन पटनायक पर हमलावर हो गये।क्या है ये पूरा मामला , आईये आपको बताते हैं।
गौर करने वाली बात ये है कि प्रभु जगन्नाथ का रत्न भंडार जहां मंदिर का ख़ज़ाना मौजूद रहता है। उस ख़ज़ाने की सुरक्षा में लगे दरवाज़े पर जड़े ताले की चाबी फ़िलहाल ग़ायब है और अब मंदिर से जुड़ी दो अहम फाईले भी गायब हो चुकी है। चाबी कहां गुम हो गई ? इसको लेकर रहस्यों का जाल बना हुआ है। ये पूरा मामला अबका नहीं बल्कि 5 साल पुराना है। 1985 में रत्न भंडार खोला गया था और तब से लेकर आज रत्न भंडार के कपाट खोले नहीं गये हैं। रत्न भंडार में क्या कुछ है, इसको लेकर साल 2018 में सरकार की तरफ़ से जो रिपोर्ट पेश की गई ,उसके मुताबिक़ ये बात कही गई कि रत्न भंडार में 12831 भारी सोने के गहने हैं। एक भारी 11.66 ग्राम के बराबर होता है। 22153 भारी चांदी के बर्तन हैं। इसके अलावा कुछ बहुमूल्य रत्न यहां मौजूद हैं।उस दिन से लेकर अब तक रत्न भंडार में कितनी बेशक़ीमती चीजें बाहर गई और कितनी चीजें अंदर अभी मौजूद है, कोई नहीं जानता।
अब जो कि महाप्रभु के ख़ज़ाने की चाबी खोयी हुई हैं और वो भी इतने सालों से इस कारण पटनायक सरकार के ख़िलाफ़ भक्तों के बीच खासी नाराज़गी है, सेवादार रत्न भंडार को जल्द खोलने और आभूषणों की सूची बनाने की भी मांग कर रहे हैं।ऐसे में सवाल उठता है कि अगर 4 जून के दिन 400 पार हो जाएगा और जगन्नाथपुरी में कमल खिल जाएगा, तो क्या रत्न भंडार की खोयी हुई चाबी मिल जाएगी।